अंतर्राष्ट्रीय संबंध
बाह्य अंतरिक्ष हेतु एक नई संधि का आह्वान
- 07 Jun 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र, बाह्य अंतरिक्ष, बाह्य अंतरिक्ष संधि 1967 मेन्स के लिये:बाह्य अंतरिक्ष हेतु एक नई संधि का आह्वान |
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने हाल ही में "फॉर ऑल ह्यूमैनिटी- द फ्यूचर ऑफ आउटर स्पेस गवर्नेंस" शीर्षक से एक संक्षिप्त नीति जारी की है, जिसमें शांति, सुरक्षा और बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिये एक नई संधि की सिफारिश की गई है।
- यह सिफारिश सितंबर 2024 में न्यूयॉर्क में होने वाले UN समिट ऑफ द फ्यूचर से पहले की गई है। शिखर सम्मेलन का उद्देश्य बहुपक्षीय समाधानों को सुविधाजनक बनाना और भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने के लिये वैश्विक शासन को मज़बूत करना है।
प्रमुख बिंदु
- उपग्रह प्रक्षेपण में वृद्धि:
- पिछले दशक में उपग्रह प्रक्षेपणों में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जो सरकार और निजी क्षेत्र दोनों की भागीदारी से प्रेरित है।
- वर्ष 2013 में 210 नए उपग्रह लॉन्च हुए, जिनकी संख्या वर्ष 2019 में बढ़कर 600 और वर्ष 2020 में 1,200 तथा वर्ष 2022 में 2,470 हो गई।
- संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत और जापान जैसे देश अंतरिक्ष गतिविधियों में अग्रणी हैं, जिनमें मानव मिशन, चंद्र अन्वेषण तथा संसाधन दोहन शामिल हैं।
- राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) अपने आर्टेमिस मिशन के माध्यम से प्रथम महिला और द्वितीय पुरुष को चंद्रमा पर उतारने की योजना बना रहा है।
- चंद्रमा पर खनिज (हीलियम 3 का समृद्ध भंडार है, जो पृथ्वी पर दुर्लभ है), क्षुद्रग्रह (प्लैटिनम, निकल और कोबाल्ट सहित मूल्यवान धातुओं का प्रचुर भंडार) और ग्रह के लिये आकर्षण का केंद्र हो सकते हैं।
- पिछले दशक में उपग्रह प्रक्षेपणों में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जो सरकार और निजी क्षेत्र दोनों की भागीदारी से प्रेरित है।
- अंतर्राष्ट्रीय ढाँचे का अभाव:
- अंतरिक्ष संसाधन अन्वेषण, दोहन और उपयोग पर एक सहमत अंतर्राष्ट्रीय ढाँचे का अभाव है।
- पर्यावरण प्रदूषण के लिये क्षेत्राधिकार, नियंत्रण, दायित्व और ज़िम्मेदारी के मुद्दों को संबोधित करते हुए अंतरिक्ष संसाधन गतिविधियों के कार्यान्वयन के समर्थन हेतु संक्षिप्त नीति के निर्माण पर बल देता है।
- समन्वय और अंतरिक्ष यातायात प्रबंधन:
- वर्तमान में अंतरिक्ष यातायात का समन्वय का अभाव है जिसमें विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संस्थाएँ अलग-अलग मानकों और प्रथाओं को नियोजित करती हैं।
- समन्वय की कमी सीमित अंतरिक्ष क्षमता वाले देशों के लिये चुनौतियाँ पेश करती है।
- अंतरिक्ष मलबा और पर्यावरण संबंधी चिंताएँ:
- अंतरिक्ष मलबे के प्रसार को एक महत्त्वपूर्ण मुद्दे के रूप में रेखांकित किया जाता है जिसमें हज़ारों वस्तुएँ अंतरिक्ष में संचालित यानों के लिये खतरा उत्पन्न करती हैं।
- संयुक्त राष्ट्र अंतरिक्ष मलबे के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण के लिये क्षेत्राधिकार, नियंत्रण, उत्तरदायित्व और ज़िम्मेदारी से संबंधित कानून की मांग करता है। अंतरिक्ष से मलबा हटाने की तकनीक विकसित की जा रही है लेकिन कानूनी पहलुओं पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है।
सिफारिशें:
- शांति और सुरक्षा के लिये नई संधि:
- संयुक्त राष्ट्र ने शांति, सुरक्षा तथा बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ को प्रतिबंधित करने के लिये संवाद और एक नई संधि के विकास की सिफारिश की है।
- यह संधि उभरते खतरों को दूर करने और उत्तरदायी अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानदंड, नियम और सिद्धांत की स्थापना करेगी।
- समन्वित अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता:
- सदस्य देशों से आग्रह किया गया है कि वे अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता और अंतरिक्ष घटनाओं के समन्वय के लिये एक प्रभावी ढाँचे की स्थापना करें। यह समन्वय अंतरिक्ष संचालन की सुरक्षा और संरक्षा में वृद्धि करेगा।
- अंतरिक्ष मलबे को हटाने हेतु रूपरेखा:
- संयुक्त राष्ट्र ने विधिक और वैज्ञानिक दोनों पहलुओं पर विचार करते हुए अंतरिक्ष मलबे को हटाने के लिये मानदंडों एवं सिद्धांतों के विकास की मांग की है।
- इसके तहत विशेष रूप से चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों पर अंतरिक्ष संसाधनों के सतत् अन्वेषण, दोहन एवं उपयोग के लिये एक प्रभावी रूपरेखा की सिफारिश की गई है।
बाह्य अंतरिक्ष:
- परिचय:
- बाह्य अंतरिक्ष, जिसे अंतरिक्ष अथवा आकाशीय अंतरिक्ष के रूप में भी जाना जाता है, पृथ्वी के वायुमंडल से परे और आकाशीय पिंडों के बीच विशाल विस्तार को संदर्भित करता है। यह एक निर्वात है जो पृथ्वी के वायुमंडल से परे मौजूद है तथा पूरे ब्रह्मांड में अनिश्चित काल तक के लिये फैला हुआ है। बेहद कम घनत्त्व और दबाव के साथ-साथ वायु एवं अन्य वायुमंडलीय तत्त्वों की अनुपस्थिति बाह्य अंतरिक्ष की विशेषता है।
- संयुक्त राष्ट्र संधियाँ:
- इन संधियों को आमतौर पर "बाह्य अंतरिक्ष पर पाँच संयुक्त राष्ट्र संधियाँ" के रूप में संदर्भित किया जाता है:
- बाह्य अंतरिक्ष संधि 1967: चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाह्य अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में देशों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों पर संधि।
- बचाव समझौता 1968: अंतरिक्ष यात्रियों के बचाव, अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी और बाह्य अंतरिक्ष में प्रक्षेपित वस्तुओं की वापसी पर समझौता।
- दायित्व अभिसमय 1972: अंतरिक्ष वस्तुओं के कारण होने वाली क्षति हेतु अन्तर्राष्ट्रीय उत्तरदायित्व पर अभिसमय।
- पंजीकरण अभिसमय 1976: बाह्य अंतरिक्ष में लॉन्च की गई वस्तुओं के पंजीकरण पर अभिसमय।
- द मून एग्रीमेंट 1979: चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों पर देशों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाला समझौता।
- भारत इन सभी पाँच संधियों का हस्ताक्षरकर्त्ता है, लेकिन उसने केवल चार का अनुसमर्थन किया है। भारत ने मून एग्रीमेंट की पुष्टि नहीं की है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन कानून सभी देशों को उनके क्षेत्र के ऊपर हवाई क्षेत्र पर पूर्ण और अनन्य संप्रभुता प्रदान करते हैं। 'हवाई क्षेत्र' से आप क्या समझते हैं? इस हवाई क्षेत्र के ऊपर अंतरिक्ष पर इन कानूनों के क्या प्रभाव हैं? इससे उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और खतरे को नियंत्रित करने के उपाय सुझाइये। (मुख्य परीक्षा, 2014) |