चीनी उत्पादन से जुड़े विभिन्न क्षेत्र
प्रीलिम्स के लिये:
उचित एवं लाभकारी मूल्य, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग
मेन्स के लिये:
भारत में चीनी उत्पादन से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति
चर्चा में क्यों?
चालू विपणन वर्ष के पहले तीन महीनों में देश का चीनी उत्पादन 30.22% घटकर 7.79 मिलियन टन हो गया।
मुख्य बिंदु:
- ‘इंडियन शुगर मिल एसोशिएसन’ (Indian Sugar Mills Association- ISMA) के अनुसार, चीनी मिलों ने सरकार के ‘अधिकतम स्वीकार्य निर्यात मात्रा कोटा’ (Maximum Admissible Export Quantity Quota-MAEQ) के तहत 2.5 मिलियन टन से अधिक चीनी के निर्यात के लिये अनुबंध किया है।
- हालाँकि चीनी का निर्यात अभी भी अच्छी स्थिति में है।
चीनी की एक्स-मिल कीमतें:
- ISMA के अनुसार, केंद्र सरकार ने वर्ष 2019-20 के लिये ‘उचित और लाभकारी मूल्य’ (Fair and Remunerative Price-FRP)) में बढ़ोतरी नहीं की है, अतः उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब आदि राज्य सरकारों ने भी ‘प्रदेश परामार्शित मूल्य’ (State Advised Price-SAP) में बढ़ोतरी नहीं की है, इसीलिये चीनी की एक्स-मिल कीमतें स्थिर बनीं हुई हैं। इससे चीनी मिलें किसानों को समय पर गन्ना मूल्य का भुगतान करने के लिहाज़ से बेहतर स्थिति में हैं।
- ISMA के अनुसार, चीनी की एक्स-मिल कीमतें उत्तर भारत में 3,250-3,350 रुपए प्रति क्विंटल और दक्षिण भारत में 3100-3250 रुपए प्रति क्विंटल के दायरे में स्थिर बनी हुई हैं।
अनुमानित उत्पादन:
- ISMA ने वर्ष 2019-20 के लिये अपने पहले अनुमान में 26 मिलियन टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है, जबकि वर्ष 2018-19 में यह 33.16 मिलियन टन था।
- देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन दिसंबर 2019 तक घटकर 1.65 मिलियन टन रह गया, जबकि वर्ष 2018-19 में इस अवधि में 4.45 मिलियन टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
चीनी की औसत प्राप्ति:
- बाढ़ से प्रभावित गन्ने की फसल में सुक्रोज की मात्रा कम होने से महाराष्ट्र में चीनी की औसत प्राप्ति वर्ष 2018-19 की तुलना में 10.5% से घटकर 10 रह गई।
- दिसंबर 2019 के अंत में कुल 137 चीनी मिलें कार्यरत थीं, जबकि वर्ष 2018-19 में इस अवधि के दौरान 189 मिलें कार्यरत थीं।
उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन में वृद्धि:
- चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन वर्ष 2018-19 के 3.10 मिलियन टन की तुलना में वर्ष 2019-20 में बढ़कर 3.31 मिलियन टन हो गया है।
उचित और लाभप्रद मूल्य:
- चीनी मिलें जिस मूल्य पर किसानों से गन्ना खरीदती हैं उसे उचित और लाभप्रद मूल्य कहा जाता है। इसका निर्धारण ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ (Commission on Agricultural Costs and Prices-CACP) की सिफारिशों के आधार पर ‘आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति’ (Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA) द्वारा किया जाता है।