अंतर्राष्ट्रीय संबंध
एससीओ का 20वाँ सम्मेलन
- 11 Nov 2020
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:शंघाई सहयोग संगठन, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर, चाबहार बंदरगाह, अश्गाबात समझौता मेन्स के लिये:SCO परिषद के सदस्य देशों के प्रमुखों का 20वाँ सम्मेलन |
चर्चा में क्यों?
10 नवंबर, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के प्रमुखों का 20वाँ सम्मेलन आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की।
प्रमुख बिंदु:
- इस सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्त्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।
- इसके अतिरिक्त SCO सचिवालय के महासचिव, एससीओ क्षेत्रीय आतंकरोधी तंत्र के कार्यकारी निदेशक के साथ-साथ 4 पर्यवेक्षक देशों- अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया के राष्ट्रपतियों ने भी इस बैठक में भाग लिया।
- वर्चुअल माध्यम से यह पहला SCO सम्मेलन है और वर्ष 2017 में भारत के इस संगठन के पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद तीसरा सम्मेलन है।
भारत का पक्ष:
- COVID-19 और बहुपक्षीय सुधार: प्रधानमंत्री ने COVID-19 महामारी के बाद विश्व में सामाजिक एवं आर्थिक विषमताओं से निपटने के लिये तत्काल प्रभाव से बहुपक्षीय सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया।
- भारत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के अस्थायी सदस्य के रूप में 1 जनवरी, 2021 से वैश्विक प्रशासन व्यवस्था में अपेक्षित बदलाव के लिये ‘बहुपक्षीय सुधार’ (Reformed Multilateralism) की थीम पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा।
- क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा: प्रधानमंत्री ने क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा एवं विकास के प्रति भारत की दृढ़ता को पुनः दोहराया और आतंकवाद, हथियारों तथा नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी तथा मनी लॉन्ड्रिंग की चुनौतियों का उल्लेख किया।
- गौरतलब है कि भारत के सैनिक संयुक्त राष्ट्र संघ के लगभग 50 शांति मिशनों में शामिल हो चुके हैं।
- भारत का औषधि उद्योग COVID-19 के दौरान 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाओं की आपूर्ति कर रहा है।
- सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंध: प्रधानमंत्री ने SCO के अंतर्गत आने वाले भौगोलिक क्षेत्र में भारत के मज़बूत सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित किया और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन काॅरिडोर, चाबहार बंदरगाह तथा अश्गाबात समझौते जैसे क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने वाले समझौतों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
- क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चीन की बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने SCO के सदस्यों से ‘क्षेत्रीय अखंडता’ एवं ‘संप्रभुता’ का सम्मान करने का आग्रह किया।
- SCO से संबंधित सांस्कृतिक पहल: SCO को लेकर भारत में शुरू की गयी पहलों में भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय द्वारा साझी बौद्ध विरासत पर पहली प्रदर्शनी का आयोजन, वर्ष 2021 में भारत में ‘SCO फूड फेस्टिवल’ का आयोजन और साहित्यिक प्रयास के क्रम में 10 क्षेत्रीय भाषाओं का रूसी एवं चीनी भाषा में अनुवाद शामिल है।
- इस सम्मेलन में भारत ने सदस्य देशों के समक्ष नवाचार एवं स्टार्टअप्स के लिये ‘विशिष्ट कार्य समूह’ (Special Working Group) के गठन तथा पारंपरिक दवाओं पर एक उप-समूह के गठन का भी प्रस्ताव रखा।
उल्लेखनीय है कि SCO समिट की अगली नियमित बैठक 30 नवंबर, 2020 को वर्चुअल प्रारूप में होनी है जिसकी मेज़बानी भारत करेगा।
चीन का पक्ष:
- इस सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन के सदस्यों को आपसी विश्वास को और अधिक मज़बूत करना चाहिये तथा बातचीत एवं परामर्श के माध्यम से विवादों व मतभेदों को हल करना चाहिये, साथ ही आतंकवादी, अलगाववादी और चरमपंथी ताकतों से दृढ़ता से निपटना चाहिये।
- गौरतलब है कि चीनी राष्ट्रपति के इस वक्तव्य को विश्लेषक पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच छह महीने से अधिक समय से सीमा गतिरोध की पृष्ठभूमि के परिप्रेक्ष्य में देख रहे हैं।
- SCO के देशों को किसी भी तरीके से अपने आंतरिक मामलों में बाहरी शक्तियों के दखल का पूरी तरह विरोध करना चाहिये।
- चीन के इस वक्तव्य को अक्तूबर 2020 में जापान के टोक्यो में संपन्न हुई क्वाड (Quad) विदेश मंत्रियों की बैठक के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है, जो 'मुक्त, खुले और समृद्ध' भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिये समर्थन हेतु भारत-अमेरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया देशों को एक मंच पर लाता है।
- ‘चतुर्भुज सुरक्षा संवाद’ (Quadrilateral Security Dialogue) अर्थात् क्वाड भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता मंच है।
- चीन के इस वक्तव्य को अक्तूबर 2020 में जापान के टोक्यो में संपन्न हुई क्वाड (Quad) विदेश मंत्रियों की बैठक के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है, जो 'मुक्त, खुले और समृद्ध' भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिये समर्थन हेतु भारत-अमेरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया देशों को एक मंच पर लाता है।