आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के 3 वर्ष | 05 Oct 2024

प्रिलिम्स के लिये:

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM), DPDP अधिनियम, 2023, डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना (DHIS), राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, राष्ट्रीय दंत चिकित्सा रजिस्टर (NDR)

मेन्स के लिये:

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) की मुख्य विशेषताएँ और संबंधित चुनौतियाँ।

स्रोत: पीआईबी

चर्चा में क्यों?

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) ने 27 सितंबर को अपनी तीन वर्ष की यात्रा पूरी कर ली, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा में पहुँच, दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाकर देश के डिजिटल स्वास्थ्य सेवा इकोसिस्‍टम में क्रांति लाना है।

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) क्या है?

  • परिचय:
    • इसे वर्ष 2021 में सभी भारतीय नागरिकों को डिजिटल स्वास्थ्य ID प्रदान करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था ताकि अस्पतालों, बीमा फर्मों और नागरिकों को आवश्यकता पड़ने पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुँचने में सहायता मिल सके। 
    • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) ABDM की कार्यान्वयन एजेंसी है।
  • ABDM की मुख्य विशेषताएँ:
    • नागरिकों के लिये विशिष्‍ट स्वास्थ्य पहचानकर्त्ता: प्रत्येक व्यक्ति के लिये विशिष्‍ट स्वास्थ्य ABHA ID, जो स्वास्थ्य रिकॉर्ड को संग्रहीत और प्रबंधित करने हेतु मज़बूत व भरोसेमंद पहचान स्थापित करती है।
    • स्वास्थ्य सेवा व्‍यवसायी रजिस्ट्री (HPR): आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में संलग्‍न सभी स्वास्थ्य व्‍यवसायियों का व्यापक संग्रह, जो भारत के डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्‍टम से जुड़ने में सक्षम बनाएगा।  
    • स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री (HFR): अस्पतालों, क्लीनिकों, प्रयोगशालाओं और फार्मेसियों सहित चिकित्सा की सभी प्रणालियों में सार्वजनिक एवं निजी स्वास्थ्य सुविधाओं का एक व्यापक भंडार।  
    • एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफेस (UHI): यह स्वास्थ्य सेवाओं की तलाश और प्रदायगी को सुगम बनाता है, जिससे स्वास्थ्य सेवा संबंधी अंतःक्रियाएँ सुव्यवस्थित होती हैं और सेवा तक पहुँच में सुधार होता है।
    • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: DPDP अधिनियम, 2023 के अनुरूप, ABDM की संघीय संरचना रोगी के स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी की सुरक्षा, गोपनीयता और उसके सुरक्षित साझाकरण को सुनिश्चित करती है।
    • पारदर्शिता: यह व्यक्तियों को सार्वजनिक और निजी दोनों तरह की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच कायम करने का विकल्प प्रदान करती है, दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करती है तथा मूल्य निर्धारण व जवाबदेही में पारदर्शिता को बढ़ावा देती है।
  • ABDM की महत्त्वपूर्ण पहल:
    • स्कैन और शेयर: एक क्यूआर-कोड आधारित OPD पंजीकरण सेवा है, जिससे रोग उक्‍त सुविधा के क्यूआर कोड को स्कैन कर सकते हैं और अपनी जनसांख्यिकीय जानकारी साझा कर सकते हैं। इससे पंजीकरण काउंटर पर लगने वाली लंबी कतारों में कमी आती है तथा अधूरे और गलत डेटा की प्रविष्टि होने में कमी आती है। 
    • डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना (DHIS): डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना (DHIS) अस्पतालों, नैदानिक ​​प्रयोगशालाओं और डिजिटल स्वास्थ्य समाधान प्रदाताओं को विभिन्न प्रोत्साहनों के माध्यम से परिवर्तनकारी डिजिटलीकरण प्रथाओं को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करती है।
    • निजी क्षेत्र के अपनाने के लिये माइक्रोसाइट: माइक्रोसाइट पहल का उद्देश्य विशेष रूप से निजी क्षेत्र के प्रदाताओं के लिये ABDM अपनाने की दिशा में विभिन्न चुनौतियों से निपटना है, इसके तहत 100 के प्रारंभिक लक्ष्य को पार करते हुए 106 माइक्रोसाइटों को सफलतापूर्वक परिचालित किया गया है।
    • एंड टू एंड ABDM अपनाने का परीक्षण: इस परीक्षण का उद्देश्य पूरे भारत में विभिन्न सुविधाओं के स्तर पर सार्वजनिक और निजी सुविधाओं को एंड टू एंड ABDM अपनाने के माध्यम से डिजिटल बनाना है तथा भविष्य के प्रयासों के लिये मानक के रूप में आदर्श सुविधाओं की स्थापना करना है। 
    • नए पोर्टल: NHA ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के लिये राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर (NMC) और राष्ट्रीय दंत चिकित्सा परिषद के लिये राष्ट्रीय दंत चिकित्सा रजिस्टर (NDR) जैसे पोर्टल भी विकसित किये हैं।

नोट:

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) भारत की प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा/आश्वासन योजना के कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार शीर्ष निकाय है।
  • इसकी स्थापना 2 जनवरी 2019 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत की गई थी।

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) की उपलब्धियाँ क्या हैं?

  • ABHA ID: सितंबर 2024 तक 67 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (ABHA) बनाए गए हैं, जो नागरिकों को सुरक्षित पहुँच और स्वास्थ्य रिकॉर्ड साझा करने के लिये विशिष्‍ट डिजिटल स्वास्थ्य ID प्रदान करेंगी।
    • इसके अतिरिक्त, 42 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड ABHA से जोड़े गए हैं, जिससे चिकित्सा इतिहास तक सहज पहुँच संभव हुई है और स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी में वृद्धि हुई है।
  • एकीकरण: प्रयोगशालाओं, फार्मेसियों और डिजिटल समाधान कंपनियों सहित 236 से अधिक निजी संस्थाओं ने अंतर-परिचालन को समर्थन देने के लिये ABDM इकोसिस्‍टम के साथ एकीकरण किया है।   
    • एम्स दिल्ली व एम्स भोपाल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र संस्थान स्कैन और शेयर OPD पंजीकरण बनाने की दिशा में शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता के रूप में उभरे हैं। 
    • अग्रणी निजी स्वास्थ्य सेवा शृंखलाओं ने भी ABDM की सफलता में प्रमुख भूमिका निभाई है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाता रजिस्ट्री (NHPR): NHPR के शुभारंभ के साथ, 3.3 लाख स्वास्थ्य सुविधाओं और 4.7 लाख स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों का पंजीकरण हुआ है। 
    • NHPR पंजीकृत स्वास्थ्य पेशेवरों और स्वास्थ्य सुविधाओं का एक व्यापक भंडार है।

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) से संबंधित प्रमुख चिंताएँ क्या हैं?

  • सीमित डिजिटल ढाँचा:
    • कई ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्र अविश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी और कम डिजिटल साक्षरता से ग्रस्त हैं, जिससे ABDM के साथ प्रभावी जुड़ाव तथा पहुँच में बाधा आ रही है।
  • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा चिंताएँ:
    • स्वास्थ्य अभिलेखों के डिजिटलीकरण से डेटा गोपनीयता, साइबर सुरक्षा और सहमति प्रबंधन के विषय में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं तथा संवेदनशील स्वास्थ्य जानकारी की सुरक्षा में चुनौतियाँ उजागर होती हैं।
  • लागत एवं संसाधन आवंटन:
    • उच्च कार्यान्वयन लागत व बुनियादी ढाँचा, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के लिये अपर्याप्त सरकारी वित्तपोषण के कारण छोटे स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं और चिकित्सकों के लिये ABDM को अपनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
  • विनियामक और कानूनी ढाँचा:
    • डिजिटल स्वास्थ्य के लिये विकसित हो रहे विनियामक ढाँचे, जिसमें अस्पष्ट डेटा संरक्षण कानून और रोगी सहमति दिशानिर्देश शामिल हैं, स्वास्थ्य डेटा स्वामित्व एवं प्रबंधन के संबंध में जवाबदेही व ज़िम्मेदारी में अस्पष्टता उत्पन्न करते हैं।

आगे की राह 

  • डिजिटल बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना: ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों को बढ़ाने में निवेश किया जा सकता है ताकि ABDM तक समान पहुँच सुनिश्चित की जा सके। दूरसंचार प्रदाताओं के साथ सहयोग से मज़बूत डिजिटल नेटवर्क की स्थापना में सहायता मिल सकती है।
  • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा उपायों को बढ़ाना: गोपनीयता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये व्यापक डेटा सुरक्षा विनियम और साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल विकसित करना। सख्त सहमति प्रबंधन ढाँचे को लागू करने से संवेदनशील स्वास्थ्य जानकारी की सुरक्षा करने और उपयोगकर्त्ताओं के बीच विश्वास बनाने में सहायता मिलेगी।
  • बढ़ी हुई फंडिंग और संसाधन आवंटन: ABDM के कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिये पर्याप्त सरकारी संसाधन आवंटित करना, विशेष रूप से छोटी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये। इसमें बुनियादी ढाँचे के विकास, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और क्षमता निर्माण पहलों के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है।
  • एक स्पष्ट विनियामक ढाँचा स्थापित करना: एक सुसंगत और व्यापक विनियामक ढाँचा तैयार करना जो डेटा सुरक्षा कानून, रोगी सहमति दिशानिर्देश व जवाबदेही उपायों को परिभाषित करता है। इससे स्वास्थ्य डेटा स्वामित्व और प्रबंधन के विषय में ज़िम्मेदारियाँ स्पष्ट होंगी, जिससे एक सुरक्षित व भरोसेमंद डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के प्रमुख घटकों पर चर्चा कीजिये और भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर इसके संभावित प्रभाव का विश्लेषण कीजिये?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. प्राइवेट अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों को इसे अवश्य अपनाना चाहिये।
  2. चूँकि इसका लक्ष्य स्वास्थ्य की सर्वजनीन व्याप्ति है, अंततोगत्वा भारत के हर नागरिक को इसका हिस्सा हो जाना चाहिये।
  3. यह पूरे देश में निर्बाध रूप से लागू किया जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)