आशा कार्यकर्त्ता और संबंधित चुनौतियाँ | 28 Feb 2024
प्रिलिम्स के लिये:मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, ORS, एनीमिया, कुपोषण, गैर-संचारी रोग मेन्स के लिये:आशा कार्यकर्त्ताओं की प्रमुख भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ तथा उनके सम्मुख चुनौतियाँ |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बेंगलुरु में मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता (आशा) के कर्मियों ने कामकाजी परिस्थितियों और वेतन से संबंधित चिंताओं को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जो भारत की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा प्रणाली से संबंधित चुनौतियों पर प्रकाश डालता है।
आशा कार्यकर्त्ता कौन हैं और उनकी ज़िम्मेदारियाँ क्या हैं?
- पृष्ठभूमि: वर्ष 2002 में छत्तीसगढ़ ने महिलाओं को मितानिन अथवा सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं के रूप में नियुक्त कर सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल के लिये एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण की शुरुआत की।
- मितानिनों ने वंचित समुदायों के लिये सहायक के रूप में भूमिका निभाते हुए दूरस्थ स्वास्थ्य प्रणालियों तथा स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य किया।
- मितानिनों की सफलता से प्रेरित होकर केंद्र सरकार ने वर्ष 2005-06 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत आशा कार्यक्रम का शुभारंभ किया तथा वर्ष 2013 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत के साथ शहरी क्षेत्रों में इसका विस्तार किया गया।
- परिचय: आशा कार्यकर्त्ताओं का चयन गाँव के निवासियों में से ही किया जाता है और वे गाँव के निवासियों के प्रति ही उत्तरदायी होते हैं। इन्हें समुदाय और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के बीच एक कड़ी के रूप कार्य करने के लिये प्रशिक्षित किया जाता है।
- वे मुख्य रूप से ग्रामीण महिलाएँ हैं, जिनकी उम्र 25 से 45 वर्ष के बीच है, विशेष रूप से कर 10वीं कक्षा तक शिक्षित होती हैं।
- आमतौर पर प्रति 1000 लोगों पर 1 आशा होती है। हालाँकि आदिवासी, पहाड़ी तथा रेगिस्तानी क्षेत्रों में इस अनुपात को कार्यभार के आधार पर प्रति बस्ती एक आशा पर समायोजित किया जा सकता है।
- प्रमुख उत्तरदायित्व:
- वे स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं, विशेषकर महिलाओं तथा बच्चों के लिये संपर्क के प्राथमिक सहायक के रूप में कार्य करती हैं।
- उन्हें टीकाकरण, प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं के साथ घरेलू शौचालयों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिये प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन प्राप्त होता है।
- वे जन्म-पूर्व, सुरक्षित प्रसव, स्तनपान, टीकाकरण, गर्भनिरोधक के साथ-साथ सामान्य संक्रमणों की रोकथाम पर परामर्श देती हैं।
- वे आंगनवाड़ी,उप-केंद्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं तक सामुदायिक पहुँच की सुविधा भी प्रदान करती हैं।
- वे ORS, IFA टैबलेट, गर्भनिरोधक आदि जैसे आवश्यक प्रावधानों के लिये डिपो धारक के रूप में कार्य करते हैं।
आशा कार्यकर्त्ताओं के सामने क्या चुनौतियाँ हैं?
- अत्यधिक कार्यभार: आशा कार्यकर्त्ताओं पर प्राय: कई ज़िम्मेदारियों का भार होता है, यह कभी-कभी पीड़ादायक होता है, विशेष रूप से उनके कर्त्तव्यों के विशाल दायरे को देखते हुए।
- साथ ही, उन्हें स्वयं भी एनीमिया, कुपोषण तथा गैर-संचारी रोगों का खतरा बना रहता है।
- अपर्याप्त मुआवज़ा: मुख्य रूप से अल्प मानदेय पर निर्भर रहने वाली आशा को विलंबित भुगतान एवं अपने धन के होने वाले व्यय के कारण आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- उनके पास छुट्टी, भविष्य निधि, उपदान, पेंशन, चिकित्सा सहायता, जीवन बीमा और मातृत्व लाभ, सामाजिक सुरक्षा लाभ जैसे बुनियादी समर्थन का अभाव होता है।
- पर्याप्त मान्यता का अभाव: आशा कार्यकर्त्ताओं के योगदान को हमेशा मान्यता या महत्त्व नहीं दिया जाता है, जिससे कम सराहना और निराशा की भावना उत्पन्न होती है।
- सहायक बुनियादी ढाँचे की कमी: आशा कार्यकर्त्ताओं को परिवहन, संचार सुविधाओं और चिकित्सा आपूर्ति तक सीमित पहुँच सहित अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इससे उनके कर्त्तव्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने की क्षमता में बाधा आती है।
- लिंग और जाति भेदभाव: आशा, जो मुख्य रूप से हाशिये पर रहने वाले समुदायों की महिलाएँ हैं, को स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के भीतर लिंग और जाति के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
आगे की राह
- रोज़गार की स्थिति को औपचारिक बनाना: स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के भीतर आशा कार्यकर्त्ताओं को स्वैच्छिक पदों से औपचारिक रोज़गार की स्थिति में बदलने की आवश्यकता है।
- इससे उन्हें नौकरी की सुरक्षा, नियमित वेतन, स्वास्थ्य बीमा एवं सवैतनिक अवकाश जैसे लाभों तक पहुँच मिलेगी।
- बुनियादी ढाँचे और लॉजिस्टिक्स को मज़बूत करना: ASHA कार्यकर्त्ताओं को आवश्यक उपकरण, आपूर्ति और परिवहन तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये बुनियादी ढाँचे, लॉजिस्टिक्स तथा आपूर्ति शृंखला प्रबंधन में सुधार में निवेश करना भी महत्त्वपूर्ण है।
- मान्यता और सम्मान: आशा कार्यकर्त्ताओं के योगदान और उपलब्धियों को स्वीकार करने के लिये औपचारिक मान्यता तथा सम्मान कार्यक्रम, जैसे: प्रशस्ति-पत्र, सार्वजनिक मान्यता समारोह या प्रदर्शन-आधारित बोनस शुरू करने की आवश्यकता है।
- उन्हें मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के भीतर करियर में उन्नति के अवसर प्रदान करने की भी आवश्यकता है, जिससे सहायक नर्स मिडवाइव्स (Auxiliary Nurse Midwives- ANM) जैसे पदों पर पहुँच सके।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नQ. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के संदर्भ में, प्रशिक्षित सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता 'आशा (ASHA)' के कार्य निम्नलिखित में से कौन-से हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) |