शासन व्यवस्था
खनिज नियमों में संशोधन
- 20 Dec 2021
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प्रिलिम्स के लिये:खनिज की विशेषताएंँ; खनिज (खनिज सामग्री के साक्ष्य) नियम, 2015 और खनिज (नीलामी) चौथा संशोधन नियम, 2021; राष्ट्रीय खनिज नीति 2019; भारत में खनिज। मेन्स के लिये:भारत का खनन क्षेत्र, भारत में खनिज वितरण, खनिज नियमों में संशोधन और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
खनिज (खनिज सामग्री के साक्ष्य) दूसरा संशोधन नियम, 2021 और खनिज (नीलामी) चौथा संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया गया है।
- ये दोनों नियम क्रमश: खनिज (खनिज सामग्री के साक्ष्य) नियम, 2015 [एमईएमसी नियम] और खनिज (नीलामी) नियम, 2015 [नीलामी नियम] में संशोधन करते हैं।
- इससे पहले लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) संशोधन विधेयक, 2021 को मंज़ूरी दी थी।
खनिज (खनिज सामग्री के साक्ष्य) नियम, 2015:
- खनिज (खनिज सामग्री के साक्ष्य) नियम, 2015 को जून 2021 में संशोधित किया गया है ताकि अन्य बातों के साथ-साथ उन क्षेत्रों के संबंध में एक समग्र लाइसेंस प्रदान करने हेतु नीलामी का प्रावधान किया जा सके जहांँ कम-से-कम टोही सर्वेक्षण (जी4) स्तर पूरा हो चुका हो अथवा जहांँ उपलब्ध भू-विज्ञान के आंँकड़ों के आधार पर ब्लॉक की खनिज क्षमता की पहचान कर ली गई हो लेकिन संसाधन अभी तक स्थापित नहीं किये गए हों।
- एक टोही सर्वेक्षण किसी विशिष्ट स्थान एवं विशिष्ट समय में संभावित ऐतिहासिक संसाधनों का एक स्नैपशॉट (Snapshot) प्रदान करता है।
- इन संशोधनों का उद्देश्य नीलामी के लिये अधिक खनिज ब्लॉकों की पहचान करना और इस प्रकार अन्वेषण एवं उत्पादन की गति को बढ़ाना था जिसके परिणामस्वरूप देश में खनिजों की उपलब्धता में सुधार हुआ तथा इस क्षेत्र में रोज़गार में वृद्धि हुई।
खनिज (नीलामी) नियम, 2015:
- अन्य बातों के साथ-साथ समग्र लाइसेंस के लिये ऐसे ब्लॉकों की नीलामी को सक्षम बनाने हेतु बोली सुरक्षा, प्रदर्शन सुरक्षा और अन्य पात्रता शर्तों को निर्धारित करने के लिये इसमें संशोधन किया गया।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने संभावित बोलीदाताओं और अन्य हितधारकों की सहायता के लिये ऑनलाइन कोर बिज़नेस इंटीग्रेटेड सिस्टम प्रोजेक्ट (ओसीबीआईएस) पोर्टल में भू-वैज्ञानिकों के लिये संभावित क्षेत्रों हेतु आधारभूत भू-विज्ञान डेटाबेस भी उपलब्ध कराया है।
प्रमुख बिंदु
- खनिज (खनिज सामग्री के साक्ष्य) द्वितीय संशोधन नियम, 2021:
- यह किसी भी व्यक्ति (जो नीलामी में भाग लेने का इरादा रखता है) को समग्र लाइसेंसिंग प्रक्रिया के लिये नीलामी हेतु उपयुक्त ब्लॉक प्रस्तावित करने में सक्षम करेगा, जहाँ उपलब्ध भू-विज्ञान डेटा के आधार पर ब्लॉक की खनिज क्षमता की पहचान की गई है।
- राज्य सरकार द्वारा गठित एक समिति इस प्रकार प्रस्तावित ब्लॉकों की खनिज क्षमता का आकलन करेगी और नीलामी के लिये ब्लॉक की सिफारिश करेगी।
- खनिज (नीलामी) चौथा संशोधन नियम, 2021:
- यह प्रावधान करेगा कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा प्रस्तावित ब्लॉकों को नीलामी के लिये अधिसूचित किया जाता है, तो उक्त व्यक्ति को उसके द्वारा प्रस्तावित ब्लॉकों की नीलामी में बोली सुरक्षा राशि की केवल आधी राशि जमा करने के लिये प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
- सभी मामलों में खनन पट्टा क्षेत्र के आंशिक समर्पण की अनुमति दी गई है।
- अभी तक आंशिक समर्पण की अनुमति केवल वन संबंधी मंज़ूरी न मिलने की स्थिति में ही दी जाती थी।
- खनन या खनिज प्रसाधन के दौरान उत्पन्न होने वाले थ्रेशोल्ड मूल्य से नीचे के ओवरबर्डन/अपशिष्ट रॉक/खनिज के निपटान की अनुमति देने के लिये भी प्रावधान शामिल किये गए हैं।
- खनन पट्टा स्वीकृत करने के लिये न्यूनतम क्षेत्र सीमा को 5 हेक्टेयर से 4 हेक्टेयर कर दिया गया है। कुछ विशिष्ट जमाओं के लिये यह न्यूनतम 2 हेक्टेयर भी है।
- उद्देश्य:
- नीलामी के लिये अधिक खनिज ब्लॉकों की पहचान करना और इस प्रकार अन्वेषण एवं उत्पादन की गति में वृद्धि करना, जिसके परिणामस्वरूप देश में खनिजों की उपलब्धता में सुधार हो सकेगा।
- महत्त्व:
- यह नीलामी में अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देगा।
- यह राज्य सरकारों को समग्र लाइसेंस की नीलामी के लिये और अधिक ब्लॉकों की पहचान करने की सुविधा प्रदान करेगा।
- खनन से संबंधित पहलें:
- राष्ट्रीय खनिज नीति 2019
- नीलाम किये गए ग्रीनफील्ड खनिज ब्लॉकों का शीघ्र संचालन सुनिश्चित करने हेतु पहल शुरू की गई है।
- खनन क्षेत्र में करों को युक्तिसंगत बनाने पर भी विचार किया जा रहा है।
- ‘आत्मनिर्भर भारत योजना’ के तहत खनिज क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने और अन्य सुधारों की घोषणा की गई है।
- ज़िला खनिज फाउंडेशन निधि
भारत में खनिज:
- भारत खनिज संसाधनों की दृष्टि से समृद्ध है। अन्वेषणों में 20,000 से अधिक ज्ञात खनिज ज़मा और 60 से अधिक खनिजों के पुनर्प्राप्ति योग्य भंडार पाए गए हैं।
- भारत के 11 राज्यों (आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक) में कुल परिचालन खदानों की संख्या का 90% हिस्सा है।
- विश्व स्तर पर भारत को क्रोमाइट, लौह अयस्क, कोयला और बॉक्साइट जैसे मूल्यवान खनिजों के प्रमुख उत्पादकों में से एक के रूप में स्थान दिया गया है।
- भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्र लगभग 328 मिलियन हेक्टेयर है, जिसमें से खनन पट्टा (ईंधन, परमाणु और लघु खनिजों के अलावा) लगभग 0.14% है, जिसका बमुश्किल 20% खनन किया जाता है।.
- भारतीय उप-मृदा तटवर्ती और अपतटीय कच्चे तेल एवं गैस, कोयला, लौह अयस्क, तांबा, बॉक्साइट, आदि से समृद्ध है।
- भारत 95 खनिजों का उत्पादन करता है, जिसमें 4 ईंधन, 10 धातु, 23 गैर-धातु, 3 परमाणु और 55 लघु खनिज (भवन और अन्य सामग्री सहित) शामिल हैं।