नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

बर्ड फ्लू: एवियन इन्फ्लुएंज़ा

  • 22 Jul 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

H5N1 एवियन इन्फ्लूएंज़ा,  H10N3 बर्ड फ्लू

मेन्स के लिये:

H5N1 एवियन इन्फ्लूएंज़ा के संक्रमण का कारण एवं भारत में इसकी स्थिति

चर्चा में क्यों?

इस वर्ष हाल ही में भारत में बर्ड फ्लू के कारण पहली मानव मृत्यु दर्ज की गई। यह H5N1 एवियन इन्फ्लूएंज़ा वायरस के कारण हुई।

  • इससे पहले चीन ने H10N3 बर्ड फ्लू के पहले मानव संक्रमण की सूचना दी थी।

प्रमुख बिंदु:

  • यह दुनिया भर में जंगली पक्षियों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले एवियन इन्फ्लूएंज़ा (AI) टाइप A वायरस के कारण होने वाली बीमारी है।
    • AI वायरस को उनकी रोगजनकता के आधार पर ‘लो पैथोजेनिक AI’ (LPAI)) और हाई पैथोजेनिक AI (HPAI) वायरस के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। H5N1 स्ट्रेन HPAI वायरस के अंतर्गत आते हैं।
  • यह वायरस मुर्गियों, बत्तखों, टर्की सहित घरेलू मुर्गियों को संक्रमित कर सकता है और थाईलैंड के चिड़ियाघरों में सूअरों, बिल्लियों यहाँ तक ​​कि बाघों में H5N1 संक्रमण की खबरें मिली हैं।

प्रभाव:

  • विशेष रूप से पोल्ट्री उद्योग के लिये इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
  • किसान अपने पशु समूहों में उच्च स्तर की मृत्यु दर का अनुभव कर सकते हैं, जिनकी दर अक्सर लगभग 50% होती है।

मनुष्यों में संक्रमण:

  • वायरस के संचरण का सबसे आम मार्ग संक्रमित पक्षियों के साथ सीधा संपर्क है, यह या तो मृत या जीवित या संक्रमित पोल्ट्री के पास दूषित सतहों या हवा के संपर्क में आने से फैलता है।
  • 40 वर्ष से कम उम्र के वयस्कों और बच्चों को इससे सबसे अधिक प्रभावित देखा गया तथा इसमें 10-19 वर्ष के बच्चों में मृत्यु दर अधिक देखी गई है।

मनुष्यों में लक्षण:

  • इसमें हल्के से गंभीर इन्फ्लूएंज़ा के लक्षण जैसे- बुखार, खाँसी, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द, पेट दर्द, दस्त, उल्टी लोगों में गंभीर साँस की बीमारी (जैसे- साँस लेने में कठिनाई, निमोनिया, तीव्र श्वसन की समस्या, वायरल निमोनिया) तथा परिवर्तित मानसिक स्थिति, दौरे आदि देखे जा सकते हैं।

रोकथाम और उन्मूलन:

  • रोग के प्रकोप से बचाव हेतु सख्त जैव सुरक्षा उपाय और स्वच्छता आवश्यक है।
  • यदि जानवरों में संक्रमण का पता चलता है, तो संक्रमित और संपर्क में आए जानवरों को मारने की नीति का उपयोग आमतौर पर रोग को तीव्रता से नियंत्रित करने तथा रोग के  उन्मूलन  हेतु  किया जाता है।
  • WHO की वैश्विक प्रयोगशाला प्रणाली, वैश्विक इन्फ्लूएंजा निगरानी और प्रतिक्रिया प्रणाली (GISRS), इन्फ्लूएंज़ा वायरस के प्रसार के उपभेदों की पहचान और निगरानी करती है तथा विभिन्न देशों में मानव स्वास्थ्य एवं उपलब्ध उपचार या नियंत्रण उपायों हेतु देशों को  जोखिम आधारित सलाह प्रदान करती है।

भारत में बर्ड फ्लू की स्थिति:

  • दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 के बीच भारत के विभिन्न राज्यों में बर्ड फ्लू के ताज़ा मामले सामने आए हैं, जिससे पूरे देश में अफरातफरी मच गई है।
  • इससे पहले वर्ष 2019 में भारत को ‘एवियन इन्फ्लूएंज़ा’ (H5N1) से मुक्त घोषित किया गया था, इस संबंध में ‘विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन’ (OIE) को भी अधिसूचित किया जा चुका है।
    • विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन, दुनिया भर में पशु स्वास्थ्य में सुधार हेतु उत्तरदायी एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसका मुख्यालय पेरिस, फ्रांँस में है।

इन्फ्लूएंज़ा वायरस के प्रकार 

  • इन्फ्लूएंज़ा वायरस चार प्रकार के होते हैं: इन्फ्लूएंज़ा A, B, C और D
    • इन्फ्लूएंज़ा A और B दो प्रकार के इन्फ्लूएंज़ा हैं जो लगभग प्रत्येक वर्ष मौसमी संक्रमण जनित महामारी का कारण बनते हैं।
    •  इन्फ्लूएंज़ा विषाणु C सामान्यतः मनुष्यों में होता है लेकिन यह विषाणु कुत्तों एवं सूअरों को भी प्रभावित करता है। 
    • इन्फ्लूएंज़ा D मुख्य रूप से मवेशियों में पाया जाता है। इस विषाणु के अब तक मनुष्यों में संक्रमण या बीमारी उत्पन्न करने के कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

एवियन इन्फ्लूएंज़ा टाइप A वायरस

  • इन्फ्लूएंज़ा A वायरस को दो प्रकार के प्रोटीन HA (Hemagglutinin) और NA (Neuraminidase) के आधार पर 18HA और 11NA उप-प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है। 
  • इन दो प्रोटीनों के कई संयोजन संभव हैं जैसे, H5N1, H7N2, H9N6, H17N10, H18N11 आदि।
  • इन्फ्लूएंज़ा A के सभी ज्ञात उप-प्रकार H17N10 और H18N11 उप-प्रकारों को छोड़कर अन्य सभी वायरस पक्षियों को संक्रमित कर सकते हैं, जो केवल चमगादड़ों में पाए गए हैं।

आगे की राह

  • संभावित रोगों के परिवर्तन/आगमन की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करने के लिये हमारे पर्यावरण में जंगली पक्षी और पशु रोग की माॅनीटरिंग की आवश्यकता है।
  • कम रोगजनक वायरस के लिये पोल्ट्री और घरेलू जलपक्षी की जाँच हेतु एक गहन अध्ययन की आवश्यकता है।
  • अध्ययन में यह भी पाया गया है कि H5N1 का प्रकोप झीलों, नदियों और तटीय आर्द्रभूमि के निकटतम स्थानों पर अधिक था। घरेलू पोल्ट्री व जंगली जलपक्षियों द्वारा सतही जल के मिश्रित उपयोग को अवरुद्ध करके एवियन इन्फ्लूएंज़ा वायरस के चक्रण को बाधित किया जा सकता है।
  • स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के कई जलपक्षी स्थलों की निगरानी पर ज़ोर दिया जाना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow