भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु प्रतिष्ठापन सूचियों का वार्षिक आदान-प्रदान | 08 Jan 2024
प्रिलिम्स के लिये:भारत और पाकिस्तान, परमाणु प्रतिष्ठापन सूचियों का वार्षिक आदान-प्रदान: भारत और पाकिस्तान, नियंत्रण रेखा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा, सिंधु जल संधि, SAARC मेन्स के लिये:भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के प्रमुख क्षेत्र, परमाणु संयंत्रों तथा सुविधाओं के विरुद्ध हमले के निषेध पर समझौता |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और पाकिस्तान ने नई दिल्ली (भारत) तथा इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में राजनीतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से अपने संबंधित परमाणु प्रतिष्ठानों तथा केंद्रों (Nuclear Installations and facilities) की सूची का आदान-प्रदान किया है।
- यह आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों तथा केंद्रों के विरुद्ध हमले के निषेध पर समझौते के अंतर्गत आता है।
परमाणु प्रतिष्ठानों तथा केंद्रों के विरुद्ध हमले के निषेध पर समझौता क्या है?
- परमाणु प्रतिष्ठानों और केंद्रों के विरुद्ध हमले के निषेध पर समझौते पर 31 दिसंबर, 1988 को तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो तथा भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे।
- यह संधि 27 जनवरी, 1991 को क्रियान्वित की गई।
- हालिया आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच संबद्ध सूचियों का निरंतर 33वाँ आदान-प्रदान है, पहला आदान-प्रदान 01 जनवरी, 1992 को हुआ था।
- पृष्ठभूमि: उक्त समझौते पर बातचीत तथा हस्ताक्षर के लिये प्रत्यक्ष कारक भारतीय सेना द्वारा वर्ष 1986-87 के ब्रासस्टैक्स अभ्यास से उत्पन्न तनाव था।
- ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स (Brasstacks) पाकिस्तान सीमा के समीप भारतीय राज्य राजस्थान में आयोजित एक सैन्य अभ्यास था।
- जनादेश: विश्वास को बढ़ावा देने वाले सुरक्षा का माहौल बनाने के लिये इस समझौते के तहत दोनों देशों को प्रत्येक कैलेंडर वर्ष के 1 जनवरी को समझौते से संबंद्ध किसी भी परमाणु प्रतिष्ठानों/संस्थापनों तथा केंद्रों के बारे में एक-दूसरे को सूचित करना होता है।
- समझौते के अनुसार, ‘परमाणु स्थापना या सुविधा’ शब्द में परमाणु ऊर्जा और अनुसंधान रिएक्टर, ईंधन निर्माण, यूरेनियम संवर्द्धन, आइसोटोप पृथक्करण तथा पुनर्प्रसंस्करण सुविधाओं के साथ-साथ किसी भी रूप में ताज़ा या विकिरणित परमाणु ईंधन एवं सामग्री वाले अन्य प्रतिष्ठान व महत्त्वपूर्ण मात्रा में रेडियोधर्मी सामग्रियों का भंडारण करने वाले प्रतिष्ठान शामिल हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के प्रमुख क्षेत्र क्या हैं?
- कश्मीर विवाद:
- नियंत्रण रेखा का उल्लंघन: नियंत्रण रेखा पर बार-बार संघर्ष विराम का उल्लंघन हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप लोग हताहत हो रहे हैं और तनाव बढ़ रहा है।
- विसैन्यीकरण पर असहमति: नियंत्रण रेखा के दोनों ओर विसैन्यीकरण की मांगें अनसुलझी हैं, जिससे शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में प्रगति बाधित हो रही है।
- आतंकवाद:
- सीमा पार से घुसपैठ: भारत का आरोप है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी, आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिये नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ कर रहे हैं।
- आतंकवादी समूहों का पदनाम: दोनों देशों द्वारा आतंकवादी समूहों को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करने में मतभेद आतंकवाद विरोधी सहयोग में बाधाएँ पैदा करते हैं।
- नागरिक आबादी पर प्रभाव: आतंकवादी हमलों में निर्दोष लोगों की जान चली जाती है तथा दोनों समुदायों के बीच शत्रुता और बढ़ जाती है।
- जल बँटवारा:
- बाँधों का निर्माण: सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों पर बाँधों तथा जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर विवाद, जल प्रवाह एवं उपयोग के अधिकारों को प्रभावित कर रहा है।
- सिंधु जल संधि का कार्यान्वयन: जल आवंटन और विवाद समाधान तंत्र के संबंध में संधि की धाराओं की व्याख्या तथा कार्यान्वयन में अंतर।
- व्यापार और आर्थिक संबंध:
- व्यापार बाधाएँ: दोनों देशों द्वारा लगाई गई प्रतिबंधात्मक व्यापार नीतियाँ और उच्च टैरिफ सीमा पार व्यापार तथा आर्थिक कनेक्टिविटी में बाधा डालते हैं।
- अगस्त 2019 में, पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में किये गए संवैधानिक संशोधनों के जवाब में भारत के साथ व्यापार रोक दिया।
- भारत ने वर्ष 2019 में पाकिस्तानी आयात पर 200% टैरिफ लगाया, जब पुलवामा आतंकवादी घटना के बाद पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) पदनाम हटा दिया गया था।
- सीमित सीमा-पार निवेश: राजनीतिक तनाव और सुरक्षा चिंताएँ दोनों देशों में व्यावसायों के बीच निवेश तथा संयुक्त उद्यमों को हतोत्साहित करती हैं।
- तृतीय-पक्ष व्यापार मार्गों पर निर्भरता: क्षेत्र के बाहर व्यापार मार्गों पर निर्भरता से लागत बढ़ती है और दोनों अर्थव्यवस्थाओं की दक्षता कम हो जाती है।
- व्यापार बाधाएँ: दोनों देशों द्वारा लगाई गई प्रतिबंधात्मक व्यापार नीतियाँ और उच्च टैरिफ सीमा पार व्यापार तथा आर्थिक कनेक्टिविटी में बाधा डालते हैं।
- क्षेत्रीय भूराजनीति:
- पाकिस्तान में चीन की भूमिका: पाकिस्तान में बढ़ता चीनी निवेश और उपस्थिति, जिसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा जैसी परियोजनाएँ भी शामिल हैं, भारत के लिये रणनीतिक गठबंधन तथा शक्ति संतुलन को लेकर चिंताएँ पैदा करती हैं।
भारत और पाकिस्तान विवाद समाधान की ओर कैसे आगे बढ़ सकते हैं?
- विश्वास निर्माण के उपाय:
- संचार को सुदृढ़ बनाना: खुले संवाद और संकट प्रबंधन के लिये विभिन्न स्तरों पर प्रत्यक्ष, सुरक्षित संचार चैनल स्थापित करना।
- LoC पर तनाव कम करना: युद्धविराम समझौतों को लागू करना और मज़बूत करना, सेना की तैनाती को कम करना तथा उल्लंघन की जाँच के लिये संयुक्त तंत्र स्थापित करना।
- जन-जन की पहल: सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान, खेल आयोजनों तथा जलवायु परिवर्तन व स्वास्थ्य देखभाल जैसी आम चुनौतियों का समाधान करने वाली संयुक्त पहल को बढ़ावा देना।
- मुख्य मुद्दों को हल करना:
- कश्मीर विवाद समाधान: कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं पर विचार करते हुए और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढाँचे का सम्मान करते हुए, वार्ता के माध्यम से कश्मीर मुद्दे का उचित एवं स्थायी समाधान तलाशना।
- आतंकवाद का मुकाबला: आतंकवादी नेटवर्क को नष्ट करने, इनके वित्तपोषण एवं वैचारिक स्रोतों को निरस्त करने और पिछले कृत्यों के लिये जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु संयुक्त प्रयासों को तीव्रता प्रदान करना।
- जल सहयोग: सिंधु जल संधि को प्रभावी ढंग से लागू करना, डेटा और जानकारी को पारदर्शी रूप से साझा करना व पारस्परिक लाभ के लिये संयुक्त जल प्रबंधन परियोजनाओं की खोज करना।
- क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- मध्यस्थता को प्रोत्साहित करना: सार्क (SAARC) जैसे क्षेत्रीय मंचों के माध्यम से वार्ता को सुविधाजनक बनाना, दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान तलाशना।
- बाह्य प्रभावों को संतुलित करना: द्विपक्षीय प्रगति को खतरे में डालने से बचने के लिये दोनों देशों को चीन और अमेरिका जैसी बाह्य शक्तियों के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने की आवश्यकता है।
- सार्वजनिक समझ और समर्थन को बढ़ावा देना:
- मीडिया की ज़िम्मेदारी: ज़िम्मेदार मीडिया कवरेज को बढ़ावा देना, नकारात्मक रूढ़िवादिता से बचना और सहयोग व साझा इतिहास की सकारात्मक पहलूओं पर ज़ोर देना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:Q1. “भारत में बढ़ते हुए सीमापारीय आतंकी हमले और अनेक सदस्य-राज्यों के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान द्वारा बढ़ता हुआ हस्तक्षेप सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के भविष्य के लिये सहायक नहीं है।” उपयुक्त उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिये। (2016) Q2. आतंकवादी गतिविधियों और परस्पर अविश्वास ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को धूमिल बना दिया है। खेलों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसी मृदु शक्ति किस सीमा तक दोनों देशों के बीच सद्भावना उत्पन्न करने में सहायक हो सकती है? उपयुक्त उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये। (2015) |