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सामाजिक न्याय

भारत में दत्तक ग्रहण

  • 22 Jun 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में दत्तक ग्रहण, केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण, हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021

मेन्स के लिये:

भारत में दत्तक ग्रहण से संबंधित कानून, भारत में दत्तक ग्रहण से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?  

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने हाल ही में महाराष्ट्र में दत्तक ग्रहण के मामलों के महत्त्वपूर्ण बैकलॉग पर प्रकाश डाला है, जिसमें भारत में दत्तक ग्रहण के लंबित मामलों की संख्या (329 समाधान की प्रतीक्षा में) सबसे अधिक है।

  • जनवरी 2023 में बॉम्बे उच्च न्यायालय  ने राज्य सरकार को दत्तक ग्रहण के लंबित मामलों को ज़िला मजिस्ट्रेटों को स्थानांतरित नहीं करने का निर्देश दिया, [जैसा कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021 के तहत अनिवार्य है], जिससे भ्रम पैदा हुआ और प्रगति में बाधा उत्पन्न हुई।

भारत में बाल दत्तक ग्रहण की स्थिति: 

  • परिचय:  
    • यह एक कानूनी और भावनात्मक प्रक्रिया है जिसमें ऐसे बच्चे की देखभाल की ज़िम्मेदारी स्वीकार करना शामिल है जो दत्तक ग्रहण वाले माता-पिता से जैविक रूप से संबंधित नहीं है।
    • भारत में दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया की निगरानी और विनियमन केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority- CARA) द्वारा किया जाता है, जो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का हिस्सा है।
      • CARA भारतीय बच्चों को दत्तक ग्रहण के लिये नोडल निकाय है और इसे देश में दत्तक ग्रहण की निगरानी करने एवं विनियमन का अधिकार है।  
      • CARA को वर्ष 2003 में भारत सरकार द्वारा अनुसमर्थित हेग कन्वेंशन ऑन इंटरकंट्री एडॉप्शन, 1993 के प्रावधानों के अनुसार अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण (Adoptions) की गतिविधियों से निपटने के लिये केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में भी नामित किया गया है। 
  • भारत में दत्तक ग्रहण से संबंधित कानून:   
    • भारत में दत्तक ग्रहण दो कानूनों द्वारा शासित होते हैं: हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 तथा किशोर न्याय अधिनियम, 2015
      • दोनों कानूनों में दत्तक माता-पिता के लिये पात्रता मानदंड अलग-अलग हैं।
    • किशोर न्याय अधिनियम के तहत आवेदन करने वालों को CARA के पोर्टल पर पंजीकरण करना होता है जिसके बाद एक विशेष दत्तक ग्रहण वाली एजेंसी एक गृह अध्ययन (Home Study) संबंधी रिपोर्ट तैयार करती है।
      • जब यह स्पष्ट हो जाता है कि उम्मीदवार दत्तक ग्रहण के लिये योग्य है, तो दत्तक ग्रहण के लिये कानूनी रूप से स्वतंत्र घोषित किये गए बच्चे को आवेदक को सौंप दिया जाता है।
    • HAMA के तहत एक "दत्तक होम" समारोह अथवा एक दत्तक ग्रहण का कार्य या नायालय का एक आदेश अपरिवर्तनीय दत्तक ग्रहण के अधिकार प्राप्त करने हेतु पर्याप्त है।
      • इस अधिनियम के तहत हिंदू, बौद्ध, जैन और सिखों को बच्चे दत्तक ग्रहण का अधिकार प्राप्त है।
  • हालिया बदलाव:  
    • संसद ने किशोर न्याय अधिनियम, 2015 में संशोधन करने के लिये किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021 पारित किया।
      • इससे पहले किशोर न्याय अधिनियम, 2015 में किसी बच्चे को दत्तक ग्रहण के मामले में सिविल कोर्ट द्वारा दत्तक ग्रहण का आदेश जारी करना अंतिम निर्णय हुआ करता था।
        • मुख्य बदलावों में किशोर न्याय अधिनियम की धारा 61 के तहत दत्तक ग्रहण (दत्तक ग्रहण) के आदेश जारी करने के लिये ज़िला मजिस्ट्रेट और अतिरिक्त ज़िला मजिस्ट्रेट की सहमतिअनिवार्य कर दी गई है।
    • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने दत्तक ग्रहण विनियम- 2022 पेश किया है जिससे दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया काफी सुव्यवस्थित हो गई है।
      • ज़िला मजिस्ट्रेटों (District Magistrates- DM) और बाल कल्याण समितियों को वास्तविक समय में दत्तक ग्रहण के आदेश तथा मामले की स्थिति अद्यतन करने का निर्देश दिया गया है।
      • दत्तक ग्रहण विनियम, 2022 के कार्यान्वयन के बाद से देश भर में DM द्वारा 2,297 दत्तक ग्रहण के आदेश जारी किये गए हैं, जिससे लंबित मामलों का गंभीर पहलू का समाधान हो गया है।

भारत में दत्तक ग्रहण से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ:  

  • दत्तक ग्रहण से संबंधित लंबी और जटिल प्रक्रिया: भारत में संबंधित प्रक्रिया लंबी, जटिल और नौकरशाही से प्रभावित हो सकती है, जिससे बच्चों को उपयुक्त परिवारों को सौंपने में देरी हो सकती है।
    • CARA के आँकड़े बताते हैं कि जहाँ 30,000 से अधिक भावी माता-पिता अब दत्तक ग्रहण की प्रतीक्षा कर रहे हैं, वहीं 2131 बच्चों में से 7% से भी कम बच्चे दत्तक ग्रहण हेतु कानूनी रूप से उपलब्ध हैं, जो भारत की श्रमसाध्य एवं लंबी दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को उजागर करता है।
    • उनमें से लगभग दो-तिहाई विशेष आवश्यकता वाले बच्चे हैं और दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने में तीन वर्ष लगते हैं।
  • अवैध और अनियमित प्रथाएँ: भारत में अवैध और अनियमित दत्तक ग्रहण की प्रथाओं के उदाहरण देखे जा सकते हैं। इसमें शिशु तस्करी, बच्चों की बिक्री और अपंजीकृत दत्तक ग्रहण वाली एजेंसियों का अस्तित्व शामिल है, जो कमज़ोर बच्चों एवं जैविक माता-पिता का शोषण करते हैं।
    • वर्ष 2018 में राँची की मदर टेरेसा की मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी "बच्चे बेचने वाले रैकेट" के संदर्भ में आलोचना का शिकार हो गई थी, जब आश्रय स्थल की एक नन ने चार बच्चों को बेचने की बात कबूल की थी।
  • दत्तक ग्रहण के बाद बच्चों को वापस लौटाना: भारत को दत्तक ग्रहण के बाद बच्चों को लौटाने वाले माता-पिता की संख्या में भी असामान्य वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है। 
    • वर्ष 2020 में CARA ने कहा कि पिछले पाँच वर्षों में देश भर में गोद लिये गए 1,100 से अधिक बच्चों को उनके दत्तक माता-पिता द्वारा बाल देखभाल संस्थानों में वापस कर दिया गया है।

आगे की राह

  • दत्तक ग्रहण के कानूनों को मज़बूत करना: प्रक्रिया को सुव्यवस्थित, और अधिक पारदर्शी बनाने तथा बच्चे के सर्वोत्तम हितों को सुनिश्चित करने हेतु दत्तक ग्रहण के कानूनों की समीक्षा एवं अद्यतन करने की आवश्यकता है।
    • इसमें कागज़ी कार्यवाही को सरल बनाना, समय में लगने वाली देरी को कम करना और मौजूदा कानून में किसी भी खामी या अस्पष्टता को दूर करना शामिल है।
  • दत्तक ग्रहण के बाद की सेवाएँ: दत्तक माता-पिता और गोद लिये गए बच्चों दोनों की सहायता हेतु दत्तक ग्रहण के बाद की सहायता सेवाएँ स्थापित करने की आवश्यकता है।
    • इसमें परामर्श, शैक्षिक सहायता, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच तथा दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया के दौरान आने वाली किसी भी चुनौती के प्रबंधन के लिये मार्गदर्शन करना शामिल हो सकता है।
  • जागरूकता और शिक्षा: परिवार निर्माण के लिये एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में दत्तक ग्रहण के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
    • इसमें दत्तक ग्रहण के लाभों, प्रक्रियाओं और कानूनी पहलुओं के बारे में जनता को शिक्षित करना शामिल है। साथ ही दत्तक ग्रहण के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना तथा इससे संबंधित गलतफहमियों या कलंक को दूर करना आवश्यक है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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