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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

आयु निर्धारण तकनीक

  • 10 Jan 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आयु निर्धारण तकनीक, सर्वोच्च न्यायालय, ऑसिफिकेशन टेस्ट, विज़डम टीथ, एपिजेनेटिक क्लॉक तकनीक, सतत् विकास लक्ष्य-16, जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969

मेन्स के लिये:

आयु निर्धारण तकनीक, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

नवंबर 2022 में कठुआ में आठ वर्ष की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के चार वर्ष बाद सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि आरोपियों में से एक, जिसने अपराध के समय किशोर होने का दावा किया था, को वयस्क के रूप में पेश किया जाना चाहिये।

विभिन्न आयु निर्धारण तकनीकें: 

  • ऑसिफिकेशन टेस्ट: 
    • आयु निर्धारण के लिये सबसे लोकप्रिय परीक्षण ऑसिफिकेशन (हड्डी बनने की प्राकृतिक प्रक्रिया/अस्थिभंग) टेस्ट है।
    • ऑसिफिकेशन (अर्थात् कैल्सीफिकेशन) की सीमा और हड्डियों में एपिफेसिस (एक लंबी हड्डी का गोल सिरा) विशेष रूप से लंबी हड्डियाँ जैसे- रेडीअस (बाँह के अग्र भाग की बाहरी हड्डी) और उल्ना, ह्यूमरस, टिबिया, फाइबुला एवं फीमर उम्र का अनुमान लगाने में सहायक होते हैं।
    •  यद्यपि जलवायु, आहार, वंशानुगत और अन्य कारक विभिन्न क्षेत्रों में ऑसिफिकेशन की सीमा को प्रभावित करते हैं, दो साल (उदाहरण के लिये 16-18 वर्ष) के मार्जिन के भीतर काफी करीबी अनुमान लगाया जा सकता है, अर्थात् दोनों तरफ छह महीने की त्रुटि का मार्जिन (15.5 वर्ष या 18.5 वर्ष), यौवन से कंकाल समेकन तक किया जा सकता है।
  • अक्ल दाढ़/विज़डम टीथ: 
    • किसी व्यक्ति की उम्र का अनुमान लगाने की विधि के रूप में अक्ल दाढ़ की उपस्थिति, अनुपस्थिति और विकास का उपयोग किया जा सकता है।
      • अक्ल दाढ़, जिसे तीसरे दाढ़ के रूप में भी जाना जाता है, मुँह में उभरने वाले अंतिम दाँत होते हैं और आमतौर पर देर से किशोरावस्था या प्रारंभिक वयस्कता में दिखाई देते हैं।
    • यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि अक्ल दाढ़ का निकलना एक पूर्व निर्धारित प्रक्रिया का अनुसरण करता है और इसका उपयोग कुछ वर्षों की सीमा के भीतर किसी व्यक्ति की आयु का निर्धारण करने के लिये किया जा सकता है। 
    • हालाँकि यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि यह विधि पूरी तरह से सटीक नहीं है और इसका उपयोग आयु निर्धारण हेतु एकमात्र आधार के रूप में नहीं किया जाना चाहिये।
      • आनुवंशिकी,  मुँह की स्वच्छता और समग्र स्वास्थ्य जैसे कारक अक्ल दाढ़ के विकास को प्रभावित कर सकते हैं तथा अपेक्षित पैटर्न में भिन्नता पैदा कर सकते हैं।
  • एपिजेनेटिक क्लॉक तकनीक:
    • यह विषय की कालानुक्रमिक आयु का अनुमान लगाने के लिये डीएनए मेथिलिकरण स्तरों को मापता है।
      • डीएनए मेथिलिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा मिथाइल समूहों को डीएनए अणु में जोड़ा जाता है, आमतौर पर जीन के संरक्षक क्षेत्र में, जिसके परिणामस्वरूप जीन प्रतिलेखन का दमन होता है।
      • यह मुख्य रूप से साइटोसिन पर होता है जो गुआनाइन न्यूक्लियोटाइड (CpG sites) से पहले होता है।
        • साइटोसिन एक रासायनिक यौगिक है जिसका उपयोग DNA और RNA के बिल्डिंग ब्लॉक्स बनाने के लिये किया जाता है। 
    • भारतीय फोरेंसिक वैज्ञानिकों ने अभी तक इस तकनीक के अनुप्रयोग का अध्ययन नहीं किया है।
  • रेडियोग्राफिक तकनीक:  
    • एक्स-रे और CT स्कैन का उपयोग हड्डियों की परिपक्वता का आकलन करने के साथ-साथ अध:पतन या बीमारी के लक्षणों को जानने के लिये किया जा सकता है।

भारत में जन्म पंजीकरण की स्थिति: 

  • परिचय:
    • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में केवल 72 फीसदी का जन्म पंजीकरण किया गया था।
    • इसके अतिरिक्त प्रतिवर्ष जन्म लेने वाले 26 मिलियन बच्चों में से अपंजीकृत बच्चों की संख्या 10 मिलियन थी।
      • सतत् विकास लक्ष्य संख्या 16 के तहत जन्म पंजीकरण सहित सभी के लिये कानूनी पहचान प्रदान करना एक विशिष्ट लक्ष्य है।
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के अनुसार, भारत में संस्थागत प्रसव, वर्ष 2005-06 (NFHS-3) के 40.8% से बढ़कर वर्ष 2019-21 (NFHS-5) में 88.6% हो गया है।  
      • आश्चर्य की बात है कि संस्थागत प्रसव में वृद्धि के बावजूद उम्र साबित करना आपराधिक मुकदमों में एक विवादित मुद्दा बना हुआ है।
  • गैर-अनुपालन के लिये ज़ुर्माना:
    • किसी भी परिवार के प्रमुख अथवा अस्पताल द्वारा जन्म का पंजीकरण न कराने पर जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत 50 रुपए तक का ज़ुर्माना लगाया जा सकता है। 
    • इस अधिनियम के संशोधन मसौदे में अन्य बातों के साथ-साथ किसी व्यक्ति और संस्था के लिये ज़ुर्माने को क्रमशः 250 रुपए और 1000 रुपए तक बढ़ाने का प्रस्ताव है।  
      • इसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से लोगों को जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण के लिये राजी करना है और ऐसा नहीं करने वालों के लिये किसी दंड का प्रावधान नहीं है।

आगे की राह

  • हालाँकि उम्र का अनुमान लगाने के लिये बेहतर चिकित्सा तकनीकों का परिचय स्वागत योग्य है, लेकिन यह बेहतर होगा कि प्रत्येक जन्म को अस्पताल या किसी अन्य प्रमाण के आधार पर दर्ज किया जाए ताकि कानून की नज़र में इसकी विश्वसनीयता बनी रहे।  
  • अंतत: तथ्य यह है कि जन्म पंजीकरण (जन्म तिथि के बारे में) का चिकित्सकीय राय के आधार पर अनुमानित आयु की तुलना में अधिक प्रमाणिक मूल्य होता है, जो कई बार गलत हो सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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