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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

छठी वार्षिक बैठक: AIIB

  • 27 Oct 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक, पेरिस समझौता 

मेन्स के लिये:

एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक द्वारा भारत की विभिन्न परियोजनाओं के लिये आवंटित ऋण का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री ने एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (Asian Infrastructure Investment Bank- AIIB) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की छठी वार्षिक बैठक में भाग लिया।

प्रमुख बिंदु

  • भारत का पक्ष:
    • कोविड में मदद:
      • भारत सहित सदस्य देशों को कोविड-19 को नियंत्रित करने और उसका मुकाबला करने के उनके प्रयासों हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने में AIIB की त्वरित कार्रवाई की सराहना की गई।
    • बहुपक्षीय बैंकिंग:
      • कोविड-19 संकट और आसन्न जलवायु संकट से निपटने के लिये देशों के प्रयासों के पूरक के रूप में बहुपक्षीय बैंकों (Multilateral Banks) के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया।
    •  बैंक से अपेक्षाएँ: 
      • सामाजिक बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में संपत्ति के निर्माण और विकास में निवेश के अवसरों का पता लगाने की आवश्यकता है।
      • समावेशी एवं हरित विकास के लिये निजी क्षेत्र से पूंजी जुटाने की प्रक्रिया को और तेज करना।
      • जवाबदेही, पारदर्शिता और संचालन एवं निवेश की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये एक रेजिडेंट बोर्ड व क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करना।
  • AIIB का पक्ष:
    • भारत के लिये सुझाव:
      • इसे भौतिक बुनियादी ढाँचे और सामाजिक बुनियादी ढाँचे जैसे स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के बीच संतुलन बनाना चाहिये।
    • भारत में भविष्य के प्रयास:
      • यह आने वाले वर्षों में भारत में सामाजिक और जलवायु-लचीला बुनियादी ढाँचे दोनों को वित्तपोषित करेगा।
      • यह जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये पेरिस समझौते के लक्ष्यों के साथ अपने कार्यों को संरेखित करेगा।

भारत और AIIB:

  • वर्ष 2016 में स्थापित AIIB के 57 संस्थापक सदस्यों में से भारत एक है।
  • भारत, AIIB में चीन (26.06%) के बाद दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक (7.62% वोटिंग शेयर के साथ) है।
  • भारत ने AIIB से 4.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण प्राप्त किया है जो किसी भी देश द्वारा प्राप्त सबसे अधिक ऋण राशि है। AIIB द्वारा अब तक 24 देशों में 87 परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिये 19.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण को मंज़ूरी दी गई है।
    • तुर्की 1.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ ऋण प्राप्ति में दूसरे स्थान पर है।
  • AIIB द्वारा भारत में ऊर्जा, परिवहन एवं जल जैसे क्षेत्रों के अलावा बंगलूरू मेट्रो रेल परियोजना (335 मिलियन अमेरिकी डॉलर), गुजरात में ग्रामीण सड़क परियोजना (329 मिलियन अमेरिकी डॉलर) तथा मुंबई शहरी परिवहन परियोजना के चरण-3 (500 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के वित्तपोषण के लिये मंज़ूरी दी गई है।
    • भारत को आधुनिक बुनियादी ढाँचे को विकसित करने की ज़रूरत है और बैंक के  प्रस्तावों के आधार पर सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि उन बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाए जो जलवायु परिवर्तन से निपट सकें।
  • हाल ही में एक आभासी बैठक में भारत द्वारा कहा गया कि COVID-19 संकट के दौरान AIIB से अपेक्षा की जाती है कि वह AIIB पुनर्प्राप्ति प्रतिक्रिया (AIIB Recovery Response) अर्थात् ‘क्राइसिस रिकवरी फैसिलिटी’ द्वारा सामाजिक बुनियादी ढाँचे को विकसित करने तथा जलवायु परिवर्तन एवं सतत् ऊर्जा संबंधी बुनियादी ढाँचे के विकास को एकीकृत करने के लिये नए वित्त संसाधनों को उपलब्ध कराए।
    • इसका निहितार्थ यह है कि हाल ही में भारत द्वारा चीन के साथ अपने व्यापार और निवेश को कम किया गया है, इसके बावजूद भारत का चीन के नेतृत्व वाले एशियाई इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के साथ अपने सहयोग को बदलने या कम करने का कोई इरादा नहीं है।

एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक:

  • एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) एक बहुपक्षीय विकास बैंक है जिसका उद्देश्य एशिया में सामाजिक-आर्थिक परिणामों को बेहतर बनाना है।
    • यह नई पूंजी को अनलॉक करके और हरित, प्रौद्योगिकी-सक्षम एवं क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने वाले बुनियादी ढाँचे में निवेश कर ग्राहकों की ज़रूरतों को पूरा करता है।
  • इसकी स्थापना AIIB आर्टिकल्स ऑफ एग्रीमेंट (25 दिसंबर, 2015 से लागू) नामक एक बहुपक्षीय समझौते के माध्यम से की गई है।
    • समझौते के पक्षकारों  (57 संस्थापक सदस्य) हेतु बैंक की सदस्यता अनिवार्य है।
    • AIIB के सदस्य देशों की संख्या अब बढ़कर 102 तक पहुँच गई है।
  • इसका मुख्यालय बीजिंग में है और जनवरी 2016 में इसका परिचालन शुरू हुआ।

स्रोत: द हिंदू

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