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ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास पेलेट्स की को-फायरिंग

  • 09 Aug 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बायोमास को-फायरिंग, संशोधित बायोमास नीति, ताप विद्युत संयंत्र, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्राथमिकता क्षेत्र ऋण, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस, नवीकरणीय ऊर्जा

मेन्स के लिये:

बायोमास को-फायरिंग के लाभ, भारत का शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर के दौरान संशोधित बायोमास नीति तथा 47 ताप विद्युत संयंत्रों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की, जिन्होंने कृषि अवशेषों से प्राप्त बायोमास पेलेट्स के साथ कोयले की को-फायरिंग को सफलतापूर्वक एकीकृत किया है।

  • विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power) के अनुसार, मई 2023 तक 47 कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में लगभग 1,64,976 मीट्रिक टन कृषि अवशेष-आधारित बायोमास की को-फायरिंग की गई है।

संशोधित बायोमास नीति:

  • परिचय:
    • विद्युत मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New & Renewable Energy- MNRE) ने ताप विद्युत संयंत्रों (Thermal Power Plant- TPP) के संचालन में कृषि अवशेष-आधारित बायोमास पेलेट्स (Biomass Pellets) को एकीकृत करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
    • यह ऊर्जा क्षेत्र को अधिक धारणीय और पर्यावरण अनुकूल बनाने की ओर संक्रमण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • संशोधित नीति:
    • 16 जून, 2023 को विद्युत मंत्रालय ने 8 अक्तूबर, 2021 की बायोमास नीति में संशोधन किया।
      • संशोधित नीति के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 से विद्युत ताप संयंत्र में 5% बायोमास को-फायरिंग प्रक्रिया का उपयोग अनिवार्य है।
      • वित्तीय वर्ष 2025-26 से बायोमास को-फायरिंग प्रक्रिया के उपयोग की अनिवार्यता को बढ़ाकर 7% कर दिया जाएगा।

बायोमास को-फायरिंग से संबंधित सरकारी हस्तक्षेप:

  • वित्तीय सहायता:
    • MNRE और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) ने बायोमास पेलेट्स विनिर्माण इकाइयों को सहायता प्रदान करने के लिये वित्त सहायता योजनाएँ शुरू की हैं।
    • भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending- PSL) के तहत एक गतिविधि के रूप में 'बायोमास पेलेट विनिर्माण' को मंज़ूरी दी है, जिससे ऐसे प्रयासों के लिये वित्तीय व्यवहार्यता को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • खरीद और आपूर्ति शृंखला:
    • गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस पोर्टल पर बायोमास की खरीद के लिये एक विशेष श्रेणी तैयार की गई है।
    • विश्वसनीय आपूर्ति शृंखला के आश्वासन हेतु विद्युत मंत्रालय द्वारा बायोमास आपूर्ति के लिये एक संशोधित मॉडल दीर्घकालिक अनुबंध (Revised Model Long-Term Contract) पेश किया गया है।
    • राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली में उद्यम आधार को शामिल करने से बायोमास से जुड़ी परियोजनाओं के लिये प्रशासनिक प्रक्रियाएँ सरल हुई हैं।
      • उद्यम आधार पंजीकरण प्रक्रिया स्व-घोषणा की अवधारणा पर आधारित है, जिसके तहत MSMEs को मुफ्त में स्वयं को पंजीकृत करना तथा उद्यम आधार नंबर प्राप्त करना आसान हो गया है।

बायोमास को-फायरिंग:

  • परिचय:
    • बायोमास को-फायरिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये बायोमास-आधारित ईंधन को पारंपरिक जीवाश्म ईंधन (जैसे- कोयला, तेल अथवा प्राकृतिक गैस) के साथ एक ही विद्युत् संयंत्र या औद्योगिक बॉयलर में जलाया जाता है।
    • बायोमास पेलेट्स और कोयले की को-फायरिंग के लाभ:
      • कार्बन उत्सर्जन में कमी: बायोमास को-फायरिंग की अवधारणा जीवाश्म ईंधन के एक हिस्से को बायोमास के साथ प्रतिस्थापित करके ऊर्जा उत्पादन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने पर आधारित है, ऐसा माना जाता है कि यह प्रक्रिया अपने जीवनचक्र में कार्बन-तटस्थ (Carbon-Neutral) है।
    • कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों में बायोमास के साथ 5-7% कोयले का प्रतिस्थापन 38 मिलियन टन कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कर सकता है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण: यह प्रक्रिया पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों (कोयला) के साथ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (बायोमास) को एकीकृत करने में मदद करती है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा मिश्रण की ओर संक्रमण में सहायता मिलती है।
    • आर्थिक और विनियामक लाभ: को-फायरिंग से बिजली संयंत्रों को महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे में बदलाव की आवश्यकता के बिना पर्यावरणीय नियमों और कार्बन कटौती लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।
    • बायोमास अपशिष्ट का उपयोग: कृषि और वानिकी अपशिष्ट जो अन्यथा क्षय हो जाते हैं, इन्हें को-फायरिंग के माध्यम से उत्पादक तरीकों से उपयोग में लाया जा सकता है।
  • बायोमास पेलेट्स उत्पादन के लिये कृषि अवशेष: विद्युत मंत्रालय ने विभिन्न अधिशेष कृषि अवशेषों की पहचान की है जिनका उपयोग बायोमास पेलेट्स उत्पादन के लिये किया जा सकता है। इसमें शामिल हैं:
    • फसल अवशेष:
      • धान, सोया, अरहर, ग्वार, कपास, चना, ज्वार, बाजरा, मूँग, सरसों, तिल, मक्का, सूरजमुखी, जूट, कॉफी आदि जैसी कृषि फसलों के अवशेष।
    • शैल अपशिष्ट:
      • अपशिष्ट उत्पाद जैसे मूँगफली का छिलका, नारियल का छिलका, अरंडी के बीज का छिलका आदि।
    • अतिरिक्त बायोमास स्रोत:
      • बाँस तथा इसके उप-उत्पाद, बागवानी अपशिष्ट के साथ अन्य बायोमास सामग्री जैसे- पाइन शंकु या सुई, हाथी घास, सरकंडा आदि।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)

  1. कार्बन मोनोऑक्साइड
  2. मीथेन
  3. ओज़ोन
  4. सल्फर डाइऑक्साइड

उपरोक्त में से कौन फसल/बायोमास अवशेषों को जलाने के कारण वायुमंडल में उत्सर्जित होता है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)

स्रोत: पी.आई.बी.

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