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डेली न्यूज़


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-मालदीव सुरक्षा साझेदारी

  • 28 Mar 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सार्क, एसएएसईसी, ऑपरेशन कैक्टस, मिशन सागर, ग्रेटर मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट।

मेन्स के लिये:

भारत-मालदीव संबंध, भारत और उसके पडोसी, द्विपक्षीय समूह और समझौते।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री द्वारा मालदीव की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एन्फोर्समेंट (National College for Policing and Law Enforcement- NCPLE) का उद्घाटन किया गया।

  • द्वीपीय राष्ट्र मालदीव के अड्डू शहर में एनसीपीएलई भारत की सबसे बड़ी वित्तपोषित परियोजनाओं में से एक है।  

Maldives

प्रमुख बिंदु 

यात्रा की मुख्य विशेषताएंँ:

  • नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एन्फोर्समेंट (NCPLE): इस प्रशिक्षण अकादमी का एक उद्देश्य हिंसक उग्रवाद की चुनौतियों का समाधान करना और कट्टरपंथ को रोकना है।
    • इससे इन मुद्दों से निपटने में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
    • घरेलू स्तर पर यह प्रशिक्षण अकादमी कानून प्रवर्तन क्षमताओं को मज़बूत करने और मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में मदद करेगी जो देश (मालदीव) में एक प्रमुख चिंता का विषय है।
  • प्रशिक्षण हेतु समझौता ज्ञापन: मालदीव पुलिस सेवा और भारत की सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी द्वारा प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण में सहयोग बढ़ाने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
    • भारत ने पुलिस अकादमी में मालदीव के लिये प्रशिक्षण स्लॉट/समूहों की संख्या बढ़ाकर आठ कर दी है।
  • अवसंरचना निर्माण हेतु सहायता: भारत का एक्ज़िम बैंक 61 पुलिस थानों, संभागीय मुख्यालयों, डिटेंशन सेंटर्स और बैरकों सहित पूरे मालदीव में पुलिस अवसंरचना सुविधाएंँ सृजित करने हेतु  40 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान कर रहा है।
  • अन्य परियोजनाएंँ: अड्डू रिक्लेमेशन एंड शोर प्रोटेक्शन प्रोजेक्ट (Addu Reclamation and Shore Protection Project) हेतु 80 मिलियन अमेंरिकी डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
    • अड्डू में एक ड्रग डिटॉक्सिफिकेशन एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (Drug Detoxification And Rehabilitation Centre ) का निर्माण भारत की मदद से किया गया है। यह सेंटर/केंद्र स्वास्थ्य, शिक्षा, मत्स्यपालन, पर्यटन, खेल और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में भारत द्वारा कार्यान्वित की जा रही 20 उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं में से एक है।

भारत-मालदीव संबंधों की वर्तमान स्थिति:

  • भू-सामरिक महत्त्व:
    • मालदीव, हिंद महासागर में एक टोल गेट:
      • इस द्वीप शृंखला के दक्षिणी और उत्तरी भाग में दो महत्त्वपूर्ण ‘सी लाइन्स ऑफ कम्युनिकेशन’ (Sea Lines Of Communication- SLOCs) स्थित हैं।
      • ये SLOC पश्चिम एशिया में अदन और होर्मुज़ की खाड़ी तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में मलक्का जलडमरूमध्य के बीच समुद्री व्यापार के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
      • भारत के विदेशी व्यापार का लगभग 50% और इसकी ऊर्जा आयात का 80% हिस्सा अरब सागर में इन SLOCs के माध्यम से होता है।
    • महत्त्वपूर्ण समूहों का हिस्सा:  इसके अलावा भारत और मालदीव दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) तथा दक्षिण एशिया उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (एसएएसईसी) के सदस्य हैं।
  • भारत और मालदीव के बीच सहयोग:
    • रक्षा सहयोग: दशकों से भारत ने मालदीव की मांग पर उसे तात्कालिक आपातकालीन सहायता पहुँचाई है। 
      • वर्ष 1988 में जब हथियारबंद आतंकवादियों ने राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गय्यूम सरकार के तख्तापलट की कोशिश की, तो भारत ने ऑपरेशन कैक्टस(Operation Cactus) के तहत पैराट्रूपर्स और नेवी जहाज़ों को भेजकर वैध सरकार को पुनः बहाल किया।
      • भारत और मालदीव एकुवेरिन(Ekuverin) नामक एक संयुक्त सैन्य अभ्यास का संचालन करते हैं।
      • कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव, जो भारत, श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस का एक समुद्री सुरक्षा समूह है, के तहत इन हिंद महासागरीय देशों के बीच समुद्री एवं सुरक्षा मामलों पर सहयोग स्थापित करना है।
        • कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की पाँचवीं बैठक के दौरान मॉरीशस को कॉन्क्लेव के नए सदस्य के रूप में शामिल किया गया था।
    • आपदा प्रबंधन: वर्ष 2004 में सुनामी और इसके एक दशक बाद मालदीव में पेयजल संकट कुछ अन्य ऐसे मौके थे जब भारत ने उसे आपदा सहायता पहुँचाई।
      •  मालदीव, भारत द्वारा अपने सभी पड़ोसी देशों को उपलब्ध कराई जा रही COVID-19 सहायता और वैक्सीन के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक रहा है।
      • COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के अवरुद्ध रहने के दौरान भी भारत ने मिशन सागर (SAGAR) के तहत मालदीव को महत्त्वपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति जारी रखी।
    • नागरिक संपर्क: मालदीव के छात्र भारत के शैक्षिक संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करते हैं और भारत द्वारा विस्तारित उदार वीज़ा-मुक्त व्यवस्था का लाभ लेते हुए मालदीव के मरीज़ उच्च कोटि की स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त करने के लिये भारत आते हैं।
    • आर्थिक सहयोग: पर्यटन, मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। वर्तमान में मालदीव कुछ भारतीयों के लिये एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और कई अन्य भारतीय वहाँ रोज़गार के लिये जाते हैं।
      • अगस्त 2021 में एक भारतीय कंपनी, ‘एफकॉन’ (Afcons) ने मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी बुनियादी अवसंरचना परियोजना- ग्रेटर मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) हेतु एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे।

भारत-मालदीव संबंधों में चुनौतियाँ और तनाव:  

  • राजनीतिक अस्थिरता: भारत की सुरक्षा और विकास पर मालदीव की राजनीतिक अस्थिरता का संभावित प्रभाव, एक बड़ी चिंता का विषय है।
    • गौरतलब है कि फरवरी 2015 में आतंकवाद के आरोपों में मालदीव के विपक्षी नेता मोहम्मद नशीद की गिरफ्तारी और इसके बाद के राजनीतिक संकट ने भारत की नेबरहुड पाॅलिसी के लिये वास्तव में एक कूटनीतिक संकट खड़ा कर दिया था।
  • कट्टरपंथ: मालदीव में पिछले लगभग एक दशक में इस्लामिक स्टेट (आईएस) जैसे आतंकवादी समूहों और पाकिस्तान स्थित मदरसों तथा जिहादी समूहों की ओर झुकाव वाले नागरिकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
    • यह पाकिस्तानी आतंकी समूहों द्वारा भारत और भारतीय हितों के खिलाफ आतंकवादी हमलों के लिये मालदीव के सुदूर द्वीपों को एक लॉन्च पैड के रूप में उपयोग करने की संभावना को जन्म देता है।
  • चीनी पक्ष: हाल के वर्षों में भारत के पड़ोस में चीन के सामरिक दखल में वृद्धि देखने को मिली है। मालदीव दक्षिण एशिया में चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (String of Pearls) रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरा है।
    • चीन-भारत संबंधों की अनिश्चितता को देखते हुए मालदीव में चीन की रणनीतिक उपस्थिति चिंता का विषय है।
    • इसके अलावा मालदीव ने भारत के साथ सौदेबाज़ी के लिये 'चाइना कार्ड' का उपयोग शुरू कर दिया है।

आगे की राह

  • यद्यपि भारत मालदीव का एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है, किंतु भारत को अपनी स्थिति पर संतुष्ट नहीं होना चाहिये और मालदीव के विकास के प्रति अधिक ध्यान देना चाहिये।
  • दक्षिण एशिया और आसपास की समुद्री सीमाओं में क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारत को हिंद-प्रशांत सुरक्षा क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिये। 
    • इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी स्पेस को भारत के समुद्री प्रभाव क्षेत्र में अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्तियों (विशेषकर चीन की) की वृद्धि की प्रतिक्रिया के रूप में विकसित किया गया है।
  • वर्तमान में 'इंडिया आउट' अभियान को सीमित आबादी का समर्थन प्राप्त है, लेकिन इसे भारत सरकार द्वारा समर्थन प्रदान नहीं किया जा सकता है।
    • यदि 'इंडिया आउट' के समर्थकों द्वारा उठाए गए मुद्दों को सावधानी से नहीं संभाला जाता है और भारत, मालदीव के लोगों को द्वीप राष्ट्र पर परियोजनाओं के पीछे अपने इरादों के बारे में प्रभावी ढंग से नहीं समझाता है, तो यह अभियान मालदीव में घरेलू राजनीतिक स्थिति को बदल सकता है।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न: निम्नलिखित में से द्वीपों का कौन सा युग्म '10 डिग्री चैनल' द्वारा एक-दूसरे से अलग होता है? (2014) 

(a) अंडमान और निकोबार 
(b) निकोबार और सुमात्रा 
(c) मालदीव और लक्षद्वीप 
(d) सुमात्रा और जावा 

उत्तर: (a) 

  • 10 डिग्री चैनल अंडमान द्वीप समूह को निकोबार द्वीप समूह से अलग करता है।
  • निकोबार और सुमात्रा 6 डिग्री चैनल द्वारा अलग होते हैं।
  • आठ डिग्री चैनल मिनिकॉय (लक्षद्वीप समूह का हिस्सा) और मालदीव के द्वीपों को अलग करता है।
  • इंडोनेशिया के जावा और सुमात्रा द्वीप सुंडा जलडमरूमध्य से अलग होते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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