शासन व्यवस्था
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)-2021
- 27 May 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)-2021, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 45, अनुच्छेद 39 (F), राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP), RTE) अधिनियम, 2009, 42वांँ संशोधन , 2002 में 86वांँ संशोधन, अनुच्छेद 21-A। मेन्स के लिये:शिक्षा, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)- 2021 रिपोर्ट जारी की।
- यह त्रैवार्षिक सर्वेक्षण नवंबर 2021 में आयोजित किया गया था।
- NAS-2021 में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के 720 ज़िलों के 1.18 लाख स्कूलों के लगभग 34 लाख छात्रों ने भाग लिया।
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)-2021:
- परिचय:
- यह शिक्षा प्रणाली के सीखने के परिणामों और स्वास्थ्य का आकलन करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण है।
- यह पूरे भारत में आयोजित सबसे बड़ा, राष्ट्रव्यापी, नमूना-आधारित शिक्षा सर्वेक्षण है।
- यह शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आयोजित किया जाता है।
- NAS-2021 का आयोजन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा किया गया।
- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने NAS-2021 के लिये एक मूल्यांकन रूपरेखा व उपकरण तैयार किये हैं।
- यह स्कूली शिक्षा की प्रभावशीलता पर एक प्रणाली-स्तरीय प्रतिबिंब प्रदान करता है।
- यह प्रासंगिक पृष्ठभूमि के घटकों, जैसे- स्कूल पर्यावरण, शिक्षण प्रक्रियाओं और छात्रावास तथा पृष्ठभूमि के कारकों पर जानकारी एकत्र करता है।
- यह संपूर्ण भारत के सरकारी स्कूलों (राज्य और केंद्र सरकार दोनों), सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों तथा निजी स्कूलों सहित स्कूलों के पूरे विस्तार को कवर करता है।
- यह शिक्षा प्रणाली के सीखने के परिणामों और स्वास्थ्य का आकलन करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण है।
- माध्यम और श्रेणी:
- NAS-2021 शिक्षा के 22 माध्यमों जिसमें अंग्रेज़ी, असमिया, बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, हिंदी, मलयालम, मराठी, मणिपुरी, मिज़ो, पंजाबी, ओड़िया, तेलुगू, तमिल, बोडो, उर्दू, गारो, कोंकणी, खासी, भूटिया, नेपाली और लेप्चा शामिल हैं, आयोजित किया गया था।
- यह अलग-अलग श्रेणी के लिये अलग-अलग विषयों में आयोजित किया गया था। विषय और श्रेणी के अनुसार विवरण निम्नलिखित हैं:
- श्रेणी 3 और श्रेणी 5: भाषा, EVS और गणित
- श्रेणी 8: भाषा, विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान
- श्रेणी 10: भाषा, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और अंग्रेज़ी
- उद्देश्य:
- शिक्षा प्रणाली की दक्षता के संकेतक के रूप में बच्चों की प्रगति और सीखने की दक्षतां का मूल्यांकन करना, ताकि विभिन्न स्तरों पर उपचारात्मक कार्यों के लिये उचित कदम उठाया जा सकें।
- महत्त्व:
- यह सीखने के अंतराल की समस्या को सुलझाने में मदद करेगा और सीखने के स्तर में सुधार करने हेतु दीर्घकालिक, मध्यावधि और अल्पकालिक हस्तक्षेप विकसित करने में राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों का समर्थन करेगा तथा NAS-2021 के आंँकड़ों के आधार पर विभिन्न योजनाओं की तरफ उन्मुख होगा।
- NAS-2021 के अनुसार, उन परिणामों का व्यवस्थित ढंग से निदान करने में मदद मिलेगी जिनका असर स्कूलों के लंबे समय तक बंद रहने के कारण छात्रों के सामाजिक-भावनात्मक और संज्ञानात्मक विकास के संदर्भ में सीखने पर पड़ा है।
- NAS के अनुसार, ये शिक्षकों, शिक्षा के प्रसार में शामिल अधिकारियों के लिये क्षमता निर्माण में मदद करेंगे।
NAS-2021 की मुख्य विशेषताएंँ:
- राष्ट्रीय औसत:
- कक्षा तीन के लिये छात्रों का राष्ट्रीय औसत प्रतिशत 59% था, जो कक्षा पांँच में 10% की गिरावट के साथ 49% रह गया है।
- इसमें कक्षा आठ में 41.9% और फिर कक्षा 10 में 37.8% तक गिरावट आई।
- प्रदर्शन में लगभग सभी विषयों में गिरावट दर्ज की गई।
- उदाहरण के लिये राष्ट्रीय स्तर पर गणित का स्कोर कक्षा तीन में 57% था, पांँचवी में लगभग 10% से 44% तक कमी आई, वही कक्षा आठवीं में 36% और कक्षा 10वीं में 32% तक की कमी दर्ज़ की गई।
- राष्ट्रीय स्तर पर भाषा का स्कोर कक्षा तीन में 62% था लेकिन कक्षा पांँच में 52% एवं कक्षा आठ में 53% तक की गिरावट हुई।
- विज्ञान के लिये राष्ट्रीय स्कोर कक्षा आठ में 39% से घटकर कक्षा 10 में 35% हो गया।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्र:
- ग्रामीण स्कूलों का प्रदर्शन उन्हीं राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (यूटी) के शहरी स्कूलों की तुलना में "बहुत पीछे" रहा।
- सामाजिक-समूहों का प्रदर्शन:
- अनुसूचित जाति (SC)/अनुसूचित जनजाति (ST)/अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणियों के छात्रों का प्रदर्शन सामान्य श्रेणी के छात्रों की तुलना में कम रहा।
- लिंग-वार प्रदर्शन:
- राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर लड़कियों का औसत प्रदर्शन कक्षाओं में लगभग सभी विषयों में लड़कों की तुलना में बेहतर रहा।
- सीखने के बारे में छात्रों की धारणा:
- महामारी के दौरान स्कूल बंद रहने की अवधि में घर पर सीखने के बारे में छात्रों की धारणा के अनुसार 78% छात्रों ने इसे बहुत सारे असाइनमेंट के साथ बोझ बताया।
- कम-से-कम 38% छात्रों को घर पर सीखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जबकि 24% ने कहा कि उनके पास घर पर डिजिटल उपकरण नहीं हैं।
राज्यों का प्रदर्शन:
- अधिकांश राज्यों ने समग्र राष्ट्रीय स्कोर से काफी नीचे के स्तर पर प्रदर्शन किया, जबकि कुछ राज्यों जैसे केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र और पंजाब ने राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया।
- राष्ट्रीय औसत की तुलना में आठवीं और दसवीं कक्षा में दिल्ली का प्रदर्शन बेहतर था।
- पंजाब ने कक्षा 3, 5 और 8 के सभी विषयों में सर्वोच्च अंक प्राप्त किये हैं।
भारत में शिक्षा की स्थिति:
- संवैधानिक प्रावधान:
- भारतीय संविधान के भाग IV राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) के अनुच्छेद 45 और अनुच्छेद 39 (F) में राज्य द्वारा वित्तपोषित होने के साथ-साथ समान एवं सुलभ शिक्षा का प्रावधान है।
- वर्ष 1976 में संविधान के 42वें संशोधन ने शिक्षा को राज्य से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया।
- वर्ष 2002 में 86वें संशोधन ने अनुच्छेद 21-A के तहत शिक्षा को प्रवर्तनीय अधिकार बना दिया।
- संबंधित कानून:
- शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना और शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू करना है।
- यह समाज के वंचित वर्गों के लिये 25% आरक्षण को भी अनिवार्य करता है।
- शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना और शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू करना है।
- सरकारी पहल: