शासन व्यवस्था
आंध्र प्रदेश-तेलंगाना जल विवाद
- 03 Jul 2021
- 7 min read
प्रीलिम्स के लिये:श्रीशैलम परियोजना, कृष्णा और गोदावरी नदियाँ, मेन्स के लिये:आंध्र प्रदेश-तेलंगाना जल विवाद का मुख्य कारण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के सीमावर्ती ज़िलों में बढ़ते तनाव के चलते विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं (Hydel Power Projects ) पर पुलिस बलों को तैनात किया गया।
- आंध्र प्रदेश ने कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड ( Krishna River Management Board- KRMB) में शिकायत की है कि तेलंगाना द्वारा बिजली उत्पादन हेतु श्रीशैलम परियोजना (Srisailam project) के जल का प्रयोग किया जा रहा है।
- KRMB ने अपने हालिया आदेशों में तेलंगाना से बिजली उत्पादन बंद करने को कहा था। तेलंगाना सरकार द्वारा KRBM के आदेशों की अवहेलना के कारण तनाव पैदा हो गया है।
प्रमुख बिंदु:
विवाद के बारे में:
- तेलंगाना और आंध्र प्रदेश कृष्णा और गोदावरी (Krishna and the Godavari) एवं उनकी सहायक नदियों के जल को साझा करते हैं।
- दोनों राज्यों ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के तहत नदी बोर्ड, केंद्रीय जल आयोग और शीर्ष परिषद से मंज़ूरी लिये बिना कई नई परियोजनाओं का प्रस्ताव दिया है।
- आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड के कामकाज की निगरानी हेतु केंद्र सरकार द्वारा एक शीर्ष परिषद के गठन को अनिवार्य बनाता है।
- शीर्ष परिषद में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री और तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल हैं।
- आंध्र प्रदेश सरकार के श्रीशैलम जलाशय (Srisailam Reservoir) के ऊपरी हिस्से से कृष्णा नदी के जल के उपयोग को बढ़ाने के प्रस्ताव के कारण तेलंगाना सरकार ने आंध्र प्रदेश के खिलाफ शिकायत दर्ज की।
- श्रीशैलम जलाशय आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी पर बनाया गया है। यह नल्लामाला पहाड़ियों में स्थित है।
- आंध्र प्रदेश सरकार ने शिकायतों का जवाब देते हुए कहा कि कृष्णा नदी पर पलामुरू रंगारेड्डी, डिंडी लिफ्ट सिंचाई परियोजना और गोदावरी नदी पर कालेश्वरम, तुपाकुलगुडेम परियोजनाएंँ तथा प्रस्तावित कुछ बैराज सभी नई परियोजनाओं के अंतर्गत आती हैं।
अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद-262 अंतर्राज्यीय जल विवादों के अधिनिर्णयन का प्रावधान करता है।
- इसके तहत संसद किसी भी अंतर्राज्यीय नदी और नदी घाटी के पानी के उपयोग, वितरण और नियंत्रण के संबंध में किसी भी विवाद या शिकायत के निपटान के लिये कानून द्वारा प्रावधान कर सकती है।
- संसद यह भी प्रावधान कर सकती है कि इस तरह के किसी भी विवाद या शिकायत के संबंध में न तो सर्वोच्च न्यायालय और न ही कोई अन्य न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करेंगे।
- इस संबंध में संसद ने दो कानून- नदी बोर्ड अधिनियम (1956) और अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम (1956) अधिनियमित किये हैं।
- नदी बोर्ड अधिनियम अंतर-राज्यीय नदी और नदी घाटियों के नियमन और विकास हेतु केंद्र सरकार द्वारा नदी बोर्डों की स्थापना का प्रावधान करता है।
- संबंधित राज्य सरकारों के अनुरोध पर उन्हें सलाह देने हेतु एक नदी बोर्ड की स्थापना की गई है।
- अंतर-राज्यीय जल विवाद अधिनियम केंद्र सरकार को एक अंतर-राज्यीय नदी या नदी घाटी के पानी के संबंध में दो या दो से अधिक राज्यों के बीच विवाद के निर्णय के लिये एक तदर्थ न्यायाधिकरण स्थापित करने का अधिकार देता है।
- न्यायाधिकरण का निर्णय अंतिम होता है और विवाद के पक्षकारों पर बाध्यकारी होता है।
- किसी भी जल विवाद के संबंध में न तो सर्वोच्च न्यायालय और न ही कोई अन्य न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर सकते हैं, जिसे इस अधिनियम के तहत किसी न्यायाधिकरण को संदर्भित किया जा सकता है।
गोदावरी नदी
- उद्भव: गोदावरी नदी महाराष्ट्र में नासिक के पास त्र्यंबकेश्वर से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले लगभग 1465 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
- अपवाह तंत्र: गोदावरी बेसिन महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों के अलावा मध्य प्रदेश, कर्नाटक तथा पुद्दुचेरी के मध्य क्षेत्र के छोटे हिस्सों में फैला हुआ है।
- सहायक नदियाँ: प्रवरा, पूर्णा, मंजरा, पेनगंगा, वर्धा, वेनगंगा, प्राणहिता (वेनगंगा, पेनगंगा, वर्धा का संयुक्त प्रवाह), इंद्रावती, मनेर और सबरी।
कृष्णा नदी
- स्रोत: इसका उद्गम महाराष्ट्र में महाबलेश्वर (सतारा) के निकट है। यह गोदावरी नदी के बाद प्रायद्वीपीय भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी है।
- अपवाह तंत्र: यह नदी बंगाल की खड़ी में मिलने से पहले चार राज्यों यथा- महाराष्ट्र (303 किमी.), उत्तरी कर्नाटक (480 किमी.) और शेष 1300 किमी. तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में प्रवाहित होती है।
- सहायक नदियाँ: तुंगभद्रा, कोयना, भीमा, घाटप्रभा, वर्ना, डिंडी, मुसी, दूधगंगा आदि प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।