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भारतीय अर्थव्यवस्था

सेबी द्वारा कृषि जिंसों में डेरिवेटिव व्यापार पर प्रतिबंध

  • 21 Dec 2021
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कैपिटल मार्केट, डेरिवेटिव ट्रेडिंग, इन्फ्लेशन, ऑप्शंस, फ्यूचर्स, फॉरवर्ड्स, स्वैप्स

मेन्स के लिये:

डेरिवेटिव ट्रेडिंग निलंबन के कारण और इसके प्रभाव, महत्त्व और डेरिवेटिव ट्रेडिंग से संबंधित चिंताएँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नेशनल कमोडिटीज़ एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के फ्यूचर प्लेटफॉर्म पर सात कृषि जिंसों के डेरिवेटिव व्यापार पर एक वर्ष के लिये प्रतिबंध लगा दिया है।

  • नियामक ने चना, गेहूँ, धान (गैर-बासमती), सोयाबीन और इसके डेरिवेटिव, सरसों और इसके डेरिवेटिव, कच्चे पाम तेल और मूँग में डेरिवेटिव अनुबंध व्यापार पर तत्काल प्रभाव से एक वर्ष के लिये प्रतिबंध लगा दिया है।
  • कमोडिटी डेरिवेटिव बाज़ार तब से कृषि वस्तुओं में व्यापार के ऐसे अचानक निलंबन के लिये प्रवण रहा है जब से इसे पूर्ववर्ती वायदा बाज़ार आयोग (एफएमसी) के तहत पेश किया गया था।

सेबी:

  • यह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
  • सेबी का मूल कार्य प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करना और प्रतिभूति बाज़ार को बढ़ावा देना एवं विनियमित करना है।

प्रमुख बिंदु

  • प्रतिबंध के कारण:
    • खाद्य मुद्रास्फीति को समाप्त करना:
      • भारत की खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर तीन महीने के उच्च स्तर 4.91% पर पहुँच गई, जो पिछले महीने में 4.48% थी, इसका मुख्य कारण इस अवधि में खाद्य मुद्रास्फीति में 0.85% से 1.87% तक की वृद्धि होना था।
    • द्विअंकीय WPI:
      • थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से शुरू होने वाले लगातार आठ महीनों से दोहरे अंकों में बनी हुई है, जिसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि है।
      • नवंबर में खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की कीमतों में कठोरता होने के बीच थोक मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति 14.23% के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गई।
    • भविष्य के मूल्य को इंसुलेट करना:
      • रबी उत्पादन देश के कई हिस्सों में उर्वरक की कमी का सामना किये जाने के कारण रुग्ण रूप से प्रभावित हो सकता है।
      • भविष्य के व्यापार पर प्रतिबंध लगाकर सरकार बराबर उत्पादन नहीं होने की स्थिति में आने वाले दिनों में बाज़ार को लगने वाले किसी भी कीमत संबंधी झटके से बचाने की कोशिश कर रही है।
  • प्रभाव:
    • यह ‘सस्पेंसन’ की स्थिति सर्दियों में बोई जाने वाली रबी की फसल से पहले आती है, जो कि कुछ ही महीनों में बाज़ारों में आ जाती है। कोई संदर्भ मूल्य नहीं होने से व्यापारियों को भविष्य के रुख बारे में पता नहीं होगा।
    • आयातक, जो खुद को कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाने के लिये डेरिवेटिव बाज़ार में हेज करते हैं, अधिक असुरक्षित हो सकते हैं।

डेरिवेटिवस (Derivatives):

  • परिचय:
    • डेरिवेटिव वे उपकरण हैं जिनमें ऋण लिखत शेयर, ऋण, जोखिम लिखत या किसी अन्य प्रकार की सुरक्षा अंतर के लिये अनुबंध, जो अंतर्निहित प्रतिभूतियों की कीमतों के मूल्य/सूचकांक से अपना मूल्य प्राप्त करते हैं, से प्राप्त सुरक्षा शामिल है।
    • वित्त क्षेत्र में डेरिवेटिव्स एक अनुबंध है जो एक अंतर्निहित इकाई के प्रदर्शन से अपना मूल्य प्राप्त करता है। यह अंतर्निहित इकाई एक परिसंपत्ति, सूचकांक या ब्याज दर हो सकती है और इसे अक्सर "अंतर्निहित" कहा जाता है।
  • प्रकार:
    • फॉरवर्ड और फ्यूचर:
      • ये वित्तीय अनुबंध हैं जो अनुबंध के तहत खरीदारों को एक निर्दिष्ट भविष्य की तारीख पर पूर्व-सहमत मूल्य पर संपत्ति खरीदने के लिये बाध्य करते हैं। फॉरवर्ड (Forwards) और फ्यूचर (Futures) दोनों अपने स्वभाव में अनिवार्य रूप से समान हैं।
    • ऑप्शन:
      • ऑप्शन/विकल्प अनुबंध के खरीदार को पूर्व निर्धारित मूल्य पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने का अधिकार प्रदान करते हैं, लेकिन दायित्व (Obligation) नहीं।
      • ऑप्शन प्रकार के आधार पर खरीदार परिपक्वता तिथि पर या परिपक्वता से पहले किसी भी तिथि पर ऑप्शन का प्रयोग कर सकता है।
    • स्वैप्स:
      • स्वैप्स (Swaps) डेरिवेटिव अनुबंध होते हैं जो दो पक्षों के मध्य नकदी प्रवाह के आदान-प्रदान की अनुमति देते हैं।
      • स्वैप में आमतौर पर अस्थायी नकदी प्रवाह के लिये एक निश्चित नकदी प्रवाह का आदान-प्रदान शामिल होता है।
      • सबसे लोकप्रिय प्रकार के स्वैप इंटरेस्ट रेट स्वैप, कमोडिटी स्वैप और करेंसी स्वैप हैं।
  • महत्त्व:
    • हेजिंग रिस्क एक्सपोज़र: 
      • चूंँकि डेरिवेटिव का मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति के मूल्य से जुड़ा हुआ होता है, अत: अनुबंधों का उपयोग मुख्य रूप से जोखिमों से बचाव के लिये किया जाता है।
      • इस तरह डेरिवेटिव कांट्रेक्ट/व्युत्पन्न अनुबंध (Derivative Contract) में लाभ अंतर्निहित परिसंपत्ति में नुकसान की भरपाई कर सकता है।
    • अंतर्निहित परिसंपत्ति मूल्य निर्धारण:
      • अंतर्निहित परिसंपत्ति की कीमत निर्धारित करने के लिये अक्सर डेरिवेटिव का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये फ्यूचर/वायदा की वर्तमान कीमतें कमोडिटी की कीमत के अनुमान के रूप में कार्य कर सकती हैं।
    • बाज़ार की कार्यक्षमता:
      • यह माना जाता है कि डेरिवेटिव वित्तीय बाज़ारों की दक्षता में वृद्धि करते हैं। डेरिवेटिव कांट्रेक्ट का उपयोग करके किसी संपत्ति के भुगतान को दोहरा सकता है।
      • अत: अंतर्निहित परिसंपत्ति और संबंधित डेरिवेटिव की कीमतें मध्यस्थता के अवसरों से बचने के लिये संतुलन स्थापित करती हैं।
    • अनुपलब्ध संपत्तियों या बाज़ारों तक पहुंँच:
      • डेरिवेटिव संगठनों को अनुपलब्ध संपत्तियों या बाज़ारों तक पहुंँच प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।
      • ब्याज दर स्वैप को नियोजित करके एक कंपनी प्रत्यक्ष उधार से प्राप्त ब्याज दरों के सापेक्ष अधिक अनुकूल ब्याज दर प्राप्त कर सकती है
  • मुद्दे:
    • उच्च जोखिम:
      • डेरिवेटिव की उच्च अस्थिरता संभावित रूप से इन्हें भारी नुकसान पहुँचाती है। अनुबंधों का परिष्कृत डिज़ाइन इनके मूल्यांकन को अत्यंत जटिल या असंभव बना देता है। इस प्रकार ये एक उच्च अंतर्निहित जोखिम को वहन करते हैं।
    • अव्यवहारिक विशेषताएंँ:
      • डेरिवेटिव्स को व्यापक रूप से अटकलों का एक उपकरण माना जाता है। डेरिवेटिव की अत्यधिक जोखिम भरी प्रकृति और उनके अप्रत्याशित व्यवहार के चलते अनुचित अटकलों के कारण भारी नुकसान हो सकता है।
    • प्रतिपक्ष जोखिम:
      • हालांँकि एक्सचेंजों पर कारोबार किये जाने वाले डेरिवेटिव्स आमतौर पर पूरी तरह से उचित परिश्रम प्रक्रिया से गुज़रते हैं, लेकिन काउंटर पर कारोबार करने वाले कुछ अनुबंधों में उचित परिश्रम हेतु बेंचमार्क शामिल नहीं होता है। इस प्रकार प्रतिपक्ष डिफाॅल्ट (Counterparty Default) की संभावना होती है।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज:

  • NCDEX एक ऑनलाइन कमोडिटी एक्सचेंज है जो मुख्य रूप से कृषि संबंधी उत्पादों में व्यवहार करता है।
  • यह सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी (Public Limited Company) है, जिसे कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत 23 अप्रैल, 2003 को स्थापित किया गया था।
  • इस एक्सचेंज की स्थापना भारत के कुछ प्रमुख वित्तीय संस्थानों जैसे- ICICI बैंक लिमिटेड, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज तथा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक आदि द्वारा की गई थी।
  • NCDEX का मुख्यालय मुंबई में स्थित है, लेकिन व्यापार की सुविधा के लिये देश के कई अन्य हिस्सों में भी इसके कार्यालय हैं।
  • इनमें कृषि उत्पादों के 25 अनुबंध शामिल हैं। NCDEX  का परिचालन एक स्वतंत्र निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है जिसका कृषि में कोई प्रत्यक्ष हित नहीं है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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