जैव विविधता और पर्यावरण
ग्रामीण भारत की एक बड़ी समस्या है संदूषित जल
- 21 Feb 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय (Ministry of Drinking Water and Sanitation) की एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (Integrated Management Information System-IMIS) द्वारा दिये आँकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 4 करोड़ ग्रामीण पीने के लिये धातु-संदूषित जल (Metal-Contaminated Water) का उपयोग करते हैं।
- जल में पाए जाने वाले प्रमुख भारी धातु फ्लोराइड, आर्सेनिक और नाइट्रेट हैं।
- आर्सेनिक संदूषण में बंगाल और राजस्थान शीर्ष पर हैं।
व्यापक समस्या (Widespread Problem)
- दिये गए आँकड़ों के अनुसार, भारत का सबसे अधिक 39 प्रतिशत प्रभावित आबादी वाला राज्य पश्चिम बंगाल है। बंगाल के लगभग 1.57 करोड़ ग्रामीण धातु-संदूषित जल का सेवन करते हैं।
- राजस्थान में 65 लाख ग्रामीण पीने के लिये संदूषित जल का प्रयोग करते हैं जिससे उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित है, जबकि बिहार में 43 लाख लोग दूषित जल का सेवन करते हैं।
- आँकड़ों के अनुसार, धातु-संदूषित जल सेवन के आधार पर 16 राज्यों में एक लाख से अधिक ग्रामीण आबादी है। जबकि सात राज्यों - पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार, पंजाब, असम, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा में 10 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं।
- फ्लोराइड संदूषण के क्षेत्र में 33 लाख, लवणता संदूषण के क्षेत्र में 25 लाख तथा नाइट्रेट संदूषण के क्षेत्र में 7 लाख आबादी के साथ राज्यों की सूची में राजस्थान सबसे उपर है।
- पश्चिम बंगाल में 96 लाख लोग आर्सेनिक और 49 लाख लोग लोहे के संदूषित जल का सेवन करते हैं।
धातु संदूषण (Metal Contamination)
- देश के 22 लाख लोग धातु-संदूषित जल सेवन से प्रभावित हैं जिनमें पंजाब सबसे आगे है यहाँ पर सभी प्रकार के धात्विक जल संदूषण पाए जाते हैं, जबकि पश्चिम बंगाल से किसी भी नाइट्रेट संदूषण की सूचना नहीं आई है।
- भारी धातु एक धात्विक रासायन तत्व है। भारी धातुओं की उच्च सांद्रता से विषाक्तता हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, पीने के जल में फ्लोराइड की अत्यधिक मात्रा लोगों को हड्डियों को कमज़ोर बना देती है।
- WHO ने चेतावनी दी है कि आर्सेनिक संदूषित जल के लंबे समय तक सेवन से आर्सेनिक पॉइज़निंग (Arsenic Poisoning) या आर्सेनिकोसिस Arsenicosis रोग होता है, इसमें त्वचा, मूत्राशय, गुर्दे, फेफड़े, त्वचा के विभिन्न रोग, रक्त वाहिकाओं का कैंसर आदि शामिल हैं जिसके कारण बहुत से अंग प्रभावित होते हैं।
- हाल में WHO की रिपोर्ट में कहा गया है कि दूषित जल के सेवन से मधुमेह, उच्च रक्तचाप और प्रजनन संबंधी विकारों की शुरुआत के साथ ही इनके बीच एक संभावित संबंध हो सकता है।
केंद्रीय आवंटन (Central Allocation)
- मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, केंद्र ने आर्सेनिक और फ्लोराइड संदूषण से निपटने के लिये सामुदायिक जल शोधन संयंत्रों और पाइपलाइन की अनंतिम आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये मार्च 2016 में 1,000 करोड़ रुपए जारी किये।
- 2017 में मंत्रालय ने 27,544 आर्सेनिक / फ्लोराइड प्रभावित ग्रामीण बस्तियों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिये राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप-मिशन (National Water Quality Sub-Mission) शुरू किया।
- ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति राज्य सूची का विषय है, इसलिये पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ग्रामीण आबादी हेतु सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के माध्यम से राज्यों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
स्रोत – द हिंदू (बिज़नेस लाइन)