बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना | 15 Jul 2022
प्रिलिम्स के लिये:बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, वन-स्टॉप सेंटर। मेन्स के लिये:बालिकाओं के अधिकार, संबंधित मुद्दे और इस संबंध में कदम उठाने की ज़रूरत। |
चर्चा में क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना को सभी ज़िलों में लागू किया जाएगा।
दिशा-निर्देश:
- मंत्रालय ने अब जन्म के समय लिंगानुपात (SRB) में प्रतिवर्ष 2 अंक सुधार और संस्थागत प्रसव में 95% या उससे अधिक सुधार का लक्ष्य रखा है।
- 'खेलो इंडिया' के तहत प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें उपयुक्त प्राधिकारियों से जोड़कर खेलों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाना है।
- आत्मरक्षा शिविरों को बढ़ावा देना, लड़कियों के लिये शौचालयों का निर्माण, सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन और सैनिटरी पैड उपलब्ध कराना, विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों में PC-PNDT (पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक) अधिनियम 1994 के बारे में जागरूकता आदि।
- PC-PNDT अधिनियम का उद्देश्य पूर्व गर्भाधान या बाद में लिंग चयन तकनीकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना और लिंग-चयनात्मक गर्भपात के लिये प्रसव-पूर्व निदान तकनीक के दुरुपयोग को रोकना है।
- शून्य-बजट विज्ञापन और ज़मीनी प्रभाव वाली गतिविधियों पर अधिक खर्च को प्रोत्साहित करना।
- वर्ष 2021 में महिलाओं के सशक्तीकरण पर संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि BBBP योजना में लगभग 80% धन का उपयोग विज्ञापनों के लिये किया गया है, न कि महिलाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा पर।
- घरेलू हिंसा और तस्करी सहित हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं की मदद के लिये स्थापित वन-स्टॉप सेंटर (OSC) को मज़बूत करना, उन ज़िलों में 300 OSC जोड़कर, जहांँ या तो महिलाओं के खिलाफ अपराधों की उच्च दर है या भौगोलिक रूप से बड़े हैं, विशेषतः आकांक्षी ज़िलों में।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ:
- परिचय:
- इसे जनवरी 2015 में लिंग चयनात्मक गर्भपात (Sex Selective Abortion) और गिरते बाल लिंग अनुपात (Declining Child Sex Ratio) को संबोधित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जो 2011 में प्रति 1,000 लड़कों पर 918 लड़कियाँ था।.
- यह महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक संयुक्त पहल है।
- यह कार्यक्रम देश के 405 ज़िलों में लागू किया जा रहा है।
- मुख्य उद्देश्य:
- लिंग आधारित चयन पर रोकथाम।
- बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं के लिये शिक्षा की उचित व्यवस्था तथा उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा करना।
- योजना का प्रदर्शन:
- जन्म के समय लिंग अनुपात:
- स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (Health Management Information System- HMIS) से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014-15 में जन्म के समय लिंग अनुपात 918 था जो वर्ष 2019-20 में 16 अंकों के सुधार के साथ बढ़कर 934 हो गया है।
- महत्त्वपूर्ण उदाहरण:
- मऊ (उत्तर प्रदेश) में वर्ष 2014-15 से वर्ष 2019-20 तक लिंग अनुपात 694 से बढ़कर 951 हुआ है।
- करनाल (हरियाणा) में वर्ष 2014-15 से वर्ष 2019-20 तक यह अनुपात 758 से बढ़कर 898 हो गया है।
- महेन्द्रगढ़ (हरियाणा) में वर्ष 2014-15 से वर्ष 2019-20 तक यह 791 से बढ़कर 919 हो गया।
- स्वास्थ्य:
- ANC पंजीकरण: पहली तिमाही में प्रसव पूर्व देखभाल (AnteNatal Care- ANC) पंजीकरण में सुधार का रुझान वर्ष 2014-15 के 61% से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 71% देखा गया है।
- संस्थागत प्रसव में सुधार का प्रतिशत वर्ष 2014-15 के 87% से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 94% तक पहुँच गया है।
- शिक्षा:
- सकल नामांकन अनुपात (GER): शिक्षा के लिये एकीकृत ज़िला सूचना प्रणाली (UDISE) के अंतिम आंँकड़ों के अनुसार, माध्यमिक स्तर पर स्कूलों में बालिकाओं के सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio-GER) में 77.45 (वर्ष 2014-15) से 81.32 (वर्ष 2018-19) तक सुधार हुआ है।
- लड़कियों के लिये शौचालय: लड़कियों के लिये अलग शौचालय वाले स्कूलों का प्रतिशत वर्ष 2014-15 में 92.1% से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 95.1% हो गया है।
- मनोवृत्ति परिवर्तन:
- BBBP योजना कन्या भ्रूण हत्या के महत्त्वपूर्ण मुद्दे, लड़कियों के बीच शिक्षा की कमी और जीवन चक्र निरंतरता पर उनको अधिकारों से वंचित करने पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम रही है।
- बेटी जन्मोत्सव प्रत्येक ज़िले में मनाए जाने वाले प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है।
- सकल नामांकन अनुपात (GER): शिक्षा के लिये एकीकृत ज़िला सूचना प्रणाली (UDISE) के अंतिम आंँकड़ों के अनुसार, माध्यमिक स्तर पर स्कूलों में बालिकाओं के सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio-GER) में 77.45 (वर्ष 2014-15) से 81.32 (वर्ष 2018-19) तक सुधार हुआ है।