उत्पादन समझौता: ओपेक+ | 06 Jul 2021
प्रिलिम्स के लिये:OPEC तथा OPEC+ मेन्स के लिये:उत्पादन समझौता तथा संयुक्त अरब अमीरात की आपत्ति |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने ‘पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन प्लस’ (ओपेक+) समूह द्वारा अप्रैल 2022 के बाद तेल उत्पादन में कटौती करने हेतु वैश्विक समझौते का विस्तार करने की योजना को अनुचित ठहराते हुए इसे समाप्त करने पर ज़ोर दिया है।
प्रमुख बिंदु
उत्पादन समझौता और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव:
- ‘पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन प्लस’ (ओपेक+) समूह ने अप्रैल 2020 में दो वर्षीय उत्पादन समझौता (आउटपुट पैक्ट) किया था, जिसमें कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप तेल की कीमत में तीव्र गिरावट से निपटने के लिये कच्चे तेल के उत्पादन में भारी कटौती की बात की गई थी।
- अप्रैल 2020 में ब्रेंट क्रूड ऑइल की कीमत 18 वर्ष के सबसे निचले स्तर पर 20 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से भी कम हो गई थी, क्योंकि महामारी के कारण दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियाँ काफी प्रभावित हुई थीं और तमाम देश महामारी से निपटने का प्रयास कर रहे थे।
- इसके पश्चात् नवंबर 2020 में कीमतें बढ़ने लगीं और जुलाई 2021 में वे 76.5 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर पहुँच गई, इसके लिये मुख्य तौर से दुनिया भर में टीकाकरण कार्यक्रमों के स्थिर रोलआउट को उत्तरदायी माना जा सकता है।
- हालाँकि ओपेक+ समूह में शामिल देशों ने कच्चे तेल की कीमतें पूर्व-कोविड स्तर तक पहुँचने के बावजूद उत्पादन के निचले स्तर को बनाए रखा, साथ ही सऊदी अरब ने विशेष तौर पर फरवरी से अप्रैल की अवधि के बीच उत्पादन में प्रतिदिन 1 मिलियन बैरल की और अधिक कटौती करने की घोषणा कर दी, जिससे कीमतों में और अधिक वृद्धि हुई।
- इसके पश्चात् ओपेक+ समूह को भारत सहित तमाम विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से कीमतों को बढ़ाने के लिये जान-बूझकर कम आपूर्ति स्तर बनाए रखने हेतु आलोचना का सामना करना पड़ा।
- अप्रैल माह में ओपेक+ समूह ने कच्चे तेल के उत्पादन में धीरे-धीरे वृद्धि करने पर सहमति व्यक्त की थी, जिसमें जुलाई तक उत्पादन में सऊदी अरब के 1 मिलियन बैरल प्रतिदिन की कटौती का चरणबद्ध अंत भी शामिल है।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की आपत्ति:
- UAE ने सहमति व्यक्त की है कि अगस्त 2021 से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है, परंतु वह ओपेक की संयुक्त मंत्रिस्तरीय निगरानी समिति (JMMC) की दो वर्ष के उत्पादन समझौते को छह महीने तक बढ़ाए जाने वाली शर्त से सहमत नहीं था।
- मौजूदा समझौते पर UAE की प्रमुख आपत्ति प्रत्येक तेल-निर्यातक देश के लिये कुल उत्पादन की गणना हेतु उपयोग किया जाने वाला संदर्भ आउटपुट है।
- मौजूदा समझौते में प्रयोग किया गया बेसलाइन उत्पादन स्तर संदर्भ संयुक्त अरब अमीरात की उत्पादन क्षमता को प्रतिबिंबित नहीं करता था और इसलिये संयुक्त अरब अमीरात को कच्चे तेल के कुल उत्पादन का कम हिस्सा बाँटना पड़ा।
- यदि सभी पक्षों हेतु उचित आधारभूत उत्पादन स्तरों की समीक्षा की जाती है तो UAE समझौते का विस्तार करने के लिये तैयार होगा।
भारत पर OPEC+ संघर्ष का प्रभाव:
- विलंबित राहत:
- यदि संयुक्त अरब अमीरात और अन्य ओपेक+ राष्ट्र अगस्त में उत्पादन बढ़ाने के लिये एक समझौते पर नहीं पहुँचते हैं तो कच्चे तेल की कम कीमतों के रूप में अपेक्षित राहत में देरी हो सकती है।
- उच्च घरेलू कीमतें:
- भारत वर्तमान में पेट्रोल व डीज़ल की रिकॉर्ड उच्च कीमतों का सामना कर रहा है। कच्चे तेल की उच्च कीमतों के कारण भारतीय तेल विपणन कंपनियों ने वर्ष 2021 की शुरुआत से पेट्रोल की कीमत में लगभग 19.3% और डीज़ल की कीमत में लगभग 21% की बढ़ोतरी की है।
- धीमी रिकवरी:
- कच्चे तेल की उच्च कीमत महामारी के बाद विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक सुधार को धीमा कर रही थी।
- मुद्रास्फीति:
- ऊँची कीमतों से चालू खाता घाटा भी बढ़ सकता है और भारतीय अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का दबाव भी बढ़ सकता है।
पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन
ओपेक के विषय में:
- यह एक स्थायी, अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1960 में बगदाद सम्मेलन में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला द्वारा की गई थी।
- इस संगठन का उद्देश्य अपने सदस्य देशों की पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय और एकीकरण करना तथा उपभोक्ता को पेट्रोलियम की कुशल, आर्थिक व नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये तेल बाज़ारों का स्थिरीकरण सुनिश्चित करना है।
मुख्यालय:
- वियना (आस्ट्रिया)।
सदस्यता:
- ओपेक की सदस्यता ऐसे किसी भी देश के लिये खुली है जो तेल का एक बड़ा निर्यातक है और संगठन के आदर्शों को साझा करता है।
- ओपेक के कुल 14 देश (ईरान, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अल्जीरिया, लीबिया, नाइजीरिया, गैबॉन, इक्वेटोरियल गिनी, कांगो गणराज्य, अंगोला, इक्वाडोर और वेनेजुएला) सदस्य हैं।
ओपेक प्लस
- यह ओपेक सदस्यों और विश्व के 10 प्रमुख गैर-ओपेक तेल निर्यातक देशों का गठबंधन हैं:
- अज़रबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कज़ाखस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, रूस, दक्षिण सूडान और सूडान।