बिम्सटेक देशों के राजदूतों के लिये वार्ता का प्रमुख बिंदु: एफटीए
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30-31 अगस्त को काठमांडू में बिम्सटेक (bimstec) देशों के नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे और उनमें से अधिकांश के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। साथ ही, यह उम्मीद जताई जा रही है कि बिम्सटेक देशों के लिये एफटीए वार्ता का प्रमुख बिंदु होगा।
प्रमुख बिंदु
- सात सदस्य देशों के दूतावासों ने कहा है कि बिम्सटेक क्षेत्र अभी "दूरदर्शिता की कमी" (“lack of visibility”) से पीड़ित है।
- यह वास्तव में निराशाजनक है कि अभी तक एफटीए को अंतिम रूप नहीं दिया गया है, जबकि इसके विषय में वर्ष 2004 में बातचीत शुरू हो गई थी।
बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation (BIMSTEC)
- एक उपक्षेत्रीय आर्थिक सहयोग समूह के रूप में बिम्सटेक (बांग्लादेश, भारत, म्याँमार, श्रीलंका और थाईलैंड तकनीकी और आर्थिक सहयोग) का गठन जून, 1997 में बैंकाक में किया गया था।
- वर्तमान में इसमें सात सदस्य हैं जिनमें दक्षिण एशिया से पाँच देश बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका तथा दक्षिण पूर्व एशिया से दो देश म्याँमार और थाईलैंड शामिल हैं।
- प्रथम बिम्सटेक सम्मेलन का आयोजन थाइलैंड द्वारा 30 जुलाई, 2004 को बैंकाक में किया गया था, जो बिम्सटेक के उप क्षेत्रीय समूह को नई दिशा देने वाली घटना थी।
- इस सम्मेलन में बिम्सटेक (बांग्लादेश, भारत, म्याँमार, श्रीलंका और थाईलैंड तकनीकी और आर्थिक सहयोग) का नाम बदलकर बिम्सटेक (बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल) रखा गया।
- इस संगठन की तात्कालिक प्राथमिकता अपने कार्यकलापों को समेकित करना तथा आर्थिक सहयोग के लिये इसे आकर्षक बनाना है।
- इसी संदर्भ में बांग्लादेश के उच्चायुक्त सैयद मुजेम अली ने कहा, "हमें अपने अंतर-क्षेत्रीय व्यापार को मौजूदा स्तर 7% से 21% तक बढ़ाने के लिये बिम्सटेक में एफटीए को शीघ्रता से लागू करने की ज़रूरत है।"
- साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि “हमें बिम्सटेक में दूरदर्शिता की कमी को दूर करने के लिये इसे उन क्षेत्रों में बढ़ाना चाहिये जहाँ एशियान, सार्क, एसएएसईसी जैसे कुछ अन्य क्षेत्रीय सहयोग समूह पहले से ही मौजूद हैं।"
- हालाँकि, भारत और श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की दिशा में पहले से ही सक्रिय हैं, लेकिन सभी सात देशों के लिये यह शायद इतना आसान नहीं है।
- किंतु हमें ध्यान रखना चाहिये कि वर्ष 2018 के अंत तक पूरी होने वाली 16 राष्ट्रों की क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) की वार्ता भी प्राथमिकता ले रही है।
- अतः आगामी शिखर सम्मेलन में इस क्षेत्र के "आतंकवाद और हिंसक अतिवाद" जैसे सुरक्षा मुद्दों सहित एफटीए वार्त्ता को बढ़ावा देने वाले आवश्यक मुद्दों पर बात किये जाने की भी उम्मीद है।
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भारत का पक्ष
- सीमापार आतंकवाद और उग्रवाद से मुकाबला करने के लिये भारत को ऐसे क्षेत्रीय संगठन की आवश्यकता है जिसके सदस्य देश आतंकवाद के मुद्दे पर वैचारिक रूप से एकमत हों।
- बिम्सटेक के माध्यम से भारत पड़ोसी देशों के साथ संपर्क बढ़ाकर अपने व्यापार को बढ़ा सकता है।
- इसके माध्यम से ब्लू-इकॉनमी को बढ़ावा दिया जा सकता है।
- इसके अलावा, नेपाल और भूटान जैसे स्थल-आबद्ध देशों के लिये बिम्सटेक के माध्यम से क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के पर्याप्त अवसर हैं।