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आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र

  • 23 Mar 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय आयुष मिशन, स्वास्थ्य योजनाओं से संबंधित प्रश्न   

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आयुष्मान भारत के अंग आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (AYUSH Health & Wellness Centre-AYUSH WHC) को राष्ट्रीय आयुष मिशन (National AYUSH Mission-NAM) में शामिल करने की मंज़ूरी दे दी है

मुख्य बिंदु:   

  • केंद्र सरकार की इस योजना के तहत अगले पाँच वर्षों (वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2023-24) में देश भर में 12,500 आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (AYUSH WHC) का संचालन किया जाएगा
  • इस योजना में कुल 3399.35 करोड़ रुपए का खर्च आएगा, जिसमें से 2209.58 करोड़ रुपए केंद्र सरकार द्वारा और 1189.77 करोड़ रुपए राज्य सरकारों द्वारा दिये जाएंगे।
  • आयुष मंत्रालय (Ministry of Ayush) ने इस योजना के तहत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और अन्य संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 12,500 आयुष स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों के संचालन के लिये दो मॉडल प्रस्तावित किये हैं-
    • वर्तमान आयुष औषधालयों (लगभग 10,000) का उन्नयन (Upgrade) करना।
    • वर्तमान उप स्वास्थ्य केंद्रों (लगभग 2,500) का उन्नयन (Upgrade) करना।  

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत AYUSH WHC के संचालन का उद्देश्य:  

  • मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं के एकीकरण के माध्यम से आरोग्यकर, निवारक, पुनर्सुधारक और उपशामक स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित करते हुए आयुष सिद्धांतों और अभ्यासों पर आधारित एक संपूर्ण वेलनेस मॉडल को स्थापित करना।
  • आयुष सेवाओं के माध्यम से ज़रूरतमंद लोगों को उपचार के नए (सूचित) विकल्प उपलब्ध कराना।
  • आयुष सेवाओं के तहत रहन-सहन, योग, औषधीय पौधों आदि के बारे में सामुदायिक जागरूकता फैलाना और चयनित मामलों में आयुष परियोजना की क्षमता के अनुरूप दवाइयों का प्रावधान करना।

पृष्ठभूमि: 

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 में आयुष प्रणाली की क्षमताओं को एक एकीकृत स्वास्थ्य सेवा की बहुवादी व्यवस्था के तहत मुख्यधारा में लाने की बात पर बल दिया गया था।
  • भारत सरकार ने फरवरी 2018 में समग्र प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ मुहैया कराने के लिये मौजूदा उप स्वास्थ्य केंद्रों (Sub health Centres-SHCs) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (Primary Health Centres-PHCs) को बदलकर 1.5 लाख ‘स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों’ की स्थापना का निर्णय लिया था। 
  • केंद्र सरकार द्वारा यह भी निर्णय लिया गया कि वर्तमान में मौज़ूद कुल स्वास्थ्य उपकेंद्रों में से 10% का स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों के रूप में संचालन आयुष मंत्रालय द्वारा किया जाएगा।
  • इस प्रस्ताव का उद्देश्य आयुष सिद्धांतों और अभ्यासों के आधार पर एक समग्र कल्याण मॉडल स्थापित करना था, जिससे लोगों को स्वत: देखभाल के जरिये बीमारियों से बचने और अतिरिक्त खर्च बचाने में सक्षम बनाया जा सके तथा ज़रूरतमंद लोगों को उपचार का एक नया विकल्प मुहैया कराया जा सके।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत AYUSH WHC के संचालन के लाभ: 

  • कम खर्च में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की पहुँच में वृद्धि।
  • आयुष स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों के माध्यम से देश के दूरस्थ क्षेत्रों में भी ज़मीनी स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध की जा सकेंगी जिससे द्वितीयक (Secondary) और तृतीयक (Tertiary) स्वास्थ्य सेवाओं के दबाव में कमी लाने में सहायता प्राप्त होगी। 
  • लोगों में बीमारियों और उनसे बचाव के बारे में जन-जागरूकता और सेल्फ केयर (Self Care) मॉडल के कारण स्वास्थ्य पर होने वाले अतरिक्त खर्च में कटौती की जा सकेगी। 
  • नीति आयोग की योजना के तहत सतत् विकास लक्ष्य-3 (स्वास्थ्य और कल्याण) की प्राप्ति के लिये आयुष योजना का समायोजन। 
  • आयुष योजना के अंतर्गत एक मज़बूत स्वास्थ्य तंत्र की स्थापना के माध्यम से लक्षित क्षेत्रों में वैध संपूर्ण वेलनेस मॉडल को लागू करने में सहायता प्राप्त होगी।

निष्कर्ष: भारत 133 करोड़ (लगभग) की जनसंख्या के साथ विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। जबकि इतनी बड़ी आबादी पर डॉक्टर जनसंख्या (नागरिक) का अनुपात 0.62:1000 है, जो बहुत ही चिंताजनक आँकड़ा है। आयुष योजना के माध्यम से केंद्र सरकार ने भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली को एक नई ऊर्जा प्रदान करने का प्रयास किया है। भारत की इतनी बड़ी आबादी के लिये नए सिरे से उच्च कोटि के चिकित्सा तंत्र की स्थापना करना या कुशल चिकित्सकों की नियुक्ति करना बहुत आसान नहीं होगा। ऐसे में ज़मीनी स्तर पर पहले से स्थापित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को आयुष स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों में बदलकर और स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान कर एक बड़ी आबादी तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच सुनिश्चित की जा सकेगी। 

स्रोत: पीआईबी 

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