बिग टेक कंपनियों द्वारा प्रतिस्पर्द्धा-रोधी अभ्यास | 06 May 2023

प्रिलिम्स के लिये:

इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI), संसदीय स्थायी समिति, व्यवस्थित रूप से महत्त्वपूर्ण डिजिटल मध्यस्थ, फिनटेक, प्रतिस्पर्द्धा संशोधन विधेयक, 2022, भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI)

मेन्स के लिये:

बिग टेक कंपनियों द्वारा प्रतिस्पर्द्धा-रोधी अभ्यास

चर्चा में क्यों?

कुछ स्टार्ट-अप्स ने इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) पर छोटी कंपनियों की तुलना में बिग टेक कंपनियों का पक्ष लेने का आरोप लगाया है, जो बिग टेक कंपनियों द्वारा प्रतिस्पर्द्धा-रोधी अभ्यास के मुद्दे पर प्रकाश डालती है।

  • IAMAI सोसायटी अधिनियम, 1896 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी औद्योगिक निकाय है। इसका जनादेश ऑनलाइन और मोबाइल मूल्यवर्द्धित सेवा क्षेत्र का विस्तार एवं वृद्धि करना है।

बिग टेक (Big Tech):

  • ‘बिग टेक’ शब्द का उपयोग वैश्विक स्तर पर महत्त्वपूर्ण कुछ चुनिंदा प्रौद्योगिकी कंपनियों, जैसे- गूगल, फेसबुक, अमेज़न, एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट के लिये किया जाता है।
  • कंपनियों के एक स्थिर समुच्चय के बजाय बिग टेक को एक अवधारणा के रूप में बेहतर समझा जाता है। नई कंपनियाँ इस श्रेणी में उसी तरह प्रवेश कर सकती हैं जैसे मौजूदा कंपनियाँ इससे बाहर हो सकती हैं।

पृष्ठभूमि

  • वित्त पर संसदीय स्थायी समिति ने बिग टेक कंपनियों द्वारा प्रतिस्पर्द्धा-रोधी अभ्यास को रोकने के लिये नए नियमों को प्रस्तावित किया।
    • इनमें पूर्व नियम शामिल थे जिसमें कंपनियों को कुछ अभ्यासों में संलग्न होने और बिग टेक कंपनियों को व्यवस्थित रूप से महत्त्वपूर्ण डिजिटल मध्यस्थों (SIDI) के रूप में नामित करने से पहले अभ्यास के कुछ मानकों का पालन करने की आवश्यकता होती है।
    • SIDI अपने राजस्व, बाज़ार पूंजीकरण और सक्रिय उपयोगकर्त्ताओं की संख्या के आधार पर डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में प्रतिस्पर्द्धा को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की क्षमता वाली अग्रणी संस्था होगी।
  • हालाँकि IAMAI ने तर्क दिया कि ये नियम नवाचार और प्रतिस्पर्द्धा को रोक सकते हैं।
    • इसके सदस्यों में मेटा, एप्पल, अमेज़ॅन, ट्विटर और गूगल जैसी अन्य बिग टेक कंपनियों ने भी इसी तरह की टिप्पणियाँ प्रस्तुत कीं।
  • इस कदम ने कुछ भारतीय स्टार्ट-अप्स की आलोचना की है, जिन्होंने IAMAI पर विदेशी बड़ी टेक कंपनियों के पक्ष में विचारों को बढ़ावा देने और डिजिटल इकोसिस्टम में प्रतिस्पर्द्धी आचरण को प्रभावित करने का आरोप लगाया है।

भारत के डिजिटल स्पेस में बिग टेक की भूमिका:

  • राजस्व स्रोत: वे फिनटेक बाज़ार में, जो राजस्व का एक आकर्षक स्रोत है (विशेष रूप से भारत में प्रति उपयोगकर्त्ता विज्ञापन राजस्व कम होने के कारण), एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
  • साक्षरता से जुड़ी बाधाओं को दूर करना: बिग टेक कंपनियों द्वारा नए उपयोगकर्त्ताओं तक पहुँच बनाने और साक्षरता से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के लिये वॉइस-बेस्ड और क्षेत्रीय भाषा इंटरफेस की पेशकश की जा रही है।
  • अवसंरचनात्मक और रोज़गार अंतराल को दूर करना: नए कारोबार के कार्यक्षेत्र वेयरहाउसिंग, वितरण सुविधाएँ और रोज़गार अवसर प्रदान करने के रूप में मौजूदा अवसंरचनात्मक एवं रोज़गार अंतराल को दूर करते हुए भारत को अपने घरेलू बाज़ारों की बेहतर सेवा करने में मदद कर रहे हैं।
  • सामाजिक और राजनीतिक प्रगति: अधिकांश भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्त्ता सूचनाओं तक पहुँच बनाने, संवाद करने और राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन में भागीदारी करने के लिये एक या एक से अधिक बिग टेक प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं।

बिग टेक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में प्रतिस्पर्द्धात्मक आचरण का प्रभाव:

  • अधिग्रहण और विलय:
    • विलय नियंत्रण नियमों के अधीन हुए बिना अत्यधिक मूल्यवान स्टार्ट-अप खरीदने वाली बड़ी फर्में डिजिटल बाज़ारों में एक समस्या है।
    • इस समिति ने कहा कि CCI (भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग) कुछ विलय और अधिग्रहण पर कब्ज़ा करने में सक्षम नहीं है क्योंकि वह संयोजन के लिये आवश्यक संपत्ति एवं टर्नओवर की सीमा को पूरा नहीं करता है।
  • स्व-अधिमान:
    • स्व-अधिमान तब होता है जब कोई कंपनी अपनी सेवाओं या अपनी सहायक कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर बढ़ावा देती है, जबकि उसी प्लेटफॉर्म पर अन्य सेवा प्रदाताओं के साथ प्रतिस्पर्द्धा भी करती है।
      • उदाहरण के लिये कोई कंपनी किसी एप स्टोर में अपने स्वयं के एप्लीकेशन को रैंकिंग में प्राथमिकता दे सकती है। तटस्थता की यह कमी अन्य व्यवसायों को नुकसान पहुँचा सकती है और उनके लाभ को कम कर सकती है।
  • प्रयुक्त आँकड़े:
    • डिजिटल कंपनियाँ ग्राहकों के ऐसे आँकड़ों को एकत्र करती हैं जो उन्हें लाभ प्रदान करते हैं, जिससे नई कंपनियों के लिये प्रतिस्पर्द्धा करना कठिन हो सकता है।
    • हालाँकि ग्राहकों को ट्रैक करने के लिये इन आँकड़ों का दुरुपयोग भी किया जा सकता है।
  • तृतीय-पक्ष को प्रतिबंधित करना:
    • कुछ कंपनियाँ अपने प्लेटफॉर्म पर थर्ड-पार्टी एप्लीकेशन के उपयोग को प्रतिबंधित करती हैं, जो उपयोगकर्त्ता की पसंद को सीमित कर सकती हैं।
      • उदाहरण के लिये एक ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्त्ताओं को अपने स्वयं के अतिरिक्त किसी एप्लीकेशन की सेवाओं का उपयोग करने से रोक सकता है, जैसे कि Apple किसी भी तृतीय-पक्ष एप्लीकेशन को आई-फोन पर स्थापित करने की अनुमति नहीं देता है।
  • संलग्नता:
    • डिजिटल फर्म कभी-कभी ग्राहकों को उनके मुख्य उत्पाद से संबंधित अतिरिक्त सेवाओं को क्रय करने के लिये मजबूर करती हैं, जो प्रतिस्पर्द्धा को न्यूनतम रखने के साथ साथ मूल्य निर्धारण विषमता उत्पन्न करती है।
  • एंटी-स्टीयरिंग:
    • व्यापार उपयोगकर्त्ताओं को अन्य विकल्पों का उपयोग करने से रोकने के लिये संस्थाओं द्वारा एंटी-स्टीयरिंग प्रावधानों का उपयोग किया जाता है, जिससे प्रतिस्पर्द्धा में कमी आती है।
      • उदाहरण के लिये एप्लीकेशन स्टोर अपने स्वयं के भुगतान सिस्टम के उपयोग को अनिवार्य करते हैं। इन क्रियाओं का परिणाम प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी बहिष्करण जैसी क्रियाओं के रूप में होता है।

बिग टेक को विनियमित करने हेतु भारत का वर्तमान दृष्टिकोण:

  • प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002: भारत में अविश्वास संबंधी मुद्दे प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 द्वारा शासित होते हैं, जबकि CCI एकाधिकार प्रथाओं पर जाँच करता है।
    • वर्ष 2022 में CCI ने 'प्रतिस्पर्द्धात्मक विरोधी प्रथाओं' हेतु कई बाज़ारों में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के लिये Google पर 1,337.76 करोड़ रुपए का ज़ुर्माना लगाया।
  • प्रतिस्पर्द्धा संशोधन विधेयक, 2022: सरकार ने प्रतिस्पर्द्धा संशोधन विधेयक, 2022 में प्रतिस्पर्द्धा कानून में संशोधन प्रस्तावित किया है। विधेयक को अप्रैल 2023 में राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई है।
    • CCI यह आकलन करने हेतु आवश्यकताओं को निर्धारित करने के लिये विनियम तैयार करेगा कि क्या किसी उद्यम का भारत में पर्याप्त व्यावसायिक संचालन है।
    • यह आयोग की मूल्यांकन प्रक्रिया में सुधार करेगा, विशेष रूप से डिजिटल और बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों में जहाँ अधिकांश मामलों का पहले खुलासा नहीं किया गया था क्योंकि संपत्ति या टर्नओवर राशि मूल्य क्षेत्राधिकार सीमा आवश्यकताओं से कम हो गई थी।

आगे की राह

  • वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति बिना टर्नओवर वाले डिजिटल मार्केटप्लेस की विशेषताओं को समायोजित करने के लिये सौदे के मूल्य पर आधारित एक प्रणाली का सुझाव देती है।
  • वह यह भी अनुशंसा करती है कि डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने वाली अथवा डेटा एकत्र करने वाली संस्थाओं से संबंधित किसी भी संकेंद्रण को कार्यान्वयन से पहले CCI को सूचित किया जाना चाहिये, चाहे वह अधिसूचना के निर्दिष्ट सीमा के अनुरूप हो अथवा न हो।
  • सरकार को इंटरनेट जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये पर्याप्त कदम उठाने की आवश्यकता है, जैसे किसी भी लेन-देन से पहले वेबसाइटों की प्रामाणिकता की जाँच करना और अनधिकृत अनुप्रयोगों तक पहुँच प्रदान न करना।

स्रोत: द हिंदू