महत्त्वपूर्ण संस्थान
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग
- 25 May 2021
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) का 12वाँ वार्षिक दिवस (20 मई को) मनाया गया।
प्रमुख बिंदू
आयोग के बारे में:
- सांविधिक निकाय:
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग एक सांविधिक निकाय है जो प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के उद्देश्यों को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- CCI की स्थापना केंद्र सरकार द्वारा 14 अक्तूबर, 2003 को की गई थी, लेकिन इसने 20 मई, 2009 से पूरी तरह से कार्य करना शुरू किया।
- CCI की संरचना:
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के अनुसार, आयोग में एक अध्यक्ष और छह सदस्य होते हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
CCI का गठन:
- CCI की स्थापना प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत की गई थी:
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2007 को प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 में संशोधन के बाद अधिनियमित किया गया था, जिसके कारण CCI और प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय अधिकरण की स्थापना हुई।
- सरकार ने 2017 में प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (COMPAT) को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal- NCLAT) में बदल दिया।
- सरकार ने 2017 में प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (COMPAT) को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal- NCLAT) में बदल दिया।
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2007 को प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 में संशोधन के बाद अधिनियमित किया गया था, जिसके कारण CCI और प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय अधिकरण की स्थापना हुई।
CCI की भूमिका और कार्य:
- प्रतिस्पर्द्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले अभ्यासों को समाप्त करना, प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना और उसे जारी रखना, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना तथा भारतीय बाज़ारों में व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग अपने उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु निम्नलिखित उपाय करता है:
- उपभोक्ता कल्याण: उपभोक्ताओं के लाभ और कल्याण के लिये बाज़ारों को कार्यसक्षम बनाना।
- अर्थव्यवस्था के तीव्र तथा समावेशी विकास एवं वृद्धि के लिये देश की आर्थिक गतिविधियों में निष्पक्ष और स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करना।
- आर्थिक संसाधनों के कुशलतम उपयोग के उद्देश्य से प्रतिस्पर्द्धा नीतियों को लागू करना।
- क्षेत्रीय नियामकों के साथ प्रभावी संबंधों व अंतःक्रियाओं का विकास व संपोषण ताकि प्रतिस्पर्द्धा कानून के साथ क्षेत्रीय विनियामक कानूनों का बेहतर संरेखण/तालमेल सुनिश्चित हो सके।
- प्रतिस्पर्धा के पक्ष में समर्थन को प्रभावी रूप से आगे बढ़ाना और सभी हितधारकों के बीच प्रतिस्पर्द्धा के लाभों को लेकर सूचना का प्रसार करना ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्द्धा की संस्कृति का विकास तथा संपोषण किया जा सके।
CCI की आवश्यकता:
- मुक्त उद्यम को बढ़ावा देने के लिये: आर्थिक स्वतंत्रता और हमारे मुक्त उद्यम प्रणाली के संरक्षण के लिये प्रतिस्पर्द्धा महत्त्वपूर्ण है।
- बाज़ार को विकृतियों से बचाने के लिये: प्रतिस्पर्द्धा कानून की आवश्यकता इसलिये उत्पन्न हुई क्योंकि बाज़ार विफलताओं एवं विकृतियों का शिकार हो सकता है और अपनी प्रधान स्थिति के दुरुपयोग जैसे प्रतिस्पर्द्धा विरोधी गतिविधियों का सहारा ले सकते हैं जो आर्थिक दक्षता और उपभोक्ता कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
- घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये: ऐसे युग में जहाँ अर्थव्यवस्थाएँ बंद अर्थव्यवस्थाओं से खुली अर्थव्यवस्थाओं में परिणत हो रही हैं, घरेलू उद्योगों की निरंतर व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिये एक प्रभावी प्रतिस्पर्द्धा आयोग का होना आवश्यक है जो संतुलन को बनाए रखते हुए उद्यमों को प्रतिस्पर्द्धा के लाभों का अवसर प्रदान करती है।