सूक्ष्म वित्तीय ऋणों के लिये आरबीआई का नियामक ढाँचा | 15 Mar 2022
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक, लघु वित्त बैंक, गैर-सरकारी संगठन, स्वयं सहायता समूह, गैर बैंकिंग वित्त कंपनी, माइक्रोफाइनेंस संस्थान मेन्स के लिये:माइक्रोफाइनेंस ऋण और इसके लाभों के लिये आरबीआई का नियामक ढाँचा, माइक्रोफाइनेंस संस्थान और इसके कार्य |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (MFI) को उन ब्याज दरों को निर्धारित करने की स्वतंत्रता दी, जो वे उधारकर्त्ताओं से वसूलते हैं, तथा यह चेतावनी भी दी है कि दरें अधिक नहीं होनी चाहिये।
- ये दिशा-निर्देश 1 अप्रैल 2022 से प्रभावी होंगे।
- इससे पहले वर्ष 2021 में RBI ने MFI पर ब्याज दर कैप को उठाने का प्रस्ताव रखा था।
दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषताएँ:
- माइक्रोफाइनेंस ऋण की परिभाषा:
- 3 लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले परिवार को दिये गए संपार्श्विक-मुक्त ऋण को इंगित करने हेतु आरबीआई ने माइक्रोफाइनेंस ऋण की परिभाषा को संशोधित किया।
- इससे पहले ऊपरी सीमा ग्रामीण कर्जदारों के लिये 1.2 लाख रुपए और शहरी कर्जदारों के लिये 2 लाख रुपए थी।
- 3 लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले परिवार को दिये गए संपार्श्विक-मुक्त ऋण को इंगित करने हेतु आरबीआई ने माइक्रोफाइनेंस ऋण की परिभाषा को संशोधित किया।
- विनियमित संस्थाओं के लिये:
- संशोधित मानदंडों के अनुसार, विनियमित संस्थाओं (आरई) को माइक्रोफाइनेंस ऋणों के मूल्य निर्धारण, ब्याज दर की उच्चतम सीमा और माइक्रोफाइनेंस ऋणों पर लागू होने वाले अन्य सभी शुल्कों के संबंध में एक बोर्ड-अनुमोदित नीति बनानी चाहिये।
- प्रत्येक विनियमित संस्था को एक मानकीकृत, सरलीकृत फैक्टशीट में संभावित उधारकर्त्ता को मूल्य निर्धारण संबंधी जानकारी का खुलासा करना होगा।
- माइक्रोफाइनेंस ऋण पर ज़ुर्माना:
- माइक्रोफाइनेंस ऋणों पर कोई पूर्व भुगतान दंड नहीं होगा।
- विलंबित भुगतान के लिये जुर्माना, यदि कोई हो तो वह अतिदेय राशि पर लागू होगा न कि संपूर्ण ऋण राशि पर।
- ब्याज दर या किसी अन्य शुल्क में कोई भी परिवर्तन होने पर’उधारकर्त्ता को अग्रिम रूप से सूचित किया जाएगा और ये परिवर्तन केवल संभावित रूप से प्रभावी होंगे।
- ऋणों की वसूली:
- RE को पुनर्भुगतान से संबंधित कठिनाइयों का सामना करने वाले उधारकर्त्ताओं की पहचान करने, ऐसे उधारकर्त्ताओं के साथ जुड़ाव और उन्हें उपलब्ध सहायता के बारे में आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु एक तंत्र स्थापित करना होगा।
- यह तंत्र उचित नोटिस और प्राधिकरण सुनिश्चित करने हेतु RE वसूली प्रक्रिया शुरू करते समय उधारकर्त्ता को वसूली एजेंटों (Recovery Agents) का विवरण प्रदान करेगा।
- RE को पुनर्भुगतान से संबंधित कठिनाइयों का सामना करने वाले उधारकर्त्ताओं की पहचान करने, ऐसे उधारकर्त्ताओं के साथ जुड़ाव और उन्हें उपलब्ध सहायता के बारे में आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु एक तंत्र स्थापित करना होगा।
दिशा-निर्देशों की प्रयोज्यता:
- भुगतान बैंकों को छोड़कर सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)।
- सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/राज्य सहकारी बैंक/ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक।
- सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियांँ (माइक्रोफाइनेंस संस्थान और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों सहित)।
विगत वर्षों के प्रश्न:भारत में कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिये ऋण के वितरण में निम्नलिखित में से किसका हिस्सा सबसे अधिक है? (2011) (a) वाणिज्यिक बैंक उत्तर: (a) |
होने वाले लाभ:
- बाज़ार का विस्तार: 3 लाख रुपए की आय कैप में संशोधन से बाज़ार के अवसर का विस्तार होगा और इंटरेस्ट रेट कैप (Interest Rate Cap) को समाप्त करने से जोखिम आधारित बीमा को बढ़ावा मिलेगा।
- स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा: यह विभिन्न प्रकार के ऋणदाताओं हेतु नियामक ढांँचे के सामंजस्य द्वारा स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करने और ग्राहकों को उनकी क्रेडिट ज़रूरतों के बारे में एक सूचित विकल्प निर्मित करने हेतु दीर्घ अवधि में मदद करेगा।
- वित्तीय समावेशन: नया ढांँचा उद्योग को आगे बढ़ाने में मदद करेगा, बेहतर जोखिम शमन और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करेगा।
- एक समान स्तर का निर्माण: यह एक समान स्तर को निर्मित करेगा और उधारकर्त्ताओं और ऋणदाताओं दोनों के पास अब विकल्प होंगे।
- ज़रूरतमंदों की मदद: यह उधारकर्त्ताओं के हितों की रक्षा करेगा और इस क्षेत्र में ज़रूरतमंद उधारकर्त्ताओं की मदद करेगा।
माइक्रोफाइनेंस संस्थान क्या है?
- माइक्रोफाइनेंस संस्थान एक ऐसा संगठन है, जो अल्प आय वाली आबादी को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करता है।
- इन सेवाओं में सूक्ष्म ऋण, सूक्ष्म बचत और सूक्ष्म बीमा आदि शामिल हैं।
- MFI वित्तीय कंपनियाँ उन लोगों को छोटे ऋण प्रदान करती हैं, जिनकी बैंकिंग सुविधाओं तक पहुँच नहीं होती है।
- ज़्यादातर मामलों में ब्याज दरें सामान्य बैंकों द्वारा वसूल की जाने वाली दरों से कम होती हैं। अतः कुछ लोगों ने इन माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं पर गरीब लोगों के पैसे में हेरफेर करके लाभ कमाने का आरोप लगाया है।
- पिछले कुछ दशकों में माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र तेज़ी से बढ़ा है और वर्तमान में इनके पास भारत की गरीब आबादी के लगभग 102 मिलियन खाते (बैंकों और लघु वित्त बैंकों सहित) हैं।
- गरीब लोगों के लिये विभिन्न प्रकार के वित्तीय सेवा प्रदाता उभरे हैं, जिसमें गैर-सरकारी संगठन (NGO), सहकारिता, स्व-सहायता समूह, क्रेडिट यूनियन, सामुदायिक-आधारित विकास संस्थान, वाणिज्यिक और राज्य बैंक, बीमा तथा क्रेडिट कार्ड कंपनियाँ, डाकघर आदि शामिल हैं।
- भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ और MFIs का नियमन रिज़र्व बैंक के गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी -माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (रिज़र्व बैंक) निर्देश, 2011 द्वारा किया जाता है।
विगत वर्षों के प्रश्नमाइक्रोफाइनेंस के तहत निम्न आय वर्ग के लोगों के लिये वित्तीय सेवाओं का प्रावधान है। इसमें उपभोक्ता एवं स्वरोज़गार दोनों शामिल हैं। माइक्रोफाइनेंस के तहत प्रदान की जाने वाली सेवाएँ हैं:
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