हनी एफपीओ कार्यक्रम: नफेड | 28 Nov 2020
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India Limited) के हनी किसान उत्पादक संगठन (FPO-Farmer Producer Organisation) कार्यक्रम का उद्घाटन किया है।
प्रमुख बिंदु
- एक उत्पादक संगठन (PO-Producer Organisation) प्राथमिक उत्पादकों (किसान, दूध उत्पादक, मछुआरे, बुनकर, ग्रामीण कारीगर, शिल्पकार आदि) द्वारा गठित एक क़ानूनी इकाई है।
- FPO, PO का एक प्रकार है, जिसमें किसान सदस्य होते हैं।
- मधुमक्खी पालन (Apiculture) का अभिप्राय मधुमक्खियों को नियंत्रित करने और उन्हें संभालने की मानवीय गतिविधि से होता है।
- यह कार्यक्रम FPO के गठन और संवर्द्धन के तहत शुरू किया गया है।
- यह 10,000 नए FPO को बनाने के लिये एक नई केंद्रीय योजना है।
- इसके तहत, राष्ट्रीय परियोजना प्रबंधन सलाहकार और फंड मंज़ूरी समिति (National Level Project Management Advisory and Fund Sanctioning Committee) ने सभी कार्यान्वयन एजेंसियों को 2020-21 के लिये FPO क्लस्टर आवंटित किये थे।
- प्रारंभ में लघु किसान कृषि-व्यवसाय संघ (Small Farmers Agri-business Consortium), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (National Cooperative Development Corporation) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD-National Bank for Agriculture and Rural Development) FPO को बनाने और बढ़ावा देने के लिये तीन कार्यान्वयन एजेंसियाँ होंगी।
- NAFED को चौथी राष्ट्रीय कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है।
- यदि राज्य चाहें तो कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग (Department of Agriculture, Cooperation and Farmer’s Welfare) के परामर्श से अपनी कार्यान्वयन एजेंसी को भी नामित कर सकते हैं।
- FPO को समूह आधारित व्यावसायिक संगठनों (Cluster Based Business Organizations) द्वारा विकसित किया जाएगा।
- NAFED पाँच राज्यों पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में मधुमक्खी पालकों के लिये FPO स्थापित करने में मदद करेगा
- पहला हनी FPO मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और हनी मिशन (National Beekeeping and Honey Mission) के तहत पंजीकृत किया गया है।
लाभ:
- वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन में कौशल उन्नयन।
- शहद और संबद्ध मधुमक्खी पालन उत्पादों जैसे मधुमक्खी के मोम, प्रोपोलिस, शाही जेली, मधुमक्खी जहर आदि के प्रसंस्करण हेतु अवसंरचनात्मक सुविधाओं का विकास।
- गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं द्वारा गुणवत्ता उन्नयन।
- संग्रह, भंडारण, बॉटलिंग और विपणन केंद्रों में सुधार करके बेहतर आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन।
- FPO का प्रचार और गठन कृषि को आत्मनिर्भर कृषि में बदलने के लिये पहला कदम है।
मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा अन्य प्रयास:
- सरकार किसानों की आय को दोगुना करने और आदिवासी उत्थान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है।
- सरकार ने आत्मनिर्भर अभियान के तहत मधुमक्खी पालन क्षेत्र में 500 करोड़ रु. का आवंटन किया।
- चलती-फिरती मधुवाटिका (Apiary on Wheels):
- यह मधुमक्खियों को पालने एवं उनके बक्सों को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिये खादी और ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission- KVIC) की एक अनूठी पहल है।
- राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (National Bee Board) ने NBHM के हिस्से के रूप में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये चार मॉड्यूल बनाए हैं।
- इसके तहत 30 लाख किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया गया है साथ में उन्हें सरकार द्वारा वित्तीय सहायता भी दी जा रही है।
- मिनी मिशन-1 और मिनी मिशन-2 इस मिशन के तहत योजनाएँ हैं।
- सरकार ने मीठी क्रांति (Sweet Revolution) के भाग के रूप में NBHM का शुभारंभ किया।
- मधुमक्खी पालन और इससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2016 में 'मीठी क्रांति' को शुरू किया गया था।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग
(Khadi and Village Industries Commission):
- खादी और ग्रामोद्योग आयोग 'खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम-1956' के तहत एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है।
- यह भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of Micro, Small & Medium Enterprises) के अंतर्गत आने वाली एक मुख्य संस्था है।
- इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ भी आवश्यक हो अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर खादी एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना तथा विकास के लिये योजनाएँ बनाना, उनका प्रचार-प्रसार करना तथा सुविधाएँ एवं सहायता प्रदान करना है।