तापीय ऊर्जा संयंत्रों में बायोमास को-फायरिंग | 25 Oct 2023

प्रिलिम्स के लिये:

फसल अवशेष प्रबंधन (CRM), बायोमास को-फायरिंग, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM), तापीय ऊर्जा संयंत्र (TPP), पराली दहन।

मेन्स के लिये:

पर्यावरण एवं प्रकृति के संरक्षण पर बायोमास को-फायरिंग का प्रभाव और प्रासंगिकता।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हाल के वर्षों में सरकार ने बायोमास या फसल अवशेष प्रबंधन (Crop Residue Management- CRM) जैसे- बायोमास को-फायरिंग और बायो-सीएनजी के उत्पादन के नियंत्रण के पूर्व तंत्र पर ध्यान केंद्रित करके पराली दहन की समस्या से निपटने का प्रयास किया है।

  • सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (Centre for Science and Environment- CSE) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में कोयला आधारित तापीय ऊर्जा संयंत्रों में को-फायरिंग बायोमास पर नीति कार्यान्वयन की ज़मीनी प्रगति को समझने के लिये वर्ष 2022 में एक सर्वेक्षण-आधारित अध्ययन किया।

CSE द्वारा आयोजित सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदु:

  • सीमित बायोमास को-फायरिंग प्रगति:
    • इस अध्ययन से ज्ञात हुआ कि वर्ष 2022 के अंत तक को-फायरिंग में अधिकांश संयंत्र केवल परीक्षण योग्य थे या पूर्णत: प्रयोग में नहीं थी। दुर्भाग्य से तब से स्थिति में विशेष सुधार नहीं हुआ है। केवल तीन संयंत्रों ने दिसंबर, 2022 से अगस्त, 2023 तक बायोमास को-फायरिंग में वृद्धि की सूचना दी।
  • बायोमास को-फायरिंग कार्यान्वयन में विलंब के कारण:
    • CSE ने NCR और आसपास के क्षेत्रों में कोयला तापीय विद्युत संयंत्र (Thermal Power Plant- TPP) द्वारा अनिवार्य 5% को-फायरिंग को लागू करने में विलंब के कारणों की जाँच की।
      • हरदुआगंज तापीय विद्युत संयंत्र ने बायोमास को-फायरिंग में अपनी सफलता का श्रेय लगातार और वहनीय बायोमास आपूर्ति को दिया। हालाँकि वह भी स्वीकार करते हैं कि आपूर्ति शृंखला को और मज़ बूत करने की आवश्यकता है।
      • इसके विपरीत, हरियाणा पॉवर जेनरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPGCL) को तकनीकी सीमाओं तथा टॉरफाइड बायोमास पेलेट निर्माताओं की कमी के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
      • तकनीकी अवरोधों ने महात्मा गांधी थर्मल पावर प्लांट को आवश्यकतानुसार 5% तक बायोमास पेलेट्स को को-फायरिंग करने से रोक दिया क्योंकि ऐसा करने के लिये बड़े निवेश की आवश्यकता होती है, जिसका ऊर्जा दरों पर प्रभाव पड़ता है।
      • टॉरफाइड बायोमास पेलेट्स के निर्माण के लिये स्थापित तकनीक के अभाव के कारण तलवंडी साबू TPP को अपने संयंत्र के लिये विक्रेताओं को खोजने में संघर्ष करना पड़ा।
  • आपूर्ति चुनौतियों पर काबू पाने के प्रयास:
    • इंदिरा गांधी TPP जैसे कई संयंत्रों ने इन-हाउस पेलेट विनिर्माण इकाइयों को स्थापित करने हेतु कच्चे माल के लिये निविदाएँ जारी करके आपूर्ति चुनौती का समाधान करने के उपाय शुरू किये हैं और बायोमास पेलेट के लिये साझेदारी तथा इन-हाउस विनिर्माण का भी पता लगाया है।
  • कृषि-अग्नि के शमन हेतु बायोमास को-फायरिंग को लागू करने में चुनौतियाँ:
    • सरकार के निर्देशों और पेलेट निर्माण क्षमता बढ़ाने के प्रयासों के बावजूद, अध्ययन से पता चलता है कि बायोमास को-फायरिंग से कृषि-अग्नि में विशेष कमी नहीं आ सकती है।
    • कोयला TPP द्वारा टेंडरिंग से लेकर पेलेट निर्माताओं द्वारा फसल अवशेषों की खरीद तक पराली जलाने से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये सही योजना और एक समन्वित दृष्टिकोण आवश्यक है, जो समय के प्रति संवेदनशील है।

बायोमास को-फायरिंग:

  • परिचय:
    • बायोमास को-फायरिंग कोयला तापीय संयंत्रों में ईंधन के एक हिस्से को बायोमास से प्रतिस्थापित करने की प्रथा है।
    • बायोमास को-फायरिंग का अर्थ उच्च दक्षता वाले कोयला बॉयलरों में आंशिक विकल्प ईंधन के रूप में बायोमास जोड़ना है।
      • कोयला जलाने के लिये डिज़ाइन किये गए बॉयलरों में कोयले और बायोमास को एक साथ जलाया जाता है। इस प्रयोजन के लिये मौजूदा कोयला आधारित विद्युत संयंत्र को आंशिक रूप से पुनर्नर्मित और रेट्रोफिट करना आवश्यक है।
      • को-फायरिंग बायोमास को कुशल और स्वच्छ तरीके से विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करने एवं विद्युत् संयंत्र के ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करने का एक विकल्प है।
    • कोयला बेड़े (परिवहन जहाज़) को डीकार्बोनाइज़ करने के लिये बायोमास को-फायरिंग विश्व स्तर पर स्वीकृत एक लागत प्रभावी तरीका है।
      • भारत में आमतौर पर बायोमास को खेतों में जलाया जाता है जो देश में कोयला चुनौती का समाधान खोजने में रुचि की कमी को दर्शाता है।
      • वर्ष 2022 में बजट भाषण में वित्त मंत्री के अनुसार, थर्मल पावर प्लांटों में 5 से 7% बायोमास पेलेट को को-फायरिंग करने से प्रतिवर्ष 38 मिलियन टन कार्बन डाइ-ऑक्साइड उत्सर्जन को रोका जा सकता है।
  • बायोमास पेलेट उत्पादन हेतु कृषि अवशेष:
    • ऊर्जा मंत्रालय ने विभिन्न अधिशेष कृषि अवशेषों की पहचान की है जिनका उपयोग बायोमास पेलेट उत्पादन के लिये किया जा सकता है। इसमें शामिल हैं:
      • फसल अवशेष:
        • धान, सोया, अरहर, ग्वार, कपास, चना, ज्वार, बाजरा, मूंग, सरसों, तिल, मक्का, सूरजमुखी, जूट, कॉफी आदि फसलों के कृषि अवशेष।
      • शैल अपशिष्ट:
        • अपशिष्ट उत्पाद जैसे मूंगफली का छिलका, नारियल का छिलका, अरंडी के बीज का छिलका आदि।
  • अतिरिक्त बायोमास स्रोत:
    • बाँस और उसके उप-उत्पाद, बागवानी अपशिष्ट तथा अन्य बायोमास सामग्री जैसे पाइन कोन/सुई, एलीफैंट ग्रास, सरकंडा आदि।

बायोमास को-फायरिंग से संबंधित सरकारी हस्तक्षेप:

  • वित्तीय सहायता:
  • खरीद और आपूर्ति शृंखला:
    • सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल पर बायोमास श्रेणी का एक समर्पित खरीद प्रावधान स्थापित किया गया है।
    • ऊर्जा मंत्रालय ने निरंतर आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करते हुए बायोमास आपूर्ति हेतु एक संशोधित मॉडल दीर्घकालिक अनुबंध पेश किया है।
  • राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली में उद्यम आधार को शामिल करने से बायोमास से जुड़ी परियोजनाओं के लिये प्रशासनिक प्रक्रियाएँ सरल हुई हैं।
    • उद्यम आधार पंजीकरण प्रक्रिया स्व-घोषणा की अवधारणा पर आधारित है, जिसके तहत MSME को मुफ्त में स्वयं को पंजीकृत करना तथा उद्यम आधार नंबर प्राप्त करना आसान हो गया है

आगे की राह

  • बिजली संयंत्रों को बायोमास की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करना:
    • बिजली संयंत्रों को बायोमास की स्थिर आपूर्ति एक ऐसी विश्वसनीय आपूर्ति शृंखला विकसित करके सुनिश्चित की जा सकती है जो बायोमास को स्रोत से संयंत्र तक सुचारू रूप से ले जा सके।
      • बायोमास की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये किसानों, वानिकी कंपनियों या अन्य बायोमास आपूर्तिकर्त्ताओं के साथ भागीदारी करने की आवश्यकता है।
  • अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स का विकास:
    • बायोमास को-फायरिंग की सफलता के लिये बायोमास के परिवहन, भंडारण और प्रसंस्करण हेतु आवश्यक अवसंरचना एवं लॉजिस्टिक्स का विकास करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
      • इसमें नई भंडारण सुविधाओं का निर्माण, परिवहन नेटवर्क का उन्नयन या नई प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों में निवेश करना शामिल हो सकता है।
  • सुदृढ़ नियामक ढाँचा:
    • बायोमास को-फायरिंग नीति को एक सुदृढ़ नीति एवं नियामक ढाँचे द्वारा समर्थित होने की आवश्यकता है जो बायोमास को-फायरिंग के लिये प्रोत्साहन एवं समर्थन प्रदान करता हो।
      • इसमें विशेष बॉयलर, बर्नर और नियंत्रण प्रणालियाँ विकसित करना भी शामिल है जो बायोमास की अद्वितीय विशेषताओं को नियंत्रित कर सकते हैं, साथ ही इसमें बायोमास को-फायरिंग को समायोजित करने हेतु मौजूदा उपकरणों को फिर से संशोधित करना भी शामिल है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)

  1. कार्बन मोनोऑक्साइड
  2. मीथेन
  3. ओज़ोन
  4. सल्फर डाइ-ऑक्साइड

उपर्युक्त में से कौन फसल/बायोमास अवशेषों को जलाने के कारण वायुमंडल में उत्सर्जित होता है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)


प्रश्न. चीनी उद्योग के उप-उत्पादों की उपयोगिता के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2013)

  1. खोई का उपयोग ऊर्जा उत्पादन के लिये बायोमास ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
  2. कृत्रिम रासायनिक उर्वरकों के उत्पादन के लिये शीरे का उपयोग कच्चे मालो में से एक के रूप में किया जा सकता है।
  3. इथेनॉल के उत्पादन के लिये शीरे का उपयोग किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)