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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अफगानिस्तान के लिये मानवीय ट्रस्ट फंड: OIC

  • 21 Dec 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC), मानवीय ट्रस्ट फंड, UN द्वारा ट्रस्ट फंड, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक, यूनाइटेड नेशंस (UN), इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक

मेन्स के लिये:

अफगानिस्तान में इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की भूमिका, OIC के साथ भारत के संबंध।

चर्चा में क्यों?

इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के विदेश मंत्रियों की एक बैठक में अफगानिस्तान में बढ़ते आर्थिक संकट को दूर करने के लिये एक मानवीय ट्रस्ट फंड स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की गई, इस आर्थिक संकट की वजह से सर्दियों में लाखों लोगों को भूख का सामना करना पड़ा है।

  • यह बैठक अमेरिका समर्थित सरकार के गिरने के बाद से अफगानिस्तान पर सबसे बड़ा सम्मेलन है।
  • जुलाई 2021 में भारत ने पाकिस्तान और भारत के बीच बातचीत में सहायता के लिये OIC के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

प्रमुख बिंदु

  • मानवीय ट्रस्ट फंड
    • अन्य समूहों के साथ समन्वय में अफगानिस्तान को सहायता प्रदान करने के लिये इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक के तहत कोष की स्थापना की जाएगी।
    • अफगानिस्तान को अपने वित्तीय संसाधनों तक पहुँच की अनुमति देना उसके आर्थिक पतन को रोकने के लिये महत्त्वपूर्ण होगा और कहा कि अफगानिस्तान के बंद केंद्रीय बैंक भंडार में से अरबों डॉलर को निकालने के लिये यथार्थवादी रास्ते तलाशे जाने चाहिये।
      • बैठक में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान के साथ-साथ अफगान शरणार्थियों को शरण देने वाले मुख्य देशों को तत्काल और निरंतर मानवीय सहायता प्रदान करने का भी आह्वान किया गया।
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा ट्रस्ट फंड:
    • संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने अगस्त में तालिबान के अधिग्रहण के बाद से अफगानिस्तान के बंद केंद्रीय बैंक भंडार से अरबों डॉलर निष्कासित करने वाली प्रणाली के माध्यम से सीधे अफगानों को तत्काल आवश्यक नकदी प्रदान करने के लिये एक विशेष ट्रस्ट फंड की स्थापना की है।
    • इसे अफगान परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था ताकि वे आगामी सर्दियों में अपनी मातृभूमि में जीवित रह सके।
    • जर्मनी इस फंड में पहला योगदानकर्त्ता है। उसने इसके लिये 50 मिलियन यूरो (USD58 मिलियन) देने की प्रतिबद्धता ज़ाहिर की।

इस्लामिक सहयोग संगठन’ (OIC): 

  • परिचय:
    • कुल 57 देशों की सदस्यता के साथ यह संयुक्त राष्ट्र (UN) के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है।
    • यह संगठन दुनिया भर में मुस्लिम जगत की सामूहिकता का प्रतिनिधित्व करता है। यह दुनिया के विभिन्न देशों के लोगों के बीच अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव की भावना को बढ़ावा देने के साथ ही दुनिया के मुस्लिम समुदायों के हितों की रक्षा एवं संरक्षण का प्रयास करता है।
    • इसका गठन सितंबर 1969 में मोरक्को के रबात में हुए ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के दौरान किया गया था।
    • मुख्यालय: जेद्दाह (सऊदी अरब)

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  • एक संगठन के रूप में OIC के साथ भारत का संबंध:
    • वर्ष 2018 में विदेश मंत्रियों के 45वें सत्र के शिखर सम्मेलन में मेजबान बांग्लादेश द्वारा सुझाव दिया गया कि भारत में विश्व की 10% से अधिक मुस्लिम आबादी निवास करती है, अत: भारत को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया जाना चाहिये लेकिन पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव का विरोध किया।
    • वर्ष 2019 में भारत ने OIC के  विदेश मंत्रियों की बैठक में "गेस्ट ऑफ ऑनर" के रूप में पहली बार अपनी उपस्थिति दर्ज की।
      • OIC की इस बैठक में पहली बार भारत को आमंत्रित किये जाने को भारत के लिये एक कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया, विशेष रूप से ऐसे समय में जब पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के साथ भारत का तनाव बढ़ गया था।
  • OIC सदस्य देशों के साथ भारत के संबंध:

इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक:

  • इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक के बारे में:
    • दिसंबर 1973 में जेद्दा में आयोजित मुस्लिम देशों के वित्त मंत्रियों के सम्मेलन में की गई घोषणा के अनुसरण में इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक की स्थापना एक अंतर्राष्ट्रीय  वित्तीय संस्थान के रूप में की गई तथा बैंक द्वारा अक्तूबर 1975 से औपचारिक रूप से  कार्य शुरू किया गया।
    • बैंक का उद्देश्य सदस्य देशों और मुस्लिम समुदायों के आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति को व्यक्तिगत रूप से और साथ ही संयुक्त रूप से शरीयत के सिद्धांतों अर्थात्  इस्लामिक कानून के अनुसार बढ़ावा देना है।
    • बैंक का प्रधान कार्यालय सऊदी अरब के जेद्दा में अवस्थित है।
  • कार्य:
    • बैंक के कार्यों में आर्थिक और सामाजिक विकास के लिये विभिन्न माध्यमों से सदस्य देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के अलावा इक्विटी पूंजी में भाग लेना और उत्पादक परियोजनाओं एवं उद्यमों हेतु ऋण प्रदान करना है।
  • सदस्य
    • वर्तमान में 56 देश बैंक के सदस्य हैं।
    • सदस्यता के लिये मूल शर्त यह है कि संभावित सदस्य देश को OIC का सदस्य होना चाहिये, बैंक की पूंजी में योगदान करना चाहिये और उन  नियमों एवं शर्तों को स्वीकार करने के लिये तैयार होना चाहिये जिनका निर्धारण OIC बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा निर्धारित किया गया हो।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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