जैव विविधता और पर्यावरण
पर्यावरणीय उल्लंघन से निपटने के लिये SOP
- 13 Jul 2021
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:पर्यावरणीय उल्लंघन से निपटने के लिये मानक संचालन प्रक्रिया, राष्ट्रीय हरित अधिकरण, तटीय विनियमन क्षेत्र मेन्स के लिये:पर्यावरणीय उल्लंघन के लिये मानक संचालन प्रक्रिया का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने पर्यावरण उल्लंघन संबंधी मामलों से निपटने के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की।
- यह SOP राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशों का परिणाम है, जिसके अंतर्गत वर्ष 2021 की शुरुआत में मंत्रालय को हरित उल्लंघन के लिये दंड और एक SOP जारी करने का निर्देश दिया गया था।
प्रमुख बिंदु:
SOP के अनुसार हरित उल्लंघन की श्रेणियाँ:
- मंज़ूरी रहित परियोजनाएँ:
- इनमें निर्माण कार्य, मौजूदा परियोजना का विस्तार शामिल है, जो परियोजना प्रस्तावक के पास पर्यावरणीय मंज़ूरी प्राप्त किये बिना शुरू हो गई है।
- ऐसी परियोजनाएँ जो पर्यावरण मंज़ूरी के लिये अनुमत नहीं हैं।
- परियोजना की अनुमेयता की जाँच इस परिप्रेक्ष्य में की जाएगी कि क्या ऐसी गतिविधि/परियोजना पूर्व पर्यावरण मंज़ूरी प्राप्त करने के लिये योग्य थी।
- उदाहरण के लिये: यदि एक लाल उद्योग (प्रदूषण सूचकांक (PI) स्कोर 60 और उससे अधिक वाले औद्योगिक क्षेत्र), तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ)-I में काम कर रहा है, तो इसका अर्थ है कि परियोजना के शुरू होने के समय इसकी अनुमति नहीं थी, अतः इस गतिविधि को बंद किया जाए।
- किसी भी औद्योगिक क्षेत्र का PI 0 से 100 तक की संख्या होती है और PI का बढ़ता मान औद्योगिक क्षेत्र से प्रदूषण भार की बढ़ती डिग्री को दर्शाता है। यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा विकसित किया गया है तथा लाल, नारंगी, हरे और सफेद श्रेणियों में औद्योगिक क्षेत्रों के वर्गीकरण के लिये उपयोग किया जाता है।
- गैर-अनुपालन परियोजनाएँ:
- जिन परियोजनाओं में पूर्व पर्यावरण मंज़ूरी दी गई है, लेकिन यह अनुमोदन निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन है।
- ऐसी परियोजनाएँ जो पर्यावरण कानून के अनुसार अनुमत हैं लेकिन जिन्हें अपेक्षित मंज़ूरी नहीं मिली है।
- उत्पादन की मात्रा में वृद्धि सहित किसी परियोजना के विस्तार के मामले में यदि पर्यावरणीय मंज़ूरी प्राप्त नहीं हुई है तो सरकारी एजेंसी परियोजना प्रस्तावक को विस्तार से पहले निर्माण/विनिर्माण स्तर पर वापस लाने के लिये मज़बूर कर सकती है।
जुर्माना:
- उन मामलों में जहाँ आवश्यक पर्यावरणीय मंज़ूरी के बिना संचालन शुरू हो गया है, कुल परियोजना लागत का 1% और इसके अलावा उल्लंघन की अवधि के दौरान कुल कारोबार का 0.25% जुर्माना लगाया जाएगा।
- उल्लंघन के मामलों में जहाँ संचालन शुरू नहीं हुआ है, आवेदन दाखिल करने की तारीख तक कुल परियोजना लागत का 1% (उदाहरण- 1 करोड़ रुपए की परियोजना के लिये 1 लाख रुपए) का जुर्माना लगाया जाएगा।
पर्यावरणविदों की चिंताएँ:
- SOPउल्लंघनों को सामान्य करता है जिसके द्वारा उन्हें जुर्माना देकर छोड़ दिया जाता है।
- यह प्रदूषक भुगतान मानदंड के आधार पर उल्लंघनों का संस्थागतकरण है।
MoEFCC की अन्य संबंधित पहलें:
- इससे पहले एमओईएफसीसी ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत मौजूदा ईआईए अधिसूचना, 2006 को बदलने के इरादे से पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2020 का मसौदा प्रकाशित किया है।
- वर्ष 2017 में मंत्रालय ने पर्यावरणीय उल्लंघनों के मामलों में दंडित करने को लेकर छह महीने की माफी योजना शुरू की थी, जिसे बाद में बढ़ा दिया गया था।
पर्यावरण प्रभाव आकलन
पर्यावरण प्रभाव आकलन के विषय में:
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) द्वारा पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) को निर्णय लेने से पूर्व किसी परियोजना के पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों की पहचान करने हेतु उपयोग किये जाने वाले उपकरण के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- इसका लक्ष्य परियोजना नियोजन और डिज़ाइन के प्रारंभिक चरण में पर्यावरणीय प्रभावों की भविष्यवाणी करना, प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के तरीके और साधन खोजना, परियोजनाओं को स्थानीय पर्यावरण के अनुरूप आकार देना और निर्णय निर्माताओं के लिये विकल्प प्रस्तुत करना है।
- भारत में पर्यावरण प्रभाव आकलन संबंधी प्रक्रिया को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 द्वारा वैधानिक समर्थन प्राप्त है।
महत्त्व:
- यह विकास संबंधी परियोजनाओं के प्रतिकूल प्रभाव को समाप्त करने या कम करने के लिये एक लागत प्रभावी साधन प्रदान करता है।
- यह नीति निर्माताओं को विकासात्मक परियोजना के लागू होने से पूर्व पर्यावरण पर विकासात्मक गतिविधियों के प्रभाव का विश्लेषण करने में सक्षम बनाता है।
- विकास योजना में शमन रणनीतियों के अनुकूलन को प्रोत्साहित करता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि संबंधित विकास योजना पर्यावरण की दृष्टि से सुदृढ़ है और पारिस्थितिकी तंत्र के आत्मसात एवं पुनर्जनन की क्षमता की सीमा के भीतर है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT)
- यह पर्यावरण संरक्षण और वनों एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी तथा शीघ्र निपटान हेतु राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम (2010) के तहत स्थापित एक विशेष निकाय है।
- NGT की स्थापना के साथ भारत एक विशेष पर्यावरण न्यायाधिकरण स्थापित करने वाला दुनिया का तीसरा (और पहला विकासशील) देश बन गया। इससे पहले केवल ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड में ही ऐसे किसी निकाय की स्थापना की गई थी।
- NGT अपने पास आने वाले पर्यावरण संबंधी मुद्दों का निपटारा 6 महीनों के भीतर करने हेतु अधिदेशित/आज्ञापित है।
- NGT का मुख्यालय दिल्ली में है, जबकि अन्य चार क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल, पुणे, कोलकाता एवं चेन्नई में स्थित हैं।