वैश्विक जल संकट | 04 Jun 2022
प्रिलिम्स के लिये:जल क्रांति अभियान, राष्ट्रीय जल मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, नीति आयोग, समग्र जल प्रबंधन सूचकांक, जल जीवन मिशन, जल शक्ति अभियान, अटल भूजल योजना। मेन्स के लिये:वैश्विक स्तर पर जल की कमी और संबंधित कदम, जल संसाधन, संसाधनों का संरक्षण। |
चर्चा में क्यों?
एक नई प्रकाशित पुस्तक के अनुसार, अपरंपरागत जल संसाधन वैश्विक जल संकट को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
- इस पुस्तक को संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के जल, पर्यावरण और स्वास्थ्य संस्थान (UNU-INWEH), सामग्री प्रवाह एवं संसाधनों के एकीकृत प्रबंधन के लिये UNU संस्थान तथा संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के विशेषज्ञों द्वारा संकलित किया गया है।
- पारंपरिक जल स्रोत जो बर्फबारी, वर्षा और नदियों पर निर्भर हैं- पानी की कमी वाले क्षेत्रों में मीठे पानी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये पर्याप्त नहीं हैं।
अपरंपरागत जल स्रोत:
- क्लाउड-सीडिंग के माध्यम से वर्षा में वृद्धि:
- क्लाउड-सीडिंग तकनीक पर वैश्विक शोध से संकेत मिलता है कि उपलब्ध क्लाउड संसाधनों और उपयोग की जाने वाली तकनीकी प्रणालियों के आधार पर औसत वार्षिक वर्षा को 15% तक बढ़ाया जा सकता है।
- हालाँकि यह स्वीकार किया गया कि विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनशीलता पर अधिक शोध की आवश्यकता है।
- कोहरा संचयन और सूक्ष्म जलग्रहण वर्षा जल संचयन:
- कुशल फॉग हार्वेस्टिंग प्रणाली जिसमें कोहरे में नमी को चट्टानों और वनस्पतियों आदि के माध्यम से एकत्र किया जाता है, यह एक दशक तक प्रतिदिन 20 लीटर प्रति वर्ग मीटर जल की मात्रा को उपलब्ध करा सकती है, हालाँकि अभी केवल 70 स्थानों को फॉग हार्वेस्टिंग प्रणाली के लिये व्यावहारिक पाया गया है।
- सूक्ष्म-जलग्रहण प्रणाली में कम वर्षा वाले शुष्क क्षेत्र में घरेलू या कृषि भूमि हेतु क्षमता पाई गई है।
- हिमखंडों की भूमिका:
- ताज़े पानी का दुनिया का सबसे बड़ा स्रोत आइसबर्ग भी हाल के वर्षों में इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित कर रहा है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण ध्रुवीय बर्फ की चोटियाँ पिघल कर टूट रही हैं और वैज्ञानिकों, विद्वानों व नेताओं ने पानी की कमी वाले देशों में ध्रुवीय बर्फ की चोटियों को जल संकट वाले देशों की ओर विस्थापित करने पर चर्चा की है।
- वर्ष 2017 में बड़े पैमाने पर पानी की कमी का सामना करते हुए संयुक्त अरब अमीरात ने देश में एक हिमखंड को विस्थापित करने की योजना का प्रस्ताव रखा, लेकिन इस मोर्चे पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
- बलास्ट वाटर :
- बलास्ट वाटर एक और परिवहन योग्य संसाधन है, जो कि मीठे पानी या खारे पानी को जहाज़ के बलास्ट टैंकों और कार्गो में रखा जाता है जो यात्रा के दौरान स्थिरता और गतिशीलता प्रदान करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार, हर साल वैश्विक स्तर पर लगभग 10 बिलियन टन बलास्ट वाटर का निर्वहन किया जाता है, इस जल को अलवणीकृत करने की आवश्यकता है।
- जब विलवणीकरण का उपयोग बलास्ट वाटर के उपचार के लिये किया जाता है, तो अंतिम उत्पाद (विलवणीकृत पानी) आक्रामक जलीय जीवों और अस्वास्थ्यकर रासायनिक यौगिकों से मुक्त होता है, जिससे यह सार्वजनिक जल आपूर्ति और सिंचाई के लिये भी उपयोगी हो जाता है।
- नगर निगम अपशिष्ट जल:
- नगरपालिका अपशिष्ट जल का उचित उपचार कई देशों में पहले से ही चल रहा है, यह कृषि के लिये जल का एक प्रमुख संसाधन है।
- कई देशों ने मांग को पूरा करने के लिये अपशिष्ट जल के उपचार हेतु सफल पहल शुरू की है।
- अपवाहित जल:
- सिंचाई कृषि में उपयोग किये जाने वाले अपवाहित जल में भी पुन: उपयोग की क्षमता होती है, लेकिन इसकी उच्च लवणता के कारण यह अनुपयोगी होता है।
- लवण प्रतिरोधी फसलों का सावधानीपूर्वक प्रबंधन और संवर्द्धन इसका समाधान हो सकता है।
- खारा जल:
- अनुसंधान से पता चला है कि महाद्वीपीय मग्नतट में लगभग 5 मिलियन क्यूबिक किमी खारा जल और 300,000-500,000 क्यूबिक किमी मीठे जल उनके तलछट के भीतर है।
- पश्चिम एशिया, अफ्रीका, यूरोप, अमेरिका और भारत में खारे जल संसाधनों का विकास पहले से ही चल रहा है।
जल संकट की वर्तमान स्थिति:
- विश्व:
- विश्व का केवल 3% जल ही ताज़ा जल है और इसका दो-तिहाई हिस्सा जमे हुए ग्लेशियरों में पाया जाता है जो हमारे उपयोग के लिये अनुपलब्ध है।
- 2050 तक 87 देशों में जल संकट की समस्या उत्पन्न होने का अनुमान है।
- पृथ्वी पर चार में से एक व्यक्ति पीने, स्वच्छता, कृषि और आर्थिक विकास के लिये जल की कमी का सामना करता है।
- मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में जल संकट बढ़ने की उम्मीद है, जहाँ वैश्विक आबादी का 6% निवास करता है, जबकि विश्व के मीठे जल के संसाधनों का केवल 1% उपलब्ध है।
भारत:
- परिचय:
- हालाँकि भारत में दुनिया की आबादी का 16% हिस्सा है, लेकिन भारत के पास दुनिया के फ्रेश वाटर संसाधनों का केवल 4% हिस्सा ही है।
- हाल के दिनों में भारत में जल संकट की समस्या बहुत गंभीर बनी है, जिसने पूरे भारत में लाखों लोगों को प्रभावित किया है।
- हाल के केंद्रीय भूजल बोर्ड के आँकड़ों (2017 से) के अनुसार, भारत के 700 में से 256 ज़िलों में भूजल स्तर के 'गंभीर' या 'अत्यधिक दोहन' की सूचना है।
- भारत के तीन-चौथाई ग्रामीण परिवारों की पाइप के पीने योग्य पानी तक पहुँच नहीं है और उन्हें असुरक्षित स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है।
- भारत दुनिया का सबसे बड़ा भूजल दोहन करने वाला देश बन गया है, जो कुल जल का 25% हिस्सा है। हमारे लगभग 70% जल स्रोत दूषित हैं और हमारी प्रमुख नदियाँ प्रदूषण के कारण सूख रही हैं।
- संबंधित सरकारी पहलें:
अनुशंसाएँ:
- अपरंपरागत जल संसाधन बड़ी राहत प्रदान कर सकते हैं, बशर्ते निम्नलिखित रणनीतियों का पालन किया जाए:
- अपरंपरागत जल संसाधनों के तकनीकी और गैर-तकनीकी दोनों पहलुओं पर अनुसंधान एवं अभ्यास को बढ़ावा देना।
- यह सुनिश्चित करना कि अपरंपरागत जल लाभ प्रदान करे, न कि पर्यावरण को नुकसान।
- अनिश्चितता के समय अपरंपरागत जल को विश्वसनीय स्रोत के रूप में स्थापित करना।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू): प्रश्न: अगर राष्ट्रीय जल मिशन को ठीक से और पूरी तरह से लागू किया जाता है तो इसका देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: B
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