भारत 6G प्रोजेक्ट | 23 Mar 2023

प्रिलिम्स के लिये:

भारत 6G प्रोजेक्ट, कॉल बिफोर यू डिग, आत्मनिर्भर भारत, ई-गवर्नेंस, ऑप्टिकल फाइबर 

मेन्स के लिये:

भारत 6G प्रोजेक्ट, 6G 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने वर्ष 2030 तक हाई-स्पीड 6G संचार सेवाओं को शुरू करने के लिये एक परिकल्पित दस्तावेज़ का अनावरण किया है और भारत में अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी की पहचान तथा अनुसंधान एवं परिनियोजन के लिये भारत 6G प्रोजेक्ट भी शुरू किया।

  • खुदाई के कारण होने वाले नुकसान को रोकने के लिये उत्खनन एजेंसियों और भूमिगत उपयोज्यता मालिकों  के बीच समन्वय की सुविधा के लिये सरकार ने 'कॉल बिफोर यू डिग (CBuD)' एप भी शुरू किया है। 

भारत 6G प्रोजेक्ट: 

  • परिचय: 
    • भारत के 6G प्रोजेक्ट को दो चरणों- पहला चरण वर्ष 2023 से 2025 तक और दूसरा चरण वर्ष 2025 से 2030 तक कार्यान्वित किया जाएगा।   
    • सरकार ने परियोजना की देख-रेख और मानकीकरण, 6G उपयोग के लिये स्पेक्ट्रम की पहचान, उपकरणों और प्रणालियों के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने तथा अन्य बातों के अलावा अनुसंधान एवं विकास के लिये वित्त का पता लगाने जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने हेतु एक शीर्ष परिषद का गठन किया है।
      • काउंसिल का मुख्य फोकस नई तकनीकों जैसे कि टेराहर्ट्ज़ संवाद, रेडियो इंटरफेस, टैक्टाइल इंटरनेट, कनेक्टेड इंटेलिजेंस के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 6G डिवाइस हेतु नए एन्कोडिंग तरीके और वेवफॉर्म चिपसेट पर होगा।
  • चरण: 
    • पहले चरण में अनुसंधान विचारों, जोखिम भरे माध्यमों एवं प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट (PoC) परीक्षणों के लिये समर्थन प्रदान किया जाएगा।  
    • चरण दो के हिस्से के रूप में वैश्विक सहकर्मी समुदाय द्वारा स्वीकृति के लिये वादा और क्षमतावान विचारों एवं अवधारणाओं को पूरा करना, उनके उपयोग एवं लाभ तथा व्यावसायीकरण के लिये कार्यान्वयन IP और टेस्टबेड बनाने के लिये उचित समर्थन दिया जाएगा।
  • उद्देश्य: 
    • यह भारत को सस्ते 6G दूरसंचार प्रणालियों के लिये बौद्धिक संपदा, उत्पादों और समाधानों के एक प्रमुख विश्वव्यापी आपूर्तिकर्त्ता के रूप में स्थापित करने के साथ-साथ भारत के तुलनात्मक लाभों के आधार पर 6G अनुसंधान के लिये प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करना चाहता है।
  • महत्त्व: 
    • यह परियोजना स्टार्टअप, शोधकर्त्ताओं, उद्योग एवं भारत में अन्य ब्रॉडबैंड वायरलेस अनुप्रयोगों जैसे- ई-गवर्नेंस, स्मार्ट सिटी, ग्रामीण ब्रॉडबैंड या आत्मनिर्भर भारत के तहत अन्य डिजिटल इंडिया पहलों को एक R&D प्लेटफॉर्म प्रदान करेगी। 

भारत का डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र परिदृश्य: 

  • भारत विश्व स्तर पर 1.2 बिलियन डिजिटल ग्राहकों के साथ दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाज़ार है।
  • भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था पिछले नौ वर्षों में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की तुलना में 2.5 गुना तेज़ी से बढ़ी है, यह एक असाधारण डिजिटल बढ़त है।
    • इस अवधि में ब्रॉडबैंड उपयोगकर्त्ताओं की संख्या 60 मिलियन से बढ़कर 800 मिलियन हो गई और इंटरनेट कनेक्शन की संख्या 250 मिलियन से बढ़कर 850 मिलियन हो गई। इसके अलावा सरकार और निजी क्षेत्र ने मिलकर 25 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है।
  • प्रतिदिन 70 मिलियन ई-प्रमाणीकरण और मासिक 8 बिलियन यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) लेन-देन के साथ भारत विश्व में सबसे ज़्यादा जुड़ा हुआ लोकतंत्र है।
  • भारत ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से अपने नागरिकों को सीधे 28 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि भेजी है।

6G प्रौद्योगिकी: 

  • छठी पीढ़ी का वायरलेस (6G) 5G सेलुलर प्रौद्योगिकी का का स्थान लेगा है।
  • यह 5G नेटवर्क की तुलना में उच्च आवृत्तियों का उपयोग करने में सक्षम होगा और काफी अधिक क्षमता एवं तीव्रता प्रदान करेगा।
  • माइक्रोसेकंड-लॅटेन्सी संचार (संचार में एक-माइक्रोसेकंड का विलंब) का समर्थन 6G इंटरनेट के लक्ष्यों में से एक होगा।
    • यह एक मिलीसेकंड प्रवाह क्षमता की तुलना में 1,000 गुना तेज़ या 1/1000वाँ विलंबता (देरी) की स्थिति प्रदान करेगा।
  • यह फ्रीक्वेंसी के वर्तमान में अप्रयुक्त टेराहर्ट्ज़ बैंड का उपयोग करेगा।
    • टेराहर्ट्ज़ तरंगें विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम पर अवरक्त तरंगों और माइक्रोवेव के बीच होती हैं।
    • ये तरंगें बेहद छोटी और नाजुक होती हैं, लेकिन वहाँ पर मुक्त स्पेक्ट्रम सर्वाधिक मात्रा में होते हैं जो प्रभावशाली डेटा दरों की अनुमति देते हैं।

6G

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस