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सामाजिक न्याय

वैश्विक जल संकट : यूनिसेफ

  • 23 Mar 2021
  • 12 min read

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children’s Fund- UNICEF) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में हर पाँच में से एक बच्चा उच्च या अत्यंत उच्च जल भेद्यता वाले क्षेत्रों में रहता है।

  • यह रिपोर्ट  विश्व जल दिवस (22 मार्च) से पहले जारी की गई थी।

प्रमुख बिंदु 

रिपोर्ट के विषय में 

  • यह नई रिपोर्ट यूनिसेफ की पहल “सर्वजन के लिये जल सुरक्षा”   (Water security for All) का हिस्सा है जो उन क्षेत्रों की पहचान करती है जहाँ भौतिक रूप से उपलब्ध जल की कमी का जोखिम जल की व्यवस्था के खराब स्तर के साथ अतिव्याप्त है। इन क्षेत्रों में निवास करने वाले समुदाय सतही जल, अपरिष्कृत स्रोतों या जल पर निर्भर रहते  हैं, जिन्हें जल एकत्रित करने में 30 मिनट से अधिक समय लग सकता है।
  • इस पहल का उद्देश्य चिह्नित हॉटस्पॉटों में संसाधनों, साझेदारी, नवाचार और वैश्विक प्रतिक्रिया का संयोजन करना है।
    • यूनिसेफ ने 37 ऐसे देशों की पहचान की है जिन्हें बच्चों के लिये जल संकट का हॉटस्पॉट माना गया है। इसमें भारत के साथ-साथ अफगानिस्तान, बुर्किना फासो, इथियोपिया, हैती, केन्या, नाइजर, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पापुआ न्यू गिनी, सूडान, तंजानिया और यमन आदि देश शामिल हैं। 

निष्कर्ष :

  • 80 से अधिक देशों में बच्चे उच्च या अत्यंत उच्च जल भेद्यता वाले क्षेत्रों में रहते हैं।
  • पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों का अनुपात सबसे अधिक था जहाँ आधे से अधिक (58%) बच्चे प्रतिदिन पानी की समस्या का सामना करते हैं।
  • अन्य प्रभावित क्षेत्रों  में पश्चिम और मध्य अफ्रीका (31%), दक्षिण एशिया (25%) और मध्य पूर्व  (23%) शामिल हैं।
  • बच्चों की संख्या के आधार पर देखा जाए तो दक्षिण एशिया में सर्वाधिक 155 मिलियन से अधिक बच्चे उच्च अथवा अति उच्च जल भेद्यता वाले क्षेत्रों में रहते हैं।

भारत में जल संकट:

  • विश्व भर में उपलब्ध कुल ताज़े जल  का 4% हिस्सा भारत में पाया जाता है जो विश्व की  17% आबादी की आवश्यकता को पूरा करता है।
  • जून 2018 में जारी नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत इतिहास के सबसे खराब जल संकट का सामना कर रहा है। भारत में लगभग 600 मिलियन लोग या लगभग 45% आबादी उच्च व गंभीर जल तनाव का सामना कर रही है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक भारत की लगभग 40% आबादी की पीने के पानी तक पहुँच नहीं होगी और वर्ष 2050 तक जल संकट के कारण भारत को   सकल घरेलू उत्पाद में 6% नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

भारत में जल संकट के कारण:

  • केंद्रीय भूजल बोर्ड का अनुमान है कि देश के अधिकांश हिस्सों में भूजल के अतिदोहन के कारण भूजल के स्तर में प्रतिवर्ष गिरावट दर्ज की जा रही है|
    • यदि भूजल में निरंतर गिरावट जारी रहती है तो देश की कृषि और पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करना एक बड़ी चुनौती बन जाएगी।
    • 85% ग्रामीण जलापूर्ति, 45% शहरी जलापूर्ति और 64% से अधिक सिंचाई अब भूजल पर निर्भर है।
  • वर्तमान में प्रमुख और मध्यम सिंचाई बाँधों के जल भंडारण क्षेत्रों में तलछट के संचय के कारण उनकी कुल भंडारण क्षमता में काफी गिरावट आई है।
    • केंद्रीय जल आयोग द्वारा 2020 में जारी रिपोर्ट 'भारत में जलाशयों में गाद अवसादन का संग्रह '(Compendium on Silting of Reservoirs in India) में इस बात को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के स्तर में भी काफी परिवर्तन देखा गया है।

केंद्र सरकार द्वारा किये गए उपाय:

  • "जल शक्ति अभियान: ‘कैच द रेन’ (Catch the Rain) अभियान
    • इस अभियान को देश में 22 मार्च, 2021 से 30 नवंबर, 2021  (मानसून पूर्व और मानसून अवधि के दौरान) तक लागू किया जाएगा।
    • इस अभियान का उद्देश्य राज्य और अन्य सभी हितधारकों को जलवायु परिस्थितियों तथा अवमृदा स्तर के अनुकूल  वर्षा  जल को संग्रहीत करने के लिये वर्षा जल संचयन संरचनाओं (Rain Water Harvesting Structures- RWHS) का निर्माण करना है।
      • देश के अधिकांश हिस्सों में जल का एकमात्र स्रोत चार/पाँच महीनों के दौरान होने वाली वर्षा है।
  • जल जीवन मिशन (JJM):
    • वित्तीय वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में सतत् विकास लक्ष्य-6 (SDG-6) के अनुसार, सभी वैधानिक शहरों में कार्यशील नल के माध्यम से घरों में जल आपूर्ति का सार्वभौमिक कवरेज प्रदान करने हेतु केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत जल जीवन मिशन (शहरी) की घोषणा की गई है। 
    • यह जल जीवन मिशन (ग्रामीण) का पूरक है, जिसके तहत वर्ष 2024 तक कार्यशील घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) के माध्यम से सभी ग्रामीण घरों में दैनिक रूप से प्रति व्यक्ति 55 लीटर जल की आपूर्ति की परिकल्पना की गई है।
  • जल शक्ति मंत्रालय:
    • भारत सरकार ने जल प्रबंधन से संबंधित कार्यों को समेकित करने के लिये वर्ष 2019 में जल शक्ति मंत्रालय की स्थापना की
    • मंत्रालय ने जल संरक्षण और जल सुरक्षा के लिये जल शक्ति अभियान शुरू किया

राज्य सरकारों द्वारा किये गए उपाय:

  • उत्तर प्रदेश - जाखनी गाँव (जल  गाँव), बुंदेलखंड
  • पंजाब - पानी बचाओ पैसे कमाओ
  • मध्य प्रदेश - कपिल धारा योजना
  • गुजरात - सुजलाम सुफलाम योजना
  • तेलंगाना - मिशन काकतीय कार्यक्रम
  • महाराष्ट्र - जलयुक्त शिवहर अभियान
  • आंध्र प्रदेश - नीरू चेट्टू कार्यक्रम
  • राजस्थान- मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान (MJSA)

विश्व जल दिवस

  • विश्व जल दिवस 22 मार्च को दुनिया भर में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जल के महत्त्व को उजागर करना और भविष्य के जल संकट के बारे में दुनिया को जागरूक करना है। 
  • संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्य-6 (वर्ष 2030 तक सभी के लिये पानी और स्वच्छता) को प्राप्त करने के लिये समर्थन प्रदान करना है।

इतिहास 

  • विश्व जल दिवस मनाने का प्रस्ताव पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 22 दिसंबर, 1992 को अपनाया गया था।
  • इसके बाद 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में घोषित किया गया और वर्ष 1993 से इसे दुनिया भर में विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • विश्व जल दिवस, 2021 की थीम
    •  वर्ष 2021 में विश्व जल दिवस की थीम  “वैल्यूइंग वाटर" (Valuing Water) है जिसे हमारे दैनिक जीवन में पानी के महत्त्व को दर्शाने के लिये  चुना गया है। 
  • विश्व जल दिवस पर या उसके आस-पास हर वर्ष एक नई ‘विश्व जल विकास रिपोर्ट’ जारी की जाती है, ताकि निर्णय लेने वालों को स्थायी जल नीतियाँ बनाने और उन्हें कार्यान्वित करने हेतु उपकरण प्रदान किये जा सकें। यह रिपोर्ट ‘यूएन वाटर’ की ओर से UNESCO के विश्व जल विकास कार्यक्रम (WWAP) द्वारा समन्वित की जाती है।

यूनिसेफ:-

  • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) संयुक्त राष्ट्र का एक विशेष कार्यक्रम है जो बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और सामान्य कल्याण में सुधार हेतु राष्ट्रीय प्रयासों को सहायता प्रदान करने के लिये समर्पित है|
  • यूनिसेफ की स्थापना वर्ष 1946 में संयुक्त राष्ट्र राहत पुनर्वास प्रशासन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (ICEF) के रूप में की गई थी ताकि द्वितीय विश्व युद्ध से प्रभावित बच्चों की मदद की जा सके।
  • वर्ष 1953 में यूनिसेफ संयुक्त राष्ट्र का एक स्थायी अंग बन गया।
    • वर्तमान में इसका नाम संयुक्त राष्ट्र बाल कोष है किंतु इसके मूल संक्षिप्त नाम ‘यूनिसेफ’ को बरकरार रखा गया है।
  • यूनिसेफ को ‘बाल अधिकारों पर अभिसमय,1989’ द्वारा निर्देशित किया जाता है
    • यह बच्चों के प्रति नैतिक सिद्धांतों और व्यवहारों से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय मानकों के स्थायीकरण के रूप में बच्चों के अधिकारों को स्थापित करने का प्रयास करता है।
  • “राष्ट्रों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने” के लिये वर्ष 1965 में  इसे शांति  का  नोबेल पुरस्कार दिया गया।

मुख्यालय: न्यूयॉर्क सिटी।

  • यह 7 क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ 190 से अधिक देशों और क्षेत्रों में काम करता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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