15वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन | 25 Aug 2023
प्रिलिम्स के लिये:मेन्स के लिये:समूह और समझौते, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका द्वारा जोहान्सबर्ग में 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, भू-राजनीतिक परिवर्तनों और वैश्विक आर्थिक गतिशीलता की पृष्ठभूमि में इस सम्मेलन का काफी महत्त्व है।
- विशेष रूप से यह शिखर सम्मेलन वर्ष 2019 में कोविड -19 महामारी के बाद पहली व्यक्तिगत बैठक है।
- 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का विषय "ब्रिक्स और अफ्रीका: पारस्परिक रूप से त्वरित विकास, धारणीय विकास और समावेशी बहुपक्षवाद के लिये साझेदारी (BRICS and Africa: Partnership for Mutually Accelerated Growth, Sustainable Development and Inclusive Multilateralism)" है।
15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के प्रमुख बिंदु:
- ब्रिक्स का विस्तार:
- ब्रिक्स में शामिल देशों की सदस्य संख्या पाँच से बढ़कर ग्यारह होने के उपलक्ष्य में 15वें शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, यह इसकी वैश्विक स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास को दर्शाता है।
- मिस्र, ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, इथियोपिया और अर्जेंटीना के ब्रिक्स में शामिल होने से मध्य-पूर्व, अफ्रीका व दक्षिण अमेरिका में इस समूह का प्रतिनिधित्व बढ़ गया है।
- इनकी पूर्ण सदस्यता 1 जनवरी, 2024 से प्रभावी होगी।
- प्रारंभिक ब्रिक्स सदस्य देशों में दो प्रमुखताएँ समान थीं: बड़ी अर्थव्यवस्था और उच्च संभावित विकास दर।
- विस्तारित ब्रिक्स-11 एक कम सुसंगत समूह है; कुछ देश संकट के दौर से गुज़र रहे हैं, जबकि अन्य फल-फूल रहे हैं। यह अर्थव्यवस्था की दृष्टि से एक अलग एजेंडे के विस्तार का संकेत दे सकता है।
- ब्रिक्स में शामिल देशों की सदस्य संख्या पाँच से बढ़कर ग्यारह होने के उपलक्ष्य में 15वें शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, यह इसकी वैश्विक स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास को दर्शाता है।
- ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का भारत के लिये महत्त्व:
- वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन सैन्य गतिरोध के बाद आयोजित यह पहली व्यक्तिगत बैठक भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- भारत के प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद दोनों देश सैनिकों को एक दुसरे की सीमा को पार न करने और LAC पर तनाव को कम करने के प्रयास किये जाने पर सहमत हुए हैं।
- भारत ने सदस्यता मानदंडों का मसौदा तैयार करने और नए प्रवेशकों के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- भारत अपने सहयोगियों के नेटवर्क का विस्तार करने और अपने भू-राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने के लिये ब्रिक्स का लाभ उठाता है।
- भारत ब्रिक्स को "पश्चिम-विरोधी" समूह के बजाय "गैर-पश्चिमी" समूह के रूप में देखता है, जो इस मंच के दृष्टिकोण की विविधता पर ज़ोर देता है।
- नेतृत्त्व की उद्घोषणा के लिये भारत चीन और रूस के साथ संबंधों को मज़बूत करने की उम्मीद करता है।
- भारतीय प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिये ब्रिक्स अंतरिक्ष अन्वेषण संघ स्थापित करने का प्रस्ताव रखा।
- भारत ने लुप्तप्राय बड़ी बिल्लियों की सुरक्षा के लिये अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस के तहत ब्रिक्स के देशों के सहयोग का आह्वान किया।
- वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन सैन्य गतिरोध के बाद आयोजित यह पहली व्यक्तिगत बैठक भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- भू-राजनीतिक संदर्भ और महत्त्व:
- इस शिखर सम्मेलन का काफी महत्त्व है क्योंकि वर्ष 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा प्रभावित हुई है।
- ऐसा माना जाता है कि ब्रिक्स में होने वाली चर्चाएँ "पश्चिमी विरोधी" दृष्टिकोण रखती हैं।
- यूक्रेन संघर्ष पर रूस को "अलग-थलग" करने के प्रयासों के बीच ब्रिक्स के विचार-विमर्श का महत्त्व बढ़ गया है।
- संयुक्त राष्ट्र सुधार:
- भारत और अन्य ब्रिक्स सदस्य संयुक्त राष्ट्र के सुधार को अधिक लोकतांत्रिक, प्रतिनिधित्वपूर्ण, प्रभावी और कुशल बनाने के लिये सुरक्षा परिषद सहित इसका समर्थन करते हैं।
- जलवायु परिवर्तन:
- ब्रिक्स सदस्य जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ कम कार्बन और कम उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था के लिये उचित, किफायती एवं टिकाऊ संक्रमण सुनिश्चित करने पर सहमत हुए।
- पाँचों देशों ने विकसित देशों से उदाहरण पेश करके नेतृत्व करने और ऐसे बदलावों के लिये विकासशील देशों का समर्थन करने का आह्वान किया।
- ब्रिक्स देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के बहाने कुछ विकसित देशों द्वारा लगाई गई व्यापार बाधाओं का विरोध किया।
- ब्रिक्स सदस्य जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ कम कार्बन और कम उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था के लिये उचित, किफायती एवं टिकाऊ संक्रमण सुनिश्चित करने पर सहमत हुए।
ब्रिक्स
- परिचय:
- ब्रिक्स विश्व की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन तथा दक्षिण अफ्रीका के समूह का संक्षिप्त रूप है।
- वर्ष 2001 में ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ'नील ने ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन की चार उभरती अर्थव्यवस्थाओं का वर्णन करने के लिये BRIC शब्द गढ़ा।
- वर्ष 2006 में BRIC विदेश मंत्रियों की पहली बैठक के दौरान इस समूह को औपचारिक रूप दिया गया था।
- दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को BRIC में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया था, जिसके बाद इस समूह ने संक्षिप्त नाम BRICS अपनाया।
- ब्रिक्स का हिस्सा:
- ब्रिक्स विश्व के पाँच सबसे बड़े विकासशील देशों को एक साथ लाता है, जो वैश्विक आबादी का 41%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 24% तथा वैश्विक व्यापार का 16% प्रतिनिधित्व करते हैं।
- अध्यक्षता:
- फोरम की अध्यक्षता B-R-I-C-S के अनुसार, सदस्यों के बीच प्रतिवर्ष परिवर्तित की जाती है।
- भारत ने वर्ष 2021 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की मेज़बानी की।
- फोरम की अध्यक्षता B-R-I-C-S के अनुसार, सदस्यों के बीच प्रतिवर्ष परिवर्तित की जाती है।
- ब्रिक्स की पहल:
- न्यू डेवलपमेंट बैंक:
- वर्ष 2014 में फोर्टालेज़ा (ब्राज़ील) में छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB - शंघाई, चीन) की स्थापना के समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- इसने अब तक 70 बुनियादी ढाँचे और सतत् विकास परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है।
- आकस्मिक आरक्षित व्यवस्था (Contingent Reserve Arrangement):
- वर्ष 2014 में ब्रिक्स देशों की सरकारों ने आकस्मिक आरक्षित व्यवस्था की स्थापना पर एक संधि पर हस्ताक्षर किये थे।
- इस व्यवस्था का उद्देश्य अल्पकालिक भुगतान संतुलन के दबाव को रोकना, पारस्परिक समर्थन प्रदान करना तथा ब्रिक्स देशों की वित्तीय स्थिरता को मज़बूत करना है।
- सीमा शुल्क समझौते:
- ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार परिवहन के समन्वय तथा सुगमता के लिये सीमा शुल्क समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।
- रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट का प्रक्षेपण:
- अगस्त 2021 में पाँच अंतरिक्ष एजेंसियों ने ब्रिक्स रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट तारामंडल के सहयोग को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- यह तारामंडल छह मौजूदा उपग्रहों से बना है: गाओफेन-6 और ज़ियुआन III 02, दोनों चीन द्वारा विकसित; CBERS-4, ब्राज़ील एवं चीन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित; कानोपस-V टाइप, रूस द्वारा विकसित तथा रिसोर्ससैट-2 व 2A, दोनों भारत द्वारा विकसित किये गए।
- अगस्त 2021 में पाँच अंतरिक्ष एजेंसियों ने ब्रिक्स रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट तारामंडल के सहयोग को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- न्यू डेवलपमेंट बैंक:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये” (2016) न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना एन-पी-ई-सी द्वारा की गई है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
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