ब्राज़ील-भारत डब्लूटीओ विवाद | 28 Jan 2020

प्रीलिम्स के लिये:

विश्व व्यापार संगठन, उचित और लाभप्रद मूल्य

मेन्स के लिये:

ब्राज़ील-भारत संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कई किसान समूहों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि ब्राज़ील द्वारा विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation-WTO) में भारत की चीनी सब्सिडी नीतियों के खिलाफ की गई शिकायत वापस लेने के लिये ब्राज़ील पर दवाब डाला जाए।

मुख्य बिंदु:

  • ध्यातव्य है कि इस वर्ष ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो (Jair Bolsonaro) भारत में 71वें गणतंत्र दिवस के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि:

  • ब्राज़ील दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और निर्यातक देश है।
  • फरवरी 2019 में ब्राज़ील और कई अन्य देशों ने भारत के खिलाफ WTO में शिकायत की थी।
  • इन देशों का आरोप है कि भारत द्वारा अपने किसानों को दी जाने वाली चीनी सब्सिडी वैश्विक व्यापार नियमों के खिलाफ है।

भारतीय किसानों का पक्ष:

  • किसानों के समूहों ने सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि ब्राज़ील द्वारा WTO में की गई शिकायत को वापस लेने के लिये उस पर दवाब डाला जाए।
  • प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में ‘अखिल भारतीय किसान आंदोलन समन्वय समिति’ ( Indian Coordination Committee of Farmers Movements-ICCFM) ने कहा है कि बोल्सोनारो के नेतृत्व में ब्राज़ील सरकार गन्ने के न्यूनतम मूल्य निर्धारण को चुनौती देकर सीधे तौर पर पाँच करोड़ भारतीय गन्ना किसानों की आजीविका को खतरे में डाल रही है।
  • भारतीय किसान यूनियन के अनुसार, इस पूरे मामले में विडंबना यह है कि भारत सरकार किसानों को केवल चीनी मिलों द्वारा भुगतान किये जाने वाले उचित और लाभप्रद मूल्य (Fair and Remunerative Prices-FRP) की घोषणा करती है।

ब्राज़ील का पक्ष:

  • ब्राज़ील का आरोप है कि भारत ने हाल के वर्षों मे गन्ने और चीनी के घरेलू समर्थन मूल्य में बड़े पैमाने पर वृद्धि की है।
  • ब्राज़ील के अनुसार, भारत ने गन्ने के लिये उचित और लाभकारी मूल्य को लगभग दोगुना कर दिया है।
  • इस विवाद पर ब्राज़ील के विदेश मंत्री ने कहा कि ब्राज़ील इस मामले के संतोषजनक समाधान के लिये तैयार है।
  • ब्राज़ील के अनुसार, यह मुद्दा गन्ने से प्राप्त जैव ईंधन पर दोनों देशों के बीच हुए द्विपक्षीय सहयोग को प्रभावित नहीं करेगा।

आगे की राह:

  • ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील और ग्वाटेमाला भारत के विशाल घरेलू बाज़ार में प्रवेश करने के लिये विश्व व्यापार संगठन के विवाद तंत्र का उपयोग कर रहे हैं। इन शिकायतकर्त्ता सदस्यों ने हाल के वर्षों में अपने चीनी उत्पादन का 70 प्रतिशत से अधिक निर्यात किया है।
  • वर्ष 2017-18 में इन तीन देशों का संयुक्त चीनी निर्यात कुल वैश्विक निर्यात का लगभग 53 प्रतिशत था।
  • निश्चय ही भारत विश्व व्यापार संगठन में अपने हितों का सफलतापूर्वक बचाव करेगा, लेकिन नीति निर्माताओं को एक आकस्मिक योजना के साथ भी तैयार रहना चाहिये ताकि देश किसी प्रतिकूल निर्णय का सफलतापूर्वक सामना कर सके।

स्रोत-द हिंदू