बाघ संरक्षण पर चौथा एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन | 22 Jan 2022

प्रिलिम्स के लिये:

बाघ की संरक्षण स्थिति, सुनिश्चित संरक्षण, टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS), ग्लोबल टाइगर समिट, प्रोजेक्ट टाइगर

मेन्स के लिये:

बाघ संरक्षण और इससे संबंधित पहल का महत्त्व, जैव विविधता के नुकसान के कारण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बाघ संरक्षण पर चौथा एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया है।

  • भारत के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने बाघों के पुनरुत्पादन के लिये दिशा निर्देश जारी करने का निर्णय लिया है जिनका उपयोग अन्य बाघ रेंज वाले देशों द्वारा किया जा सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • ग्लोबल टाइगर रिकवरी प्रोग्राम की प्रगति और बाघ संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धताओं की समीक्षा के लिये यह सम्मेलन महत्त्वपूर्ण है।
    • इसका आयोजन मलेशिया और ग्लोबल टाइगर फोरम (GTF) द्वारा किया गया था।
    • भारत इस वर्ष (2022) के अंत में रूस में होने वाले ग्लोबल टाइगर समिट के लिये नई दिल्ली घोषणा को अंतिम रूप देने की दिशा में बाघ रेंज वाले देशों को सुविधा प्रदान करेगा।
      • वर्ष 2010 में नई दिल्ली में एक "प्री-टाइगर समिट" आयोजित की गई थी, जिसमें ग्लोबल टाइगर समिट के लिये बाघ संरक्षण के मसौदा को अंतिम रूप दिया गया था।
      • भारत, बाघ रेंज वाले देशों के अंतर-सरकारी मंच  ग्लोबल टाइगर फोरम के संस्थापक सदस्यों में से एक है।
      • पिछले कुछ वर्षों में GTF ने भारत सरकार, भारत में बाघ राज्य और बाघ रेंज वाले देशों के साथ मिलकर कार्य करते हुए कई विषयगत क्षेत्रों पर अपने कार्यक्रम का विस्तार किया है।
      • GTF में बाघ रेंज वाले देश: बांग्लादेश, भूटान, भारत, कंबोडिया, नेपाल, म्याँमार और वियतनाम।
  • बाघ संरक्षण का महत्व:
    • पारिस्थितिक प्रक्रियाओं को विनियमित करने में महत्त्वपूर्ण:
      • बाघ एक अनूठा जानवर है जो किसी स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र और उसकी विविधता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
        • वनों को स्वच्छ हवा, पानी, परागण, तापमान विनियमन आदि जैसी पारिस्थितिक सेवाएँ प्रदान करने के लिये जाना जाता है।
    • खाद्य शृंखला बनाए रखना:
      • यह खाद्य शृंखला का एक उच्च उपभोक्ता है जो खाद्य शृंखला में शीर्ष पर है और जंगली (मुख्य रूप से बड़े स्तनपायी) आबादी पर नियंत्रण रखता है।
      • इस प्रकार बाघ शिकार द्वारा उन शाकाहारी जंतुओं और उस वनस्पतियों के मध्य संतुलन बनाए रखने में मदद करता है जिन पर वह भोजन के लिये निर्भर होता है।
  • बाघ संरक्षण की स्थिति:
  • भारत की बाघ संरक्षण स्थिति:
    • भारत वैश्विक स्तर पर बाघों की 70% से अधिक आबादी का घर है।
    • भारत के 18 राज्यों में कुल 53 बाघ अभयारण्य हैं और वर्ष 2018 की अंतिम बाघ गणना में इनकी आबादी में वृद्धि देखी गई।
    • भारत ने बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा (St. Petersburg Declaration) से चार वर्ष पहले बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल किया।
    • भारत की बाघ संरक्षण रणनीति में स्थानीय समुदायों को भी शामिल किया गया है।
  •  उठाए गए कदम:
    • कंज़र्वेशन एश्योर्ड|टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS):
      • भारत में 14 टाइगर रिज़र्व को पहले ही कंज़र्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS) से सम्मानित किया जा चुका है तथा अधिक से अधिक टाइगर रिज़र्व को (CA|TS) के तहत लाने के लिये प्रयास जारी हैं।
    • प्रोजेक्ट टाइगर:
      •  यह वर्ष 1973 में शुरू की गई पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की एक केंद्र प्रायोजित योजना है। यह देश के राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों को आश्रय प्रदान करती है।
    • बजटीय आवंटन:
      • बाघों के संरक्षण के लिये बजटीय आवंटन वर्ष 2014 में 185 करोड़ रुपए था जिसे वर्ष 2022 में बढ़ाकर 300 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
    • फ्रंटलाइन स्टाफ की मदद करना:
      • फ्रंटलाइन स्टाफ जो कि बाघ संरक्षण का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है, के लिये श्रम और रोजगार मंत्रालय की हालिया पहल ई-श्रम के तहत प्रत्येक संविदा/अस्थायी कार्यकर्त्ता को 2 लाख रुपए का जीवन कवर और आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य कवर प्रदान किया गया है। 

Tiger-Reserves

स्रोत: पी.आई.बी.