नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-नीदरलैंड संबंध

  • 26 Aug 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीन हाइड्रोजन, बिग डेटा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन, डीप ओशन मिशन 

मेन्स के लिये:

आर्थिक एवं व्यापार तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संदर्भ में भारत-नीदरलैंड संबंध

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में भारत और नीदरलैंड द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा नवाचार में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की गई है।

Netherlands

प्रमुख बिंदु 

बैठक के मुख्य बिंदु:

  • संपन्न बैठक में भारत का ज़ोर इस बात पर रहा कि स्वास्थ्य, कृषि और जल ये तीनों क्षेत्र, दोनों देशों के मध्य घनिष्ठ पारस्परिक सहयोग के आधार हैं।
  • नीदरलैंड की तरफ से ग्रीन हाइड्रोजन और महासागर विज्ञान के क्षेत्र में मिलकर कार्य करने का प्रस्ताव रखा गया।
  • दोनों देशों द्वारा स्मार्ट एनर्जी ग्रिड, बिग डेटा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स के संबंध में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की गई।
  • भारत ने नीदरलैंड को अंतरिक्ष क्षेत्र में जानकारी साझा करने हेतु आमंत्रित किया, विशेष रूप से हाल के दिनों में भारत द्वारा शुरू किये गए पथ-प्रदर्शक सुधारों के मद्देनज़र, निजी क्षेत्र को उपग्रह प्रक्षेपण और अंतरिक्ष आधारित गतिविधियों में एक समान अवसर प्रदान करने की अनुमति दी गई है।
  • दोनों देशों द्वारा भविष्य में सौर ऊर्जा, गैस आधारित प्रतिष्ठानों, साइबर सुरक्षा, डेटा विज्ञान, शहरी जल प्रणाली और उभरते अन्य क्षेत्रों में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की गई जिससे भारत में लोगों के लिये रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
  • जलवायु परिवर्तन संपूर्ण विश्व के लिये चिंता का प्रमुख कारण है, इस पर भी प्रकाश डाला गया।

नोट 

  • भारत सरकार ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात हेतु एक वैश्विक हब बनाने के लिये राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की।
  • इसके अलावा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने हाल ही में गहरे समुद्र में संसाधनों का पता लगाने और समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग हेतु गहरे समुद्र की प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के उद्देश्य से डीप ओशन मिशन शुरू किया है।

भारत-नीदरलैंड संबंध:

  • आर्थिक और व्यापारिक: वित्त वर्ष 2021 में नीदरलैंड भारत में विदेशी निवेश का छठा सबसे बड़ा निवेशक देश है।
    • नीदरलैंड यूरोपीय संघ का भारत का 5वांँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदारी वाला देश है। यह भारत के अग्रणी निवेशक देशों में से एक है।
  • ऐतिहासिक संबंध: भारत-डच संबंध 400 वर्षों से भी अधिक पुराने हैं, भारत में पहली डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना लगभग 17वीं शताब्दी ईस्वी में हुई थी।
    • वर्ष 1947 में दोनों देशों के मध्य आधिकारिक संबंध स्थापित हुए और तभी से दोनों के संबंध सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण हैं।
    • दोनों देश लोकतंत्र, बहुलवाद और कानून के शासन के समान आदर्शों को भी साझा करते हैं।
  • सांस्कृतिक संबंध: वर्तमान में नीदरलैंड यूरोपीय मुख्य भूमि में भारतीय समुदाय का निवास स्थल है।
    • अक्तूबर 2011 में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) सांस्कृतिक केंद्र "गांधी केंद्र" हेग में स्थापित किया गया था।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग: नीदरलैंड्स ऑर्गनाइज़ेशन फॉर साइंटिफिक रिसर्च (Netherlands Organization for Scientific Research- NWO) भारत सरकार के विभिन्न विभागों के साथ सहयोग करता है।
    • उदाहरणतः "स्वस्थ पुन: उपयोग के लिये शहरी सीवेज धाराओं का स्थानीय उपचार (LOTUS-HR)" शीर्षक से एक परियोजना चल रही है।
    • LOTUS-HR परियोजना भारत के जैव प्रौद्योगिकी विभाग और डच (Dutch) NWO-TTW द्वारा वित्तपोषित विश्वविद्यालयों और कंपनियों का एक भारत-नीदरलैंड संयुक्त सहयोग है।
  • जल प्रबंधन में सहयोग:
    • डच इंडो वाटर एलायंस लीडरशिप इनिशिएटिव (Dutch Indo Water Alliance Leadership Initiative- DIWALI) नामक एक मंच विकसित किया गया है जिसमें शामिल होकर भारत और नीदरलैंड पानी की समस्या संबंधी चुनौतियों का समाधान कर  सकते हैं।
  • कृषि में सहयोग: कृषि भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिये नीदरलैंड द्वारा पहचाने गए प्रमुख क्षेत्रों में से एक है।
    • कृषि पर 5वीं संयुक्त कृषि कार्य समूह (Joint Agriculture Working Group- JAWG) की बैठक वर्ष 2018 में नई दिल्ली में हुई थी।
    • JAWG के तहत एक कार्ययोजना पर हस्ताक्षर किये गए, जिसमें बागवानी, पशुपालन और डेयरी, मत्स्य पालन तथा खाद्य प्रसंस्करण में उत्कृष्टता केंद्र (Centres of Excellence- CoE) स्थापित करने में सहयोग की परिकल्पना की गई है।
    • इसके साथ ही कोल्ड चेन, आपूर्ति शृंखला प्रबंधन आदि के क्षेत्र में कौशल विकास और क्षमता निर्माण भी शामिल है।
  • स्वास्थ्य सहयोग:
    • संचारी रोगों और रोगाणुरोधी प्रतिरोध से जुड़ी उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों में अधिक अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने के लिये जनवरी 2014 में स्वास्थ्य देखभाल एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए थे।

स्रोत: पीआईबी

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow