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भारतीय इतिहास

जलियाँवाला बाग हत्याकांड

  • 15 Apr 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने जलियाँवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) की 102वीं वर्षगांठ पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

  • भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) के 130वें स्थापना दिवस के अवसर पर जलियाँवाला बाग हत्याकांड की शताब्दी को चिह्नित करने के लिये एक प्रदर्शनी “जलियाँवाला बाग” का उद्घाटन किया गया था।

प्रमुख बिंदु

जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विषय में:

  • 13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में शामिल लोगों पर ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे।

जलियाँवाला बाग हत्याकांड के लिये उत्तरदायी कारक:

  • अप्रैल 1919 का नरसंहार एक ऐसी घटना थी जिसके पीछे कई कारक काम कर रहे थे।
  • भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार प्रथम विश्व युद्ध (1914–18) के दौरान राष्ट्रीय गतिविधियों को रोकने लिये कई दमनकारी कानून लाई।
  • अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम (Anarchical and Revolutionary Crimes Act), 1919 जिसे रॉलेट एक्ट या काला कानून (Rowlatt Act or Black Act) के नाम से भी जाना जाता है, को 10 मार्च 1919 को पारित किया गया। सरकार को अब किसी व्यक्ति को जो देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त था और जिससे देशव्यापी अशांति फैलने का डर था, बिना मुकदमा चलाए कैद करने का अधिकार मिल गया।
  • 13 अप्रैल, 1919 को सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की रिहाई का अनुरोध करने के लिये जलियाँवाला बाग में लगभग 10,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ जमा हुई।
    • हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक दोनों प्रमुख नेताओं को रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने पर गिरफ्तार करके शहर से बाहर भेज दिया गया था।
  • ब्रिगेडियर- जनरल डायर ने अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचकर सभा को घेर लिया और वहाँ से बाहर जाने के एकमात्र मार्ग को अवरुद्ध कर अपने सिपाहियों को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के लिये कहा।

जलियाँवाला बाग हादसे के बाद की स्थिति:

  • भविष्य में किसी भी विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिये सरकार ने पंजाब में मार्शल लॉ लागू कर दिया, जिसमें सार्वजनिक झंडे और अन्य अपमान शामिल थे। इस घटना की खबर सुनकर भारतीयों में नाराजगी बढ़ गई और पूरे उपमहाद्वीप में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गएँ।
  • बंगाली कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1915 में अपनी नाइटहुड की उपाधि को त्याग दिया।
  • महात्मा गांधी ने कैसर-ए-हिंद की उपाधि वापस कर दी, जिसे इन्हें बोअर युद्ध (Boer War) के दौरान अंग्रेज़ों द्वारा दिया गया था।
  • 14 अक्तूबर, 1919 को भारत सरकार ने डिसऑर्डर इन्क्वायरी कमेटी (Disorders Inquiry Committee) के गठन की घोषणा की। यह समिति लॉर्ड विलियम हंटर की अध्यक्षता के चलते उनके नाम पर हंटर कमीशन (Hunter Commission) के नाम से जानी जाती है। इसमें भारतीय भी सदस्य थे।
    • मार्च 1920 में प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट में समिति ने सर्वसम्मति से डायर के कृत्यों की निंदा की और उसे अपने पद से इस्तीफा देने का निर्देश दिया।
  • भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस ने अपनी गैर-आधिकारिक समिति नियुक्त की जिसमें मोतीलाल नेहरू, सी. आर. दास, अब्बास तैयब जी, एम. आर. जयकर और गांधी को शामिल किया गया था।
  • महात्मा गांधी ने जल्द ही अपने पहले बड़े अहिंसक सत्याग्रह अभियान, असहयोग आंदोलन (Non Cooperation Movement- 1920-22) को शुरू किया, जो 25 वर्ष बाद भारत के ब्रिटिश शासन को समाप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

स्रोत: पी.आई.बी.

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