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भारतीय अर्थव्यवस्था

नई औद्योगिक अवसंरचना परियोजनाएँ

  • 01 Jan 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs- CCEA) ने प्रमुख परिवहन गलियारों से जुड़े ग्रीनफील्ड औद्योगिक शहरों की स्थापना के लिये 7,725 करोड़ रुपए के तीन बुनियादी अवसंरचना प्रस्तावों को मंज़ूरी दी है।

  • मंत्रिमंडल ने इथेनॉल उत्पादन के लिये इंटरेस्ट सबवेंशन हेतु एक संशोधित योजना को भी मंज़ूरी दी, योजना का विस्तार करते हुए इसमें अनाज आधारित भट्टियों को शामिल करने की बात कही गई, न कि केवल गुड़ आधारित
    • यह योजना जौ, मक्का और चावल जैसे अनाजों से इथेनॉल उत्पादन को प्रोत्साहित करेगी, साथ ही उत्पादन तथा आसवन क्षमता को बढ़ाकर 1,000 करोड़ लीटर करने में सहायक होगी। 
    • इसके अलावा वर्ष 2030 तक पेट्रोल के साथ 20% इथेनॉल के मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगी।

प्रमुख बिंदु:

  • ये परियोजनाएँ प्रमुख परिवहन गलियारों जैसे- पूर्वी और पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर, एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्ग, बंदरगाहों, हवाई अड्डों आदि से निकटता सुनिश्चित करने पर आधारित हैं।
  • यह वैश्विक विनिर्माण शृंखला में भारत को विनिर्माण के क्षेत्र में मज़बूत स्थिति प्रदान करने हेतु  निवेश को आकर्षित करेगा।
  • ये परियोजनाएँ औद्योगिक गलियारों के विकास के माध्यम से रोज़गार के पर्याप्त अवसर सृजित करने में सहायक होंगी।

औद्योगिक गलियारे:

  • अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं और औद्योगिक गलियारे इस परस्पर-निर्भरता के लिये उद्योग एवं बुनियादी ढाँचे के बीच प्रभावी एकीकरण सुनिश्चित करते हैं, ताकि समग्र आर्थिक और सामाजिक विकास हो सके।

आर्थिक लाभ:

  • निर्यात में वृद्धि: औद्योगिक गलियारों के परिणामस्वरूप रसद (Logistics) की लागत कम होने की संभावना है जिससे औद्योगिक उत्पादन संरचना की दक्षता में वृद्धि होगी। उत्पादन लागत कम होने से यह भारतीय उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाएगी।
  • रोज़गार के अवसर: औद्योगिक गलियारों का निर्माण उद्योगों के विकास के लिये निवेश को आकर्षित करेगा जिससे बाज़ार में रोज़गार के अधिक अवसर उत्पन्न होने की संभावना है।
  • रसद (Logistics): ये गलियारे आकारिक मितव्ययिता (Economies of Scale) हेतु आवश्यक लॉजिस्टिक्स अवसंरचना प्रदान करेंगे, इस प्रकार व्यवसायों को अपने मुख्य क्षमता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाएंगे।
  • निवेश के अवसर: औद्योगिक गलियारे निजी क्षेत्रों के लिये औद्योगिक अवसरों के दोहन से संबंधित विभिन्न बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं के प्रावधान में निवेश के अवसर प्रदान करते हैं।
  • कार्यान्वयन में सुधार: औद्योगिक गलियारे के दीर्घकालिक लाभों में बुनियादी अवसंरचना के विकास के अलावा व्यापार और उद्योग हेतु औद्योगिक उत्पादन इकाइयों की सुगम पहुँच, परिवहन तथा संचार लागत में कमी, डिलीवरी के समय में सुधार एवं इन्वेंट्री लागत में कमी आदि शामिल हैं।

पर्यावरणीय महत्त्व: 

  • औद्योगिक गलियारों के आस-पास विकीर्णित तरीके से औद्योगिक इकाइयों की स्थापना कर एक विशेष स्थान पर उद्योगों के संकेंद्रण को रोका जा सकेगा।
    • यहाँ विशेष स्थान का तात्पर्य ऐसे स्थान से है जहाँ आवश्यकता से अधिक पर्यावरण का दोहन किया गया हो और या पर्यावरणीय गिरावट के लिये उत्तरदायी हो।

सामजिक-आर्थिक महत्त्व: 

  • सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से औद्योगिक गलियारों के विभिन्न व्यापक प्रभाव हैं जैसे- औद्योगिक टाउनशिप, शैक्षणिक संस्थान, अस्पतालों की स्थापना आदि। ये मानव विकास के मानकों में और वृद्धि करने में सहायक होंगे।
  • इसके अलावा लोगों को अपने घरों के नज़दीक रोज़गार के अवसर मिलेंगे और उन्हें दूरदराज़ के स्थानों की ओर नहीं जाना पड़ेगा (प्रवास को रोका जा सकेगा)।

राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम:

National-Industrial-Corridor-Programme

  • लक्ष्य: भारत सरकार राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम के हिस्से के रूप में विभिन्न औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं का विकास कर रही है, जिसका उद्देश्य भारत में ऐसे औद्योगिक शहरों का विकास करना है जो विश्व के सबसे अच्छे विनिर्माण और निवेश स्थलों के साथ प्रतिस्पर्द्धा कर सकें।
  • प्रबंधन: 
    • विकास और कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में मौजूद सभी औद्योगिक गलियारों के समन्वित और एकीकृत विकास के लिये राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास और कार्यान्वयन ट्रस्ट (NICDIT) द्वारा उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य किया जा रहा है।
  • यह भारत का सबसे महत्त्वाकांक्षी बुनियादी ढाँचा कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य नए औद्योगिक शहरों को "स्मार्ट सिटीज़" के रूप में विकसित करना और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों को बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों में परिवर्तित करना है।
  • इस कार्यक्रम के लिये कुल स्वीकृत राशि तकरीबन 20,084 करोड़ रुपए है। कार्यक्रम के तहत 11 औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं को शुरू किया गया है और कार्यक्रम के तहत वर्ष 2024-25 तक चार चरणों में कुल 30 परियोजनाओं को विकसित किया जाएगा।

आगे की राह:

  • गलियारों की स्थापना के उद्देश्य को सफल बनाने के लिये भारत को औद्योगिक क्रांति 4.0 का हिस्सा बनना होगा, जो स्मार्ट रोबोटिक्स, हल्के और सख्त पदार्थ, 3डी प्रिंटिंग तथा एनालिटिक्स से निर्मित विनिर्माण प्रक्रिया आदि क्षेत्रों में नवाचार के नए तरीकों का हिस्सा हो।
  • औद्योगिक गलियारे, औद्योगिक क्रांति की चौथी लहर में विश्व का नेतृत्व करने के प्रयासों में भारत की मदद करेंगे। इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन से भारत विकास की दौड़ में एक बड़ी छलांग लगा सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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