शासन व्यवस्था
VLC मीडिया प्लेयर पर प्रतिबंध
- 19 Aug 2022
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम 2000, सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2009, धारा 69A, कंटेंट पर प्रतिबंध लगाने में कार्यकारी की शक्तियाँ, साइबर सुरक्षा मेन्स के लिये:सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधान, कंटेंट को विनियमित करने में सरकार की शक्तियाँ, साइबर सुरक्षा के लिये सरकार की पहल |
चर्चा में क्यों?
वीडियोलैन क्लाइंट (VLC) मीडिया प्लेयर की वेबसाइट को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
- जबकि VLC का कहना है कि उसके आँकड़ों के अनुसार भारत में फरवरी 2022 से उसकी वेबसाइट पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
VLC और उस पर आरोपित प्रतिबंध:
- VLC:
- VLC ने 90 के दशक के उत्तरार्ध में भारत में लोकप्रियता हासिल की जब सूचना प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण भारत में पर्सनल कंप्यूटर का प्रवेश हुआ।
- एक मुक्त और खुला स्रोत होने के अलावा, VLC आसानी से अन्य प्लेटफॉर्म्स और स्ट्रीमिंग सेवाओं के साथ एकीकृत हो जाता है एवं अतिरिक्त कोडेक की आवश्यकता के बिना सभी फाइल स्वरूपों का समर्थन करता है।
- VLC पर प्रतिबंध:
- VLC वेबसाइट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, फिर भी VLC ऐप गूगल और ऐप्पल स्टोर्स पर डाउनलोड के लिये उपलब्ध है।
- VLC वेबसाइट पर प्रतिबंध के संबंध में नागरिक समाज संगठनों ने कई बार सूचना का अधिकार (RTI) आवेदन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के पास दायर किये हैं।
- हालाँकि इन आवेदनों उत्तर में मंत्रालय ने "किसी भी प्रकार की जानकारी उपलब्ध न होने" की बात कही है।
- जब वेबसाइट को पहले एक्सेस किया गया था, तो उस पर "सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आदेश के अनुसार वेबसाइट को अवरुद्ध कर दिया गया है" का संदेश प्रदर्शित किया गया था।
- प्रतिबंध के कारण:
- चीन का दखल :
- अप्रैल 2022 में साइबर सुरक्षा फर्म, सिमेंटेक की रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि कथित तौर पर चीन द्वारा समर्थित एक हैकर समूह, सिकाडा मैलवेयर को सक्रिय करने के लिये वीएलसी मीडिया प्लेयर का उपयोग कर रहा है।
- सुरक्षित सर्वर:
- VLC वेबसाइट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है; इसका ऐप, ऐप स्टोर के सर्वर के रूप में डाउनलोड के लिये उपलब्ध है, जहाँ मोबाइल ऐप होस्ट किये जाते हैं, यह उन सर्वरों की तुलना में सुरक्षित माने जाते हैं जहाँ डेस्कटॉप संस्करण होस्ट किये जाते हैं।
- चीन का दखल :
सरकार जनता के लिये ऑनलाइन कंटेंट पर कब प्रतिबंध लगा सकती है?
- ऐसे दो मार्ग हैं जिनके माध्यम से कंटेंट को ऑनलाइन अवरुद्ध किया जा सकता है:
- कार्यपालिका:
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A:
- धारा 69 A सरकार को किसी मध्यस्थ को भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों या सार्वजनिक व्यवस्था के हित में या किसी भी संज्ञेय अपराध के कमीशन के लिये उकसाने से रोकने के लिये किसी भी कंप्यूटर संसाधन में उत्पन्न, प्रेषित, प्राप्त, संग्रहीत या होस्ट की गई किसी भी जानकारी को "जनता द्वारा पहुंँच के लिये अवरुद्ध" करने का निर्देश देती है।
- धारा 69A संविधान के अनुच्छेद 19 (2) से अपनी शक्ति प्राप्त करती है जो सरकार को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर उचित प्रतिबंध लगाने की अनुमति देती है।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A:
- न्यायपालिका:
- भारत में न्यायालयों के पास पीड़ित/वादी को प्रभावी उपचार प्रदान करने के लिये मध्यस्थों को भारत में कंटेंट को अनुपलब्ध बनाने का निर्देश देने की शक्ति है।
- उदाहरण के लिये, न्यायालय इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को उन वेबसाइटों को ब्लॉक करने का आदेश दे सकती हैं जो पायरेटेड कंटेंट तक पहुँच प्रदान करती हैं और वादी के कॉपीराइट का उल्लंघन करती हैं।
- भारत में न्यायालयों के पास पीड़ित/वादी को प्रभावी उपचार प्रदान करने के लिये मध्यस्थों को भारत में कंटेंट को अनुपलब्ध बनाने का निर्देश देने की शक्ति है।
- कार्यपालिका:
कंटेंट को ऑनलाइन ब्लॉक करने की प्रक्रिया क्या है?
- परिचय:
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत तैयार की गई सूचना प्रौद्योगिकी (जनता द्वारा सूचना की पहुँच को अवरुद्ध करने के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा) नियम, 2009 (आईटी नियम, 2009) द्वारा कंटेंट को अवरुद्ध करने की विस्तृत प्रक्रिया प्रदान की गई है।
- केवल केंद्र सरकार मध्यस्थों को सीधे ऑनलाइन कंटेंट तक पहुँच को अवरुद्ध करने के निर्देश देने की शक्ति का प्रयोग कर सकती है न कि राज्य सरकार।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत तैयार की गई सूचना प्रौद्योगिकी (जनता द्वारा सूचना की पहुँच को अवरुद्ध करने के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा) नियम, 2009 (आईटी नियम, 2009) द्वारा कंटेंट को अवरुद्ध करने की विस्तृत प्रक्रिया प्रदान की गई है।
- प्रक्रिया:
- केंद्र या राज्य एजेंसियांँ एक "नोडल अधिकारी" नियुक्त करती हैं जो केंद्र सरकार के "नामित अधिकारी" को प्रतिबंधित करने के आदेश को अग्रेषित करेगा।
- एक समिति के हिस्से के रूप में नामित अधिकारी नोडल अधिकारी के अनुरोध की जाँच करता है।
- समिति में कानून और न्याय मंत्रालय, सूचना और प्रसारण, गृह मामलों और CERT-IN के प्रतिनिधि शामिल हैं।
- विचाराधीन कंटेंट के निर्माता/होस्ट को स्पष्टीकरण और उत्तर प्रस्तुत करने के लिये एक नोटिस दिया जाता है।
- इसके बाद समिति सिफारिश करती है कि नोडल अधिकारी के अनुरोध को स्वीकार किया जाना चाहिये या नहीं।
- यदि इस सिफारिश को MEITY द्वारा अनुमोदित किया जाता है, तो नामित अधिकारी कंटेंट को हटाने के लिए मध्यस्थ को निर्देश दे सकता है।
साइबर सुरक्षा के लिये सरकार की पहल:
- साइबर सुरक्षित भारत पहल
- साइबर स्वच्छता केंद्र
- ऑनलाइन साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)
- राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC)
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति 2020
आगे की राह
- पारदर्शिता:
- आईटी नियम, 2009 के नियम 16 में प्रावधान है कि आईटी नियम, 2009 के तहत किसी भी अनुरोध या कार्रवाई के संबंध में सख्त गोपनीयता बनाए रखी जानी चाहिये।
- इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिये और पारदर्शिता का एक तत्त्व पेश किया जाना चाहिये क्योंकि इस पर कोई स्पष्टता नहीं है कि VLC को क्यों अवरुद्ध किया गया है।
- आईटी नियम, 2009 के नियम 16 में प्रावधान है कि आईटी नियम, 2009 के तहत किसी भी अनुरोध या कार्रवाई के संबंध में सख्त गोपनीयता बनाए रखी जानी चाहिये।
- जवाब देने का अवसर:
- निर्माता/मेजबान द्वारा स्पष्टीकरण/जवाब प्रस्तुत करने के अवसर की कमी नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है।
- निर्माता/मेजबान को संबंधित प्राधिकारी के सामने अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिये उचित समय दिया जाना चाहिये।
- निर्माता/मेजबान द्वारा स्पष्टीकरण/जवाब प्रस्तुत करने के अवसर की कमी नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है।
- समीक्षा समिति प्रभावशीलता:
- यह देखा गया है कि समीक्षा समिति जिसे आदेशों की समीक्षा के लिये प्रत्येक दो महीने में बैठक करनी होती है समिति के किसी भी निर्णय से असहमत नहीं है।.
- इसे समिति के आदेशों की गहन विश्लेषण के साथ समीक्षा करने और उचित सिफारिशें प्रदान करने का प्रयास करना चाहिये।
- इसे समिति के आदेशों की गहन विश्लेषण के साथ समीक्षा करने और उचित सिफारिशें प्रदान करने का प्रयास करना चाहिये।
- यह देखा गया है कि समीक्षा समिति जिसे आदेशों की समीक्षा के लिये प्रत्येक दो महीने में बैठक करनी होती है समिति के किसी भी निर्णय से असहमत नहीं है।.
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ):प्रिलिम्स के लिये:प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d)
प्रश्न. भारत के प्रमुख शहरों में आईटी उद्योगों के विकास से उत्पन्न होने वाले मुख्य सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ क्या हैं? (मुख्य परीक्षा, 2021) प्रश्न. विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों और खतरे से लड़ने के लिये आवश्यक उपायों पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2020) प्रश्न. बढ़ते साइबर अपराधों के कारण डिजिटल दुनिया में डेटा सुरक्षा ने महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण कर लिया है। न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट डेटा सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को संबोधित करती है। आपके विचार में साइबर स्पेस में व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा से संबंधित रिपोर्ट की ताकत और कमज़ोरियाँ क्या हैं? (मुख्य परीक्षा, 2018) |