भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या रिपोर्ट 2021: NCRB | 30 Aug 2022
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, NCRB की रिपोर्ट, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय आँकड़े। मेन्स के लिये:जनसंख्या और संबद्ध मुद्दे, NCRB रिपोर्ट की मुख्य निष्कर्ष, NCRB की रिपोर्ट, NCRB के कार्य। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने "भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या रिपोर्ट 2021" जारी की है।
- रिपोर्ट में "महिलाओं के खिलाफ अपराध", "आत्महत्या" और "अपराध दर" के आँकड़े दिये गए हैं।
महिलाओं के खिलाफ अपराध
- राष्ट्रीय आँकड़े:
- महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर (प्रति 1 लाख जनसंख्या पर घटनाओं की संख्या) वर्ष 2020 में 56.5% से बढ़कर वर्ष 2021 में 64.5% हो गई।
- 31.8%: पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता,
- 20.8%: उसकी विनम्रता को अपमानित करने के इरादे से महिलाओं पर हमला,
- 17.66%: अपहरण,
- 7.40%: बलात्कार।
- महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर (प्रति 1 लाख जनसंख्या पर घटनाओं की संख्या) वर्ष 2020 में 56.5% से बढ़कर वर्ष 2021 में 64.5% हो गई।
- राज्य:
- वर्ष 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की उच्चतम दर असम में 168.3% दर्ज की गई, इसके बाद ओडिशा, हरियाणा, तेलंगाना और राजस्थान का स्थान रहा।
- राजस्थान मेंं महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की वास्तविक संख्या में मामूली कमी देखी गई है, जबकि तीन अन्य राज्यों (ओडिशा, हरियाणा और तेलंगाना) में वृद्धि दर्ज की गई है।
- वर्ष 2021 में दर्ज मामलों की वास्तविक संख्या के संदर्भ में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है, इसके बाद क्रमशः राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और ओडिशा का स्थान आता है।
- नगालैंड में पिछले तीन वर्षों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे कम मामले दर्ज किये गए।
- वर्ष 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की उच्चतम दर असम में 168.3% दर्ज की गई, इसके बाद ओडिशा, हरियाणा, तेलंगाना और राजस्थान का स्थान रहा।
- केंद्रशासित प्रदेश:
- केंद्रशासित प्रदेशों के वर्ग में दिल्ली में वर्ष 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की उच्चतम दर 147.6% थी।
- शहर:
- जयपुर में सबसे अधिक 194% से अधिक की दर थी, इसके बाद दिल्ली, इंदौर और लखनऊ का स्थान था।
- चेन्नई और कोयंबटूर (दोनों चेन्नई में) की दर सबसे कम थी।
- इन शहरों में वास्तविक संख्या में दिल्ली वर्ष 2021 (13,892) में सबसे ऊपर है, उसके बाद मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद का स्थान है।
- जयपुर में सबसे अधिक 194% से अधिक की दर थी, इसके बाद दिल्ली, इंदौर और लखनऊ का स्थान था।
- घरेलू हिंसा और दहेज से होने वाली मौतें:
- घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत वर्ष 2021 में देश में केवल 507 मामले दर्ज किये गए, जो महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल मामलों का 0.1% है।
- सबसे अधिक मामले (270) केरल में दर्ज किये गए।
- वर्ष 2021 में दहेज हत्या के 6,589 मामले दर्ज किये गए, जिनमें सबसे अधिक ऐसी मौतें उत्तर और बिहार में दर्ज की गईं।
- घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत वर्ष 2021 में देश में केवल 507 मामले दर्ज किये गए, जो महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल मामलों का 0.1% है।
आत्महत्या दर से संबंधित रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- दैनिक वेतन भोगी:
- वर्ष 2021 में आत्महत्या पीड़ितों के बीच दैनिक वेतन भोगी सबसे बड़ा पेशा-वार समूह बना रहा, जो 42,004 आत्महत्याओं (25.6%) के लिये जिम्मेदार है।
- आत्महत्या से दिहाड़ी मजदूरों की मृत्यु का हिस्सा पहली बार चतुर्थांश आंकड़े को पार कर गया है।
- राष्ट्रीय स्तर पर आत्महत्याओं की संख्या में वर्ष 2020 से वर्ष 2021 तक 7.17% की वृद्धि हुई।
- हालाँकि, इस अवधि के दौरान दैनिक वेतन भोगी समूह में आत्महत्या करने वालों की संख्या में 11.52% की वृद्धि हुई।
- कृषि क्षेत्र:
- कुल दर्ज आत्महत्याओं में "कृषि क्षेत्र में लगे व्यक्तियों" की कुल हिस्सेदारी वर्ष 2021 के दौरान 6.6% थी।
- पेशे के अनुसार वितरण:
- 16.73% की उच्चतम वृद्धि "स्व-नियोजित व्यक्तियों" द्वारा दर्ज की गई थी।
- “बेरोज़गार व्यक्ति” समूह ही एकमात्र ऐसा समूह था जिसने आत्महत्याओं की संख्या में गिरावट देखी, जिसमें वर्ष 2020 में 15,652 से 12.38% की गिरावट के साथ वर्ष 2021 में 13,714 आत्महत्याएँ हुईं।
- आत्महत्या के कारण:
- 33.2%: पारिवारिक समस्याएँ (विवाह संबंधी समस्याओं के अलावा)
- 4.8%: विवाह संबंधी समस्याएँ
- 18.6%: बीमारी
- राज्य:
- वर्ष 2021 में रिपोर्ट की गई आत्महत्याओं की संख्या के मामले में महाराष्ट्र देश में सबसे ऊपर है, उसके बाद तमिलनाडु और मध्य प्रदेश हैं।
- वर्ष 2021 में देश भर में दर्ज आत्महत्याओं की कुल संख्या में महाराष्ट्र का योगदान 13.5% था।
- वर्ष 2021 में रिपोर्ट की गई आत्महत्याओं की संख्या के मामले में महाराष्ट्र देश में सबसे ऊपर है, उसके बाद तमिलनाडु और मध्य प्रदेश हैं।
- केंद्रशासित प्रदेश:
- दिल्ली में सबसे अधिक 2,840 आत्महत्याएँ दर्ज की गईं।
अपराध दर के लिये रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- परिचय:
- बलात्कार, अपहरण, बच्चों के खिलाफ अपराध और डकैती जैसे पंजीकृत हिंसक अपराध पूरे भारत में वर्ष 2021 में फिर से बढ़े।
- महामारी संबंधी प्रतिबंधों के कारण वर्ष 2020 में इन गंभीर अपराधों में कमी आई है।
- हत्या के मामलों में वर्ष 2020 में भी कमी नहीं आई थी जो वर्ष 2021 में भी बढ़ते रहे ।
- बलात्कार, अपहरण, बच्चों के खिलाफ अपराध और डकैती जैसे पंजीकृत हिंसक अपराध पूरे भारत में वर्ष 2021 में फिर से बढ़े।
- अपराध वार आँकड़े:
- बलात्कार के मामले:
- 13% की वृद्धि (वर्ष 2020 में 28,046)।
- राजस्थान में वर्ष 2021 में बलात्कार की उच्चतम दर 16.4% थी जो वास्तविक संख्या में 6,337 मामलों के साथ शीर्ष पर रहा है।
- अपहरण:
- 20% की वृद्धि (वर्ष 2020 में 84,805)।
- हत्या:
- वर्ष 2021 में 29,272 मामले बढ़कर 2020 में 29,193 हो गए।
- उत्तर प्रदेश राज्य में हत्या के सबसे अधिक मामले दर्ज किये गए, उसके बाद बिहार और महाराष्ट्र का स्थान रहा है।
- बच्चों के खिलाफ अपराध:
- कोविड से संबंधित प्रतिबंध के कारण वर्ष 2020 में गिरावट के बाद बच्चों के खिलाफ अपराध महामारी पूर्व के स्तर को पार कर गया।
- वर्ष 2021 में 49 लाख ऐसे मामले दर्ज किये गए, जो वर्ष 2019 में 1.48 लाख से अधिक हैं।
- केरल, मेघालय, हरियाणा और मिज़ोरम के बाद सिक्किम में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की दर सबसे अधिक है।
- बलात्कार के मामले:
- कोविड-19 उल्लंघन:
- वर्ष 2021 में समग्र अपराधों में गिरावट को "एक लोक सेवक, IPC की धारा 188 द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा" के तहत दर्ज मामलों में तीव्र कमी के लिये ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।
- ऐसे मामले मुख्य रूप से कोविड-19 मानदंडों के उल्लंघन को लेकर दर्ज किये गए थे। उन्हें 'अन्य IPC अपराध' और 'अन्य राज्य स्थानीय अधिनियमों' के तहत भी दर्ज किया गया था।
- IPC की धारा 188 के तहत दर्ज मामलों की संख्या वर्ष 2020 में 6.12 लाख मामलों से लगभग 50% कम होकर वर्ष 2021 में 3.22 लाख हो गई है।
- वर्ष 2021 में समग्र अपराधों में गिरावट को "एक लोक सेवक, IPC की धारा 188 द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा" के तहत दर्ज मामलों में तीव्र कमी के लिये ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो:
- परिचय:
- नई दिल्ली में NCRB के मुख्यालय की स्थापना वर्ष 1986 में गृह मंत्रालय के तहत अपराध और अपराधियों पर सूचना के भंडार के रूप में कार्य करने के लिये की गई थी ताकि अपराधियों के संबंध में जांचकर्त्ताओं की सहायता की जा सके।
- इसकी स्थापना राष्ट्रीय पुलिस आयोग (1977-1981) और गृह मंत्रालय कार्य बल (1985) की सलाह के आधार पर किया गया था।
- कार्य:
- ब्यूरो को यौन अपराधियों के राष्ट्रीय डेटाबेस (NDSO) को बनाए रखने और इसे नियमित रूप से राज्यों/केंद्रशासित राज्यों के साथ साझा करने का काम सौंपा गया है।
- NCRB को 'ऑनलाइन साइबर-अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल' के तकनीकी और परिचालन कार्यों का प्रबंधन करने के लिये केंद्रीय नोडल एजेंसी के रूप में भी नामित किया गया है, जिस पोर्टल पर कोई भी नागरिक शिकायत दर्ज करा सकता है या चाइल्ड पोर्नोग्राफी या बलात्कार/सामूहिक बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के संबद्ध में सबूत के तौर पर विडियो अपलोड कर सकता है।
- इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) के क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी भी NCRB को दी गई है।
- ICJS देश में आपराधिक न्याय प्रदान करने के लिये प्रयोग की जाने वाली मुख्य आईटी प्रणाली के एकीकरण को सक्षम करने के लिये एक राष्ट्रीय मंच है।
- यह प्रणाली के पाँच स्तंभों जैसे पुलिस (अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग और नेटवर्क सिस्टम के माध्यम से), फोरेंसिक लैब के लिये ई-फोरेंसिक, न्यायालयों के लिये ई-कोर्ट, लोक अभियोजकों के लिये ई-अभियोजन और जेलों के लिये ई-जेल को एकीकृत करने का प्रयास करता है।
- प्रमुख प्रकाशन:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. भारत के सबसे समृद्ध क्षेत्रों में भी महिलाओं का लिंगानुपात प्रतिकूल क्यों है? अपने तर्क दीजिये। (2014) |