10,000 FPOs का गठन और संवर्द्धन | 25 Apr 2022
प्रिलिम्स के लिये:किसान उत्पादक संगठन, क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठन, केंद्रीय क्षेत्र की योजना। मेन्स के लिये:सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, कृषि विपणन, कृषि मूल्य निर्धारण, FPOs के गठन और संवर्द्धन योजना का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के गठन और संवर्द्धन की केंद्रीय क्षेत्र की योजना के तहत क्लस्टर आधारित व्यापार संगठन (CBBOs) के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।
10,000 FPOs के गठन और संवर्द्धन की योजना:
- शुभारंभ:
- फरवरी, 2020 में चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) में 6865 करोड़ रुपए के बजटीय प्रावधान के साथ योजना का शुभारंभ किया गया।
- परिचय:
- वर्ष 2020-21 में FPO के गठन के लिये 2200 से अधिक एफपीओ उत्पादन क्लस्टर आवंटित किये गए हैं।
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ (IAs) प्रत्येक FPO को 5 वर्षों की अवधि के लिये पंजीकृत करने तथा व्यावसायिक सहायता प्रदान करने हेतु क्लस्टर-आधारित व्यावसायिक संगठनों (CBBOs) को शामिल कर रही हैं।
- CBBOs, FPO के प्रचार से संबंधित सभी मुद्दों हेतु संपूर्ण जानकारी का एक मंच होगा।
- वित्तीय सहायता:
- 3 वर्ष की अवधि हेतु प्रति FPO के लिये 18.00 लाख रुपए का आवंटन।
- FPO के प्रत्येक किसान सदस्य को 2 हज़ार रुपए (अधिकतम 15 लाख रुपए प्रति FPO) का इक्विटी अनुदान प्रदान किया जाएगा।
- FPO को संस्थागत ऋण सुलभता सुनिश्चित करने के लिये पात्र ऋण देने वाली संस्था से प्रति FPO 2 करोड़ रुपए तक की ऋण गारंटी सुविधा का प्रावधान किया गया है।
- महत्त्व:
- किसान की आय में वृद्धि:
- यह किसानों के खेतों या फार्म गेट से ही उपज की बिक्री को बढ़ावा देगा जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
- इससे आपूर्ति शृंखला छोटी होने के परिणामस्वरूप विपणन लागत में कमी आएगी जिससे किसानों को बेहतर आय प्राप्त होगी।
- रोज़गार सृजन:
- यह ग्रामीण युवाओं को रोज़गार के अधिक अवसर प्रदान करेगा तथा फार्म गेट के निकट विपणन और मूल्य संवर्द्धन हेतु बुनियादी ढांँचे में अधिक निवेश को प्रोत्साहित करेगा।
- कृषि को व्यवहार्य बनाना:
- यह भूमि को संगठित कर खेती को अधिक व्यवहार्य बनाएगा।
- किसान की आय में वृद्धि:
- प्रगति:
- योजना के तहत 5.87 लाख से अधिक किसानों को जोड़ा गया है।
- लगभग 3 लाख किसानों को FPOs के शेयरधारकों के रूप में पंजीकृत किया गया है।
- किसान सदस्यों द्वारा इक्विटी योगदान 36.82 करोड़ रुपए है।
- जारी किये गए इक्विटी अनुदान सहित FPOs का कुल इक्विटी आधार 50 करोड़ रुपए है।
किसानों के लिये अन्य पहल पहलें:
- सतत् कृषि के लिये राष्ट्रीय मिशन।
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना।
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना।
- पोषक तत्त्वों पर आधारित उर्वरक सब्सिडी।
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना।
- परंपरागत कृषि विकास योजना।
किसान उत्पादक संगठन (FPOs):
- FPOs, किसान-सदस्यों द्वारा नियंत्रित स्वैच्छिक संगठन हैं, FPOs के सदस्य इसकी नीतियों के निर्माण और निर्णयन में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
- FPOs की सदस्यता लिंग, सामाजिक, नस्लीय, राजनीतिक या धार्मिक भेदभाव के बिना उन सभी लोगों के लिये खुली होती है जो इसकी सेवाओं का उपयोग करने में सक्षम हैं और सदस्यता की ज़िम्मेदारी को स्वीकार करने के लिये तैयार हैं।
- गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कुछ अन्य राज्यों में FPOs ने उत्साहजनक परिणाम दिखाए हैं तथा इनके माध्यम से किसान अपनी उपज से बेहतर आय प्राप्त करने में सफल रहे हैं।
- उदाहरण के लिये राजस्थान के पाली ज़िले में आदिवासी महिलाओं ने एक उत्पादक कंपनी का गठन किया और इसके माध्यम से उन्हें शरीफा/कस्टर्ड एप्पल के उच्च मूल्य प्राप्त हो रहे हैं।
- FPOs को आमतौर पर संस्थानों/संसाधन एजेंसियों (आरए) को बढ़ावा देकर निर्मित किया जाता है।
- लघु किसान कृषि व्यवसाय संघ (Small Farmers’ Agribusiness Consortium- SFAC) FPOs को बढ़ावा देने के लिये सहायता प्रदान कर रहा है।
- संसाधन एजेंसियांँ एफपीओ को बढ़ावा देने और उनका पोषण करने के लिये नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) जैसे संस्थानोंऔर एजेंसियों से उपलब्ध सहायता का लाभ उठाती हैं।
आगे की राह:
- CBBOs की भूमिका FPOs को मज़बूत करने की होनी चाहिये ताकि किसानों द्वारा उनका उपयोग किया जा सके।
- FPO केवल एक कंपनी मात्र नहीं है, यह किसानों के लाभ का एक समूह है। अधिक-से-अधिक किसानों को FPOs में शामिल होना चाहिये।
- भारतीय कृषि में छोटे और सीमांत किसानों का वर्चस्व है जिनकी औसत भूमि जोत 1.1 हेक्टेयर से कम है।
- ये छोटे और सीमांत किसान जो कुल जोत के 86 प्रतिशत से अधिक हैं, उत्पादन और पोस्ट-प्रोडक्शन परिदृश्य दोनों में ज़बरदस्त चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
- ऐसी ही चुनौतियों का समाधान करने और किसानों की आय बढ़ाने हेतु एफपीओ के गठन के माध्यम से किसान उत्पादकों का समूहीकरण बहुत महत्त्वपूर्ण है।