जैव विविधता और पर्यावरण
ओडिशा में कृष्णमृग (Blackbuck) की आबादी में वृद्धि
- 29 May 2021
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प्रिलिम्स के लियेकृष्णमृग या काले हिरण (Blackbuck), वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, आईयूसीएन (IUCN) मेन्स के लियेकृष्णमृग संबंधित संरक्षित क्षेत्र, संरक्षण स्थिति, उत्पन्न खतरे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ओडिशा राज्य वन विभाग द्वारा जारी नवीनतम पशुगणना के आँकड़ों के अनुसार, पिछले छह वर्षों में ओडिशा में कृष्णमृग या काले हिरण (Blackbuck) की आबादी दोगुनी हो गई है।
प्रमुख बिंदु
कृष्णमृग के बारे में:
- कृष्णमृग का वैज्ञानिक नाम ‘Antilope Cervicapra’ है, जिसे ‘भारतीय मृग’ (Indian Antelope) के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत और नेपाल में मूल रूप से निवास करने वाली मृग की एक प्रजाति है।
- ये राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और अन्य क्षेत्रों में (संपूर्ण प्रायद्वीपीय भारत में) व्यापक रूप से पाए जाते हैं।
- ये घास के मैदानों में सर्वाधिक पाए जाते हैं अर्थात् इसे घास के मैदान का प्रतीक माना जाता है।
- इसे चीते के बाद दुनिया का दूसरा सबसे तेज़ दौड़ने वाला जानवर माना जाता है।
- कृष्णमृग एक दैनंदिनी मृग (Diurnal Antelope) है अर्थात् यह मुख्य रूप से दिन के समय ज़्यादातर सक्रिय रहता है।
- यह आंध्र प्रदेश, हरियाणा और पंजाब का राज्य पशु है।
- सांस्कृतिक महत्त्व: यह हिंदू धर्म के लिये पवित्रता का प्रतीक है क्योंकि इसकी त्वचा और सींग को पवित्र अंग माना जाता है। बौद्ध धर्म के लिये यह सौभाग्य (Good Luck) का प्रतीक है।
संरक्षण स्थिति:
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
- आईयूसीएन (IUCN) में स्थान : कम चिंतनीय (Least Concern)
- CITES: परिशिष्ट-III
खतरा:
- इनके संभावित खतरों में प्राकृतिक आवास का विखंडन, वनों का उन्मूलन, प्राकृतिक आपदाएँ, अवैध शिकार आदि शामिल हैं।
संबंधित संरक्षित क्षेत्र:
- वेलावदर (Velavadar) कृष्णमृग अभयारण्य- गुजरात
- प्वाइंट कैलिमेर (Point Calimer) वन्यजीव अभयारण्य- तमिलनाडु
- वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने प्रयागराज के समीप यमुना-पार क्षेत्र (Trans-Yamuna Belt) में कृष्णमृग संरक्षण रिज़र्व स्थापित करने की योजना को मंज़ूरी दी। यह कृष्णमृग को समर्पित पहला संरक्षण रिज़र्व होगा।
ओडिशा में कृष्णमृग:
- काले हिरण को ओडिशा में कृष्णसारा मृगा (Krushnasara Mruga) के नाम से जाना जाता है।
- काला हिरण पुरी ज़िले में बालूखंड-कोणार्क तटीय मैदान/वन्यजीव अभयारण्य तक ही सीमित है।
- गंजाम (Ganjam) ज़िले में बालीपदर-भेटनोई और उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में ।
- नवीनतम गणना के अनुसार, वर्ष 2011 में 2,194 की मृग आबादी की तुलना में 7,358 मृग हैं।
- इनकी आबादी में वृद्धि के प्रमुख कारणों में आवासों में सुधार, स्थानीय लोगों और वन कर्मचारियों द्वारा दी गई सुरक्षा शामिल है।
भारत में पाए जाने वाले अन्य मृग प्रजातियाँ:
- बारहसिंगा या स्वैम्प डियर (Swamp Deer) , चीतल/चित्तीदार हिरण, सांभर हिरण, संगाई/बरो-एंटलर्ड हिरण (Brow-Antlered Deer), हिमालयन सीरो, भौंकने वाला हिरण (Barking Deer)/भारतीय काकड़ (Indian Muntjac), नीलगिरि तहर/नीलगिरि आईबेक्स, तिब्बती मृग, हिमालयी तहर, नीलगाय (Blue Bull), चिंकारा (Indian Gazelle) ।