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डेली न्यूज़


भारतीय अर्थव्यवस्था

निर्यात को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहन योजनाएँ

  • 10 Sep 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चालू खाता घाटा, मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम, RoDTEP

मेन्स के लिये:

निर्यात को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहन योजनाएँ एवं उनका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के तहत व्यापार के साथ-साथ सेवा निर्यात के लिये 56,027 करोड़ रुपए के लंबित दावों को जारी करने का निर्णय लिया है। 

  • अप्रैल-अगस्त, 2021 के लिये मर्चेंडाइज़ निर्यात लगभग 164 बिलियन डॉलर का था जो वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में 67 प्रतिशत तथा 2019-20 की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक था।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • ये लाभ 45,000 से अधिक निर्यातकों के बीच वितरित किये जाएंगे, जिसमें से लगभग 98 प्रतिशत MSME वर्ग के छोटे निर्यातक हैं।
    • विकसित देशों में भारतीय सामानों की बढ़ती मांग के बीच सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में 400 अरब डॉलर के व्यापारिक निर्यात को हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
    • निर्यातकों को निम्नलिखित योजनाओं के तहत प्रोत्साहन दिया जाएगा:
  • महत्त्व:
    • विदेशी मुद्रा लाने में मदद:
      • एक निर्यातक राष्ट्र के रूप में चीन की सफलता उसके निर्माताओं को विदेशी बाज़ारों के लिये विशेष रूप से उत्पादन करने हेतु सरकारी प्रोत्साहन (भारी कर छूट सहित) की एक विस्तृत शृंखला प्राप्त करने में निहित है।
    • कम चालू खाता घाटा:
      • प्रोत्साहन योजनाओं से चालू खाता घाटे को कम करने में मदद मिलेगी, जो कि उस घाटे का कारण है जब कोई देश निर्यात से अधिक आयात करता है।
      • पिछले एक दशक में भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी का औसतन 2.2% रहा है (जुलाई-सितंबर 2020 में लगभग 15 बिलियन डॉलर)।
    • तरलता:
      • यह लाभ व्यापारिक क्षेत्रों (कृषि और संबद्ध क्षेत्रों, ऑटो और ऑटो घटकों) को नकदी प्रवाह बनाए रखने एवं अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में निर्यात मांग को पूरा करने में मदद करेगा, जिसमें इस वित्तीय वर्ष में तेज़ी से सुधार हो रहा है।

निर्यात प्रोत्साहन योजनाएंँ

  • भारत से पण्य वस्तु निर्यात योजना:
    • MEIS को विदेश व्यापार नीति (FTP) 2015-20 में पेश किया गया था। इसके तहत सरकार उत्पाद और देश के आधार पर शुल्क लाभ प्रदान करती है।
    • इस योजना में पुरस्कार के तहत देय फ्री-ऑन-बोर्ड वेल्यू (2%, 3% और 5% का) के प्रतिशत के रूप में दी जाती है तथा MEIS  ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप को स्थानांतरित किया जा सकता है या मूल सीमा शुल्क सहित कई कार्यों के भुगतान हेतु उपयोग किया जा सकता है।
  • भारत योजना से सेवा निर्यात:
    • इसे भारत की विदेश व्यापार नीति 2015-2020 के तहत अप्रैल 2015 में 5 वर्षों के लिये  लॉन्च किया गया था।
      • इससे पहले वित्तीय वर्ष 2009-2014 के लिये इस योजना को भारत योजना (SFIS योजना) से सेवा के रूप में नामित किया गया था।
    • इसके तहत वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा भारत में स्थित सेवा निर्यातकों को भारत से सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
  • निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (RoDTEP)
    • यह भारत में निर्यात बढ़ाने में मदद करने हेतु जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के लिये पूरी तरह से स्वचालित मार्ग है।
      • ITC कच्चे माल, उपभोग्य सामग्रियों, वस्तुओं या सेवाओं की खरीद पर दिये जाने वाले कर पर  प्रदान किया जाता है जिसका उपयोग वस्तुओं या सेवाओं के निर्माण में किया जाता था। यह दोहरे कराधान और करों के व्यापक प्रभाव से बचने में मदद करता है।
    • इसे जनवरी 2021 में  MEIS  जो विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप नहीं था, के स्थान पर शुरू किया गया था। 
    • विभिन्न क्षेत्रों के लिये टैक्स रिफंड दरें 0.5% से 4.3% तक होती हैं।
    • छूट का दावा माल ढुलाई के प्रतिशत के रूप में निर्यात की बोर्ड वेल्यू पर करना होगा।
  • राज्य एवं केंद्रीय करों और लेवी की छूट
    • मार्च 2019 में घोषित RoSCTL को एम्बेडेड स्टेट (Embedded State) और केंद्रीय ज़िम्मेदारियों (Central Duties) तथा उन करों के लिये पेश किया गया था जो माल एवं सेवा कर (GST) के माध्यम से वापस प्राप्त नहीं होते हैं।
    • यह केवल कपड़ों और बने हुए सामान के लिये उपलब्ध था। इसे कपड़ा मंत्रालय द्वारा पेश किया गया था।
    • इससे पहले यह राज्य लेवी के लिये छूट (ROSL) थी।

स्रोत- पी.आई.बी.

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