वक्फ अधिनियम, 1995 में प्रस्तावित संशोधन | 07 Aug 2024

प्रिलिम्स के लिये:

वक्फ अधिनियम, 1995, वक्फ बोर्ड, केंद्रीय वक्फ परिषद (CWC), धर्म की स्वतंत्रता, अल्पसंख्यक, संपत्ति की बंदोबस्ती, शैक्षणिक संस्थान 

मेन्स के लिये:

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और संबंधित चिंताएँ

स्रोत : बिजनेस स्टैण्डर्ड

चर्चा में क्यों ? 

संसद वक्फ बोर्ड के कामकाज में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने के लक्ष्य के साथ वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने के लिये वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश करने वाली है। 

  • यह वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्ति को कम करने के लिये वक्फ अधिनियम, 1995 के कुछ प्रावधानों को हटाने का प्रयास करता है, जो वर्तमान में उन्हें आवश्यक जाँच के बिना किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की अनुमति देता है।

वक्फ अधिनियम (संशोधन विधेयक), 2024 में मुख्य संशोधन क्या हैं? 

  • पारदर्शिता: विधेयक में मौजूदा वक्फ अधिनियम में लगभग 40 संशोधनों की रूपरेखा दी गई है, जिसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये वक्फ बोर्डों को सभी संपत्ति दावों हेतु अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा। 
  • लिंग विविधता: वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 9 और 14 में संशोधन किया जाएगा ताकि वक्फ बोर्ड की संरचना और कार्यप्रणाली को संशोधित किया जा सके, जिसमें महिला प्रतिनिधियों को शामिल करना भी शामिल है।
  • संशोधित सत्यापन प्रक्रियाएँ: विवादों को सुलझाने और दुरुपयोग को रोकने के लिये वक्फ संपत्तियों के लिए नई सत्यापन प्रक्रियाएँ शुरू की जाएंगी, तथा ज़िला मजिस्ट्रेट संभवतः इन संपत्तियों की देख-रेख करेंगे।
  • सीमित शक्ति: ये संशोधन वक्फ बोर्डों (Waqf Boards) की अनियंत्रित शक्तियों के बारे में चिंताओं का जवाब देते हैं, जिसके कारण व्यापक भूमि पर वक्फ का दावा किया जा रहा है, जिससे विवाद और दुरुपयोग के दावे हो रहे हैं।
    • उदाहरण के लिये सितंबर 2022 में तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने पूरे थिरुचेंदुरई गाँव पर दावा किया, जो मुख्य रूप से हिंदू बहुल है।

वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन की आलोचना क्यों की गई?

  • शक्तियों में कमी: यह वक्फ बोर्डों के अधिकारों को सीमित करता है, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की उनकी क्षमता प्रभावित होती है।
  • अल्पसंख्यक अधिकारों की चिंता: आलोचकों को चिंता है कि इससे उन मुस्लिम समुदायों के हितों को नुकसान पहुँच सकता है जो इन संपत्तियों का उपयोग धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिये करते हैं।
  • सरकारी नियंत्रण में वृद्धि: ज़िला मजिस्ट्रेटों की भागीदारी और अधिक निगरानी से नौकरशाही का अत्यधिक हस्तक्षेप हो सकता है।
  • धार्मिक स्वतंत्रता में बाधा: वक्फ संपत्तियों की देखरेख में ज़िला मजिस्ट्रेटों और अन्य सरकारी अधिकारियों की भागीदारी को धार्मिक स्वायत्तता पर अतिक्रमण के रूप में देखा जा सकता है।
  • संभावित विवाद: ज़िला मजिस्ट्रेटों की भागीदारी जैसी नई सत्यापन प्रक्रियाएँ अधिक विवाद और जटिलताएँ उत्पन्न कर सकती हैं।

वक्फ अधिनियम, 1995 क्या है?

  • पृष्ठभूमि: वक्फ अधिनियम को पहली बार वर्ष 1954 में संसद द्वारा पारित किया गया था।
    • बाद में इसे निरस्त कर दिया गया और वर्ष 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसने वक्फ बोर्डों को और अधिक अधिकार दिये गए।
    • वर्ष 2013 में, अधिनियम में संशोधन करके वक्फ बोर्ड को संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में नामित करने के लिये व्यापक अधिकार दिये गए। 
  • वक्फ: यह मुस्लिम कानून द्वारा मान्यता प्राप्त धार्मिक, पवित्र या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिये चल या अचल संपत्तियों का स्थायी समर्पण है।
    • इसका तात्पर्य है कि मुस्लिम द्वारा संपत्ति, चाहे वह चल हो या अचल, मूर्त या अमूर्त, ईश्वर को इस आधार पर दान करना ताकि अंतरण से जरूरतमंदों को लाभ हो सके।
    • वक्फ से होने वाली आय आमतौर पर शैक्षणिक संस्थानों, कब्रिस्तानों, मस्जिदों और आश्रय गृहों को निधि देती है।
    • भारत में वक्फ को वक्फ अधिनियम, 1995 द्वारा विनियमित किया जाता है।
  • वक्फ का प्रबंधन:
    • एक सर्वेक्षण आयुक्त स्थानीय जाँच करके, गवाहों को बुलाकर और सार्वजनिक दस्तावेज़ों की मांग करके वक्फ के रूप में घोषित सभी संपत्तियों को सूचीबद्ध करता है।
    • वक्फ का प्रबंधन एक मुतवली/मुतवल्ली द्वारा किया जाता है, जो पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करता है। 
    • भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के तहत स्थापित ट्रस्ट जो व्यापक उद्देश्यों की पूर्ति कर सकते हैं और बोर्ड द्वारा जिनका विघटन किया जा सकता है, के विपरीत वक्फ के उद्देश्य विशेष रूप से धार्मिक एवं धर्मार्थ उपयोगों के लिये होते हैं तथा इन्हें स्थायी माना जाता है। 
    • वक्फ या तो सार्वजनिक (जो धर्मार्थ उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं) हो सकते हैं, या निजी (जो संपत्ति के स्वामी के प्रत्यक्ष वंशजों को लाभ पहुँचाते हैं) हो सकते हैं। 
    • वक्फ के गठन के लिये व्यक्ति का शांत चित्त का होना चाहिये और संपत्ति का वैध स्वामित्व होना चाहिये। दिलचस्प बात यह है कि वक्फ के संस्थापक, जिन्हें वक्फ के रूप में जाना जाता है, को मुस्लिम होने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि वे इस्लामी सिद्धांतों में विश्वास करते हैं।
  • वक्फ बोर्ड:
    • वक्फ बोर्ड एक कानूनी इकाई है जो संपत्ति अर्जित करने, उसे रखने और हस्तांतरित करने में सक्षम है। यह मुकदमा करने और न्यायालय में मुकदमा किये जाने दोनों में सक्षम है।
    • यह वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करता है, खोई हुई संपत्तियों को वापस प्राप्त करता है और बिक्री, उपहार, बंधक ऋण या गिरवी कर्ज, विनिमय या पट्टे के माध्यम से अचल वक्फ संपत्तियों के हस्तांतरण को मंजूरी देता है, जिसमें बोर्ड के कम से कम दो-तिहाई सदस्य लेनदेन के पक्ष में मतदान करते हैं। 
    • वर्ष 1964 में स्थापित केंद्रीय वक्फ परिषद (CWC) पूरे भारत में राज्य स्तरीय वक्फ बोर्डों की देखरेख और सलाह देती है।
  • वक्फ संपत्तियाँ: वक्फ बोर्ड को भारत में रेलवे और रक्षा विभाग के बाद तीसरा सबसे बड़ा भूमिधारक कहा जाता है।
    • वर्तमान में 8 लाख एकड़ में फैली 8,72,292 पंजीकृत वक्फ संपत्तियाँ हैं। इन संपत्तियों से 200 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है।
    • एक बार जब किसी संपत्ति को वक्फ घोषित कर दिया जाता है तो वह अहस्तांतरणीय हो जाती है और ईश्वर के प्रति एक धर्मार्थ कार्य के रूप में स्थायी रूप से सुरक्षित रहती है, जो अनिवार्य रूप से ईश्वर को स्वामित्व हस्तांतरित कर देती है।

निष्कर्ष

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता को बढ़ाता है। शासन, जवाबदेही और संपत्ति के उपयोग में सुधार करके यह वक्फ बोर्डों को यह सुनिश्चित करने का अधिकार देता है कि लाभ लक्षित समुदायों तक पहुँचे। इस संशोधन का उद्देश्य सामाजिक कल्याण एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हुए वक्फ की अखंडता को बनाए रखना है, जिससे संभावित रूप से अधिक विश्वास और सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा मिलेगा।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. धार्मिक अल्पसंख्यकों के मामलों के प्रबंधन में राज्य के हस्तक्षेप का डर प्रतीत होता है। क्या आप इससे सहमत हैं? वक्फ अधिनियम, 1995 में प्रस्तावित संशोधनों के आलोक में चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स:

प्रश्न. धर्मनिरपेक्षता की भारतीय अवधारणा धर्मनिरपेक्षता के पश्चिमी मॉडल से कैसे भिन्न है? चर्चा कीजिये। (2018)