डायरिया रोग और पोषण पर एशियाई सम्मेलन | 14 Nov 2022
प्रिलिम्स के लिये:डायरिया, हैज़ा, टाइफाइड, ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS), इंटेंसिफाइड डायरिया कंट्रोल फोर्टनाइट (IDCF), निमोनिया और डायरिया की रोकथाम और नियंत्रण के लिये एकीकृत कार्ययोजना (IAPPD), वैश्वीकृत प्रतिरक्षण योजना (UIP), निमोनिया की सफलतापूर्वक रोकथाम के लिये सामजिक जागरूकता और कार्रवाई (SAANS) अभियान, रोटावायरस वैक्सीन ड्राइव। मेन्स के लिये:डायरिया रोग से संबंधित सरकारी पहलें। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने कोलकाता में 16वें डायरिया रोग और पोषण पर एशियाई सम्मेलन (ASCODD) को संबोधित किया। भारत व अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, अफ्रीकी देशों, अमेरिका और यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों ने वर्चुअल माध्यम के ज़रिये इस सम्मेलन में हिस्सा लिया।
सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ:
- इस ASCODD की थीम "सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हैजा, टाइफाइड और आंत संबंधी अन्य रोगों की रोकथाम व नियंत्रण: SARS-CoV-2 महामारी से आगे" थी।
- इस सम्मेलन के प्रमुख मुद्दे: इनमें आँतों का संक्रमण, पोषण, 2030 तक हैजा को समाप्त करने के लिये रोडमैप सहित नीति व इसका अभ्यास, हैजा के टीके का विकास व त्वरित नैदानिकी, आँतों के जीवाणु के रोगाणुरोधी प्रतिरोध के समकालीन दृष्टिकोण: नई पहल व चुनौतियाँ, शिगेला spp सहित आंतों का जीवाणु संक्रमण, महामारी विज्ञान, हेपेटाइटिस सहित अन्य वायरल संक्रमणों की बड़ी संख्या व इसके निवारण के लिये टीके आदि के साथ-साथ कोविड महामारी के दौरान डायरिया अनुसंधान पर प्राप्त सीख शामिल हैं।
- डिजिटल इंडिया पहल के तहत ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली, अस्पताल प्रबंधन के लिये ई-अस्पताल, ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन एप जैसी भारतीय पहलों पर प्रकाश डाला गया।
डायरिया रोग:
- परिचय:
- डायरिया को किसी व्यक्ति द्वारा बार-बार उल्टी और दस्त करने (या व्यक्ति द्वारा सामान्य से अधिक दस्त करने), जिससे डिहाइड्रेशन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, के रूप में परिभाषित किया गया है ।
- डायरिया से उत्पन्न सबसे गंभीर खतरा निर्जलीकरण है।
- डायरिया रोग के दौरान तरल मल, उल्टी, पसीना, मूत्र और श्वास के माध्यम से पानी एवं इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, क्लोराइड, पोटेशियम तथा बाइकार्बोनेट) की कमी हो जाती है।
- निर्जलीकरण तब होता है जब इन नुकसानों की पूर्ति नहीं की जाती है।
- सांख्यिकी:
- डायरिया रोग 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मौत का दूसरा प्रमुख कारण है।
- हर साल दस्त से 5 साल से कम उम्र के लगभग 525,000 बच्चे मर जाते हैं।
- वैश्विक स्तर पर, हर साल बचपन में दस्त रोग के लगभग 1.7 बिलियन मामले सामने आते हैंं।
- डायरिया रोग 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मौत का दूसरा प्रमुख कारण है।
- प्रकार:
- एक्यूट वाटरी डायरिया - कई घंटों या दिनों तक रहता है, और इसमें हैज़ा शामिल है;;
- एक्यूट ब्लडी डायरिया - जिसे पेचिश भी कहा जाता है; और
- परसिस्टेंट डायरिया - 14 दिनों या उससे अधिक समय तक रहता है।
- कारण:
- संक्रमण: दस्त हैजा और टाइफाइड जैसे जीवाणु संक्रमण, या वायरल और परजीवी जीवों के कारण हो सकता है, जिनमें से अधिकांश मल-दूषित पानी से फैलते हैं।
- कुपोषण: दस्त से मरने वाले बच्चे अक्सर अंतर्निहित कुपोषण से पीड़ित होते हैं, जो उन्हें दस्त के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है।
- दूषित भोजन और पानी: मानव मल के साथ संदूषण, उदाहरण के लिये, सीवेज, सेप्टिक टैंक और शौचालय, विशेष चिंता का विषय है। पशु मल में सूक्ष्मजीव भी होते हैं जो दस्त का कारण बन सकते हैं।
- रोकथाम:
- सुरक्षित पेयजल तक पहुँच;
- बेहतर स्वच्छता का उपयोग;
- साबुन से हाथ धोना;
- जीवन के पहले छह महीनों के लिये विशेष स्तनपान;
- अच्छी व्यक्तिगत और खाद्य स्वच्छता;
- संक्रमण फैलने के बारे में स्वास्थ्य शिक्षा; और
- रोटावायरस टीकाकरण।
- उपचार:
- ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) के साथ पुनर्जलीकरण: ORS साफ पानी, नमक और चीनी का मिश्रण है। इसमें प्रति उपचार कुछ पैसे खर्च होते हैं। ORS छोटी आँत में अवशोषित होता है तथा मल के रूप में निकले पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स को प्रतिस्थापित करता है।
- जिंक सप्लीमेंट्स: जिंक सप्लीमेंट्स दस्त की अवधि को 25% तक कम कर देते हैं और मल की मात्रा में 30% की कमी से जुड़े होते हैं।
- अंतःशिरा तरल पदार्थ के साथ पुनर्जलीकरण: यह गंभीर निर्जलीकरण या सदमे के मामले में किया जाता है।
- पोषक तत्त्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ: कुपोषण और दस्त के दुष्चक्र को माता का दूध सहित पोषक तत्त्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ और पौष्टिक आहार खिलाकर खत्म किया जा सकता है – जीवन के पहले छह महीनों के लिये विशेष स्तनपान सहित पौष्टिक आहार दिया जा सकता है
- स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श: दस्त या जब मल में रक्त हो या निर्जलीकरण के लक्षण हो तो स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करना।
भारत द्वारा की गई पहलें:
- राष्ट्रव्यापी डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा (IDCF): दस्त में ORS और जिंक के उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये वर्ष 2014 से पूर्व मानसून/मानसून मौसम के दौरान IDCF का आयोजन किया जाता है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2014 से 'बचपन में दस्त के कारण होने वाली बच्चों की मृत्यु को शून्य है।
- निमोनिया और डायरिया की रोकथाम और नियंत्रण हेतु एकीकृत कार्ययोजना (IAPPD): वर्ष 2014 में भारत ने डायरिया और निमोनिया के कारण पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौतों की रोकथाम के लिये सहयोगात्मक प्रयास करने हेतु 'निमोनिया और डायरिया की रोकथाम और नियंत्रण संबंधी एकीकृत कार्ययोजना (Integrated Action Plan for Prevention and Control of Pneumonia and Diarrhoea- IAPPD) शुरू की है।
- सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP): यह वर्ष 1985 में सरकार द्वारा शुरू किया गया था और निमोनिया एवं डायरिया सहित 12 वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं में मृत्यु दर व रुग्णता को रोकता है।
- निमोनिया को सफलतापूर्वक रोकने हेतु सामाजिक जागरूकता और कार्रवाई (SAANS): इसका उद्देश्य निमोनिया के कारण बाल मृत्यु दर को कम करना है, जो पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु के मामले में सालाना लगभग 15% है।
- रोटावायरस वैक्सीन ड्राइव: वर्ष 2019 में भारत सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में रोटावायरस वैक्सीन ड्राइव शुरू की, जो रोटावायरस वैक्सीन का एक अभूतपूर्व राष्ट्रीय पैमाना था।