विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2021 | 24 Mar 2022
प्रिलिम्स के लिये:2021 विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), BS-VI वाहन, सम-विषम नीति, वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये नया आयोग, टर्बो हैप्पी सीडर (THS) मशीन। मेन्स के लिये:वायु प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट के प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट-2021 जारी की गई, रिपोर्ट में वर्ष 2021 की वैश्विक वायु गुणवत्ता स्थिति का अवलोकन प्रस्तुत किया गया।
- IQAir, एक स्विस समूह है जो पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 की सांद्रता के आधार पर वायु गुणवत्ता के स्तर को मापता है।
- IQAir सरकारों, शोधकर्त्ताओं, गैर-सरकारी संगठनों, कंपनियों और नागरिकों को शामिल करने, शिक्षित करने और प्रेरित करने का प्रयास करता है ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार और स्वस्थ समुदायों और शहरों का निर्माण किया जा सके।
रिपोर्ट की आवश्यकता:
- वायु प्रदूषण को अब दुनिया का सबसे बड़ा पर्यावरणीय स्वास्थ्य खतरा माना जाता है, जो दुनिया भर में प्रतिवर्ष 70 लाख मौतों का कारण बनता है।
- वायु प्रदूषण अस्थमा से लेकर कैंसर, फेफड़ों की बीमारियों और हृदय रोग जैसी कई बीमारियों का कारण बनता है और उन्हें बढ़ाता है।
- वायु प्रदूषण की अनुमानित दैनिक आर्थिक लागत 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर या सकल वैश्विक उत्पाद (जीडब्ल्यूपी) की 3 से 4% आँकी गई है।
- जीडब्ल्यूपी दुनिया के सभी देशों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) है जो कुल वैश्विक जीडीपी के बराबर है।
- वायु प्रदूषण उन लोगों को प्रभावित करता है जो सबसे अधिक असुरक्षित हैं। अनुमान है कि 2021 में पाँच वर्ष से कम आयु के 40,000 बच्चों की मौत का सीधा संबंध PM2.5 प्रदूषण से था।
- इसके अलावा कोविड-19 के दौरान शोधकर्त्ताओं ने पाया है कि PM2.5 के संपर्क में आने से वायरस के फैलने का ज़ोखिम तथा मृत्यु सहित गंभीर लक्षणों के साथ संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।
PM 2.5 का मापन
- यह रिपोर्ट दुनिया भर के 117 देशों के 6,475 शहरों के PM2.5 वायु गुणवत्ता डेटा पर आधारित है।
- 2.5 माइक्रोन या उससे छोटे व्यास वाले महीन एयरोसोल कणों से युक्त पार्टिकुलेट मैटर, छह नियमित रूप से मापे गए वायु प्रदूषकों में से एक है जिसे आमतौर पर स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव और पर्यावरण में व्यापकता के कारण मानव स्वास्थ्य के लिये सबसे हानिकारक कणों के रूप माना गया है। ।
- PM 2.5 कई स्रोतों से उत्पन्न होते है तथा इनकी रासायनिक संरचना और भौतिक विशेषताएँ भिन्न भिन्न हो सकती है।
- PM 2.5 के सामान्य रासायनिक घटकों में सल्फेट्स, नाइट्रेट्स, ब्लैक कार्बन और अमोनियम शामिल हैं।
- सामान्यतः मानव निर्मित स्रोतों में आंतरिक दहन इंजन, बिजली उत्पादन, औद्योगिक प्रक्रियाएँ, कृषि प्रक्रियाएँ, निर्माण व आवासीय लकड़ी तथा कोयला का जलना शामिल हैं।
- PM 2.5 के सबसे आम प्राकृतिक स्रोत धूल भरी आंधी, बालू के तूफान और जंगल की आग हैं।
भारतीय परिदृश्य:
- वायु गुणवत्ता में सुधार के तीन साल के रुझान के बाद भारत का वार्षिक औसत PM 2.5 स्तर वर्ष 2021 में 58.1 µg/m³ (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) तक पहुँच गया था। जो वर्ष 2019 में मापी गई पूर्व-संगरोध सांद्रता के स्तर के बराबर आ गया था।
- वर्ष 2021 में मध्य और दक्षिण एशिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 11 शहर भारत के थे।
- वर्ष 2021 में मुंबई ने PM 2.5 का वार्षिक औसत 46.4 माइक्रोग्राम / क्यूबिक मीटर दर्ज किया जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सीमा से लगभग नौ गुना अधिक था।
भारत के समक्ष चुनौतियांँ:
- भारत में वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
- यह रोगों का दूसरा सबसे बड़ा जोखिम कारक है साथ ही वायु प्रदूषण की आर्थिक लागत सालाना 150 बिलियन अमेरीकी डाॅलर से अधिक होने का अनुमान है।
- भारत में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में वाहन उत्सर्जन, विद्युत उत्पादन, औद्योगिक अपशिष्ट, खाना पकाने हेतु बायोमास दहन, निर्माण क्षेत्र और फसल जलने जैसी प्रासंगिक घटनाएंँ शामिल हैं।
- वर्ष 2019 में भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ( Ministry of Environment, Forest and Climate Change- MoEF & CC) द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Program- NCAP) अधिनियमित किया गया।
- वर्ष 2024 तक यह योजना सभी पहचाने गए गैर-लाभप्रद शहरों में पीएम सांद्रता को 20% से 30% तक कम करने, वायु गुणवत्ता निगरानी में वृद्धि करने तथा एक शहर, क्षेत्रीय और राज्य-विशिष्ट स्वच्छ वायु कार्य योजना को लागू करने के साथ-साथ संचालन स्रोत विभाजन के अध्ययन पर आधारित है।
- हालाँकि COVID-19 महामारी के कारण लॉकडाउन, प्रतिबंधों और परिणामस्वरूप आर्थिक मंदी के चलते अकेले वायु प्रदूषण के स्तर के आधार पर योजना के प्रभाव को निर्धारित करना मुश्किल बना दिया है।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु भारत की पहलें:
- ‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली’- सफर (The System of Air Quality and Weather Forecasting And Research- SAFAR) पोर्टल
- वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI): इसे आठ प्रदूषकों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। जिसमे शामिल हैं - PM2.5, PM10, अमोनिया, लेड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओज़ोन और कार्बन मोनोऑक्साइड।
- ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान।
- वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने हेतु:
- बीएस-VI वाहन,
- इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देना,
- एक आपातकालीन उपाय के रूप में ‘ऑड-इवन’ नीति
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग
- टर्बो हैप्पी सीडर (THS) मशीन खरीदने पर किसानों को सब्सिडी
आगे की राह
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की 4-पिलर रणनीति का पालन करना: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु प्रदूषण के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को दूर करने हेतु एक प्रस्ताव (2015) अपनाया। इसके तहत रेखांकित किये गए रोडमैप का सही ढंग से पालन किया जाना आवश्यकता है।
- यह 4-पिलर रणनीति वायु प्रदूषण के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों के लिये एक बढ़ी हुई वैश्विक प्रतिक्रिया की मांग करती है। वे चार पिलर हैं:
- ज्ञान आधार का विस्तार
- निगरानी और रिपोर्टिंग
- वैश्विक नेतृत्त्व और समन्वय
- संस्थागत क्षमता सुदृढ़ीकरण
- यह 4-पिलर रणनीति वायु प्रदूषण के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों के लिये एक बढ़ी हुई वैश्विक प्रतिक्रिया की मांग करती है। वे चार पिलर हैं:
- अन्याय को संबोधित करना: वायु प्रदूषण की समस्या के केंद्र में भारी अन्याय मौजूद है, क्योंकि गरीब लोग ही वायु प्रदूषण के सबसे अधिक शिकार होते हैं।
- इस प्रकार ‘प्रदूषणक भुगतान सिद्धांत’ को लागू करने की आवश्यकता है और साथ ही प्रकृति को प्रदूषित करने वाले उद्योगों पर ‘पर्यावरण कर’ लगाया जाना चाहिये।
विगत वर्षों के प्रश्नप्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2011)
उपरोक्त में से कौन-सा/से ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले के दहन से उत्सर्जित होता है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट' तैयार की जाती है: (2016) (a) यूरोपीय सेंट्रल बैंक उत्तर: (b) |