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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में वायदा बाज़ार

  • 10 Aug 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (Indian Council for Research on International Economic Relations-ICRIER) द्वारा किये गए अध्ययन से सामने आया है कि वायदा बाज़ारों (Future Markets) में व्यापार करने के लिये किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Producer Organizations-FPOs) को सशक्त बनाने की ज़रूरत है।

क्या होते हैं किसान उत्पादक संगठन?

  • 'किसान उत्पादक संगठनों’ का अभिप्राय किसानों, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के समूह से होता है। इस प्रकार के संगठनों का प्रमुख उद्देश्य कृषि से संबंधित चुनौतियों के प्रभावी समाधान की खोज करना होता है।
  • FPO प्राथमिक उत्पादकों जैसे- किसानों, दूध उत्पादकों, मछुआरों, बुनकरों और कारीगरों आदि द्वारा गठित क़ानूनी इकाई होती है।
  • FPO को भारत सरकार तथा नाबार्ड जैसे संस्थानों से भी सहायता प्राप्त होती है।

वायदा बाज़ार

(Future Market)

  • वायदा बाज़ार का अभिप्राय उस स्थान से होता है जहाँ वायदा/भविष्य के अनुबंधों को ख़रीदा और बेचा जाता है।
  • वायदा/भविष्य के अनुबंध वे वित्तीय अनुबंध होते हैं जिनमें खरीदार किसी व्यक्ति को भविष्य में पूर्व निश्चित मूल्य पर परिसंपत्ति खरीदने का वचन देता है।

भारत में वायदा व्यापार :

  • भारत का पहला वायदा व्यापार वर्ष 2014 में राम रहीम प्रगति निर्माता कंपनी (यह एक उद्यम है जिसे मध्य प्रदेश के एक आदिवासी क्षेत्र में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 3,000 महिलाओं ने शुरू किया था) द्वारा नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (National Commodity and Derivatives Exchange-NCDEX) के माध्यम से किया गया था।
  • भारत में छोटे किसान अक्सर अपनी सीमित क्षमता के कारण वायदा बाज़ार में व्यापार करने से संकोच करते हैं। भविष्य के बाज़ार को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है और कहीं-कहीं इसे सट्टेबाज़ी के रूप में भी लिया जाता है।
    • वायदा व्यापार के स्थान पर छोटे किसान विपणन की पारंपरिक प्रणालियों पर अधिक निर्भर रहते हैं। ये लोग उच्च कमीशन लेते हैं, परंतु क्रेडिट और बाज़ार तक आसान पहुँच प्रदान करते हैं।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज

(National Commodity and Derivatives Exchange-NCDEX)

  • NCDEX एक ऑनलाइन कमोडिटी एक्सचेंज है जो मुख्य रूप से कृषि संबंधी उत्पादों में व्यवहार करता है।
  • यह सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी (Public Limited Company) है, जिसे कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत 23, अप्रैल 2003 को स्थापित किया गया था।
  • इस एक्सचेंज की स्थापना भारत के कुछ प्रमुख वित्तीय संस्थानों जैसे- ICICI बैंक लिमिटेड, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज तथा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक आदि द्वारा की गई थी।
  • NCDEX का मुख्यालय मुंबई में स्थित है, लेकिन व्यापार की सुविधा के लिये देश के कई अन्य हिस्सों में भी इसके कार्यालय हैं।

वायदा बाज़ार के लाभ :

  • वस्तुओं के उचित मूल्य की खोज : जब किसानों को वायदा बाज़ार से जोड़ा जाएगा, तो उन्हें वस्तुओं के उचित मूल्य की खोज करने में सहायता मिलेगी।
  • बाज़ार में अधिक तरलता : बाज़ार में किसानों की अधिक भागीदारी बाज़ार को अधिक तरलता प्रदान करेगी। इसके कारण मूल्य की खोज में भी सहायता होगी।
  • मध्यस्थों की समाप्ति : वायदा बाज़ार में कारोबार करने से किसानों को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उनको पिछले साल की कीमतों के बजाय अगले साल की कीमतों के आधार पर निर्णय लेने में मदद मिलेगी, साथ ही वे बिचौलियों और व्यापारियों के चंगुल से भी बाहर आ जाएंगे और अंततः कृषक परिवारों की आय में बढ़ोतरी होगी।

आगे की राह :

  • चीन के उदाहरण से सीख लेते हुए भारत सरकार को भी वस्तुओं की कीमतों और खरीद में सीमित हस्तक्षेप करना चाहिये।
  • वायदा व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार को उन क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिये जहाँ उत्पादन सबसे अधिक होता है और उनके आसपास गोदामों एवं वितरण केंद्रों का निर्माण करना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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