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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 31 Mar, 2022
  • 20 min read
विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 31 मार्च, 2022

जल जीवन मिशन

हाल ही में छह राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा एवं हिमाचल प्रदेश ने वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नल जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission- JJM)- हर घर जल के तहत वित्त वर्ष 2022-23 हेतु निष्पादन प्रोत्साहन अनुदान (Performance Incentive Grant) के लिये अर्हता प्राप्त कर ली है।

जल जीवन मिशन के तहत निष्पादन प्रोत्साहन अनुदान के प्रावधान ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा दिया है जो इस मिशन के तहत त्वरित कार्यान्वयन तथा सुनिश्चित जल आपूर्ति में सहायक साबित होगी। इस मिशन का उद्देश्य वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में घरेलू नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराना है। 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा के बाद से अब तक 6.10 करोड़ से अधिक घरों को नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराया जा चुका है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिये जल जीवन मिशन का बजट बढ़ा कर 60,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है।

डीबीटी भारत पोर्टल

हाल ही में डीबीटी भारत पोर्टल (DBT Bharat Portal) पर 53 विभिन्न मंत्रालयों की केंद्र प्रायोजित और केंद्रीय क्षेत्र की 313 योजनाओं को यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जोड़ा गया है कि लाभार्थियों को पोर्टल के तहत सटीक रूप से लक्षित किया जा सके। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefits Transfer- DBT) कार्यक्रम को 1 जनवरी, 2013 को सरकार की वितरण प्रणाली में सुधार करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। मूल रूप से यह योजना उस धन का दुरुपयोग रोकने के लिये है, जिसे किसी भी सरकारी योजना के लाभार्थी तक पहुँचने से पहले ही बिचौलिये तथा अन्य भ्रष्टाचारी हड़पने की जुगत में रहते हैं। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से जुड़ी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी बिचौलिये का कोई भूमिका नहीं है और यह योजना सरकार तथा लाभार्थियों के बीच सीधे चलाई जा रही है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार लाभार्थियों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत दी जाने वाली सब्सिडी का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में करती है। साथ ही लाभार्थियों को भुगतान उनके आधार कार्ड के ज़रिये किया जाता है।

श्यामजी कृष्ण वर्मा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 मार्च, 2022 को स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। श्यामजी कृष्ण वर्मा का जन्म 4 अक्तूबर, 1857 को गुजरात के कच्छ ज़िले के मांडवी शहर में हुआ था। वे संस्कृत और अन्य भाषाओं के विशेषज्ञ थे। वह बाल गंगाधर तिलक, स्वामी दयानंद सरस्वती और हर्बर्ट स्पेंसर से प्रेरित थे। उन्होंने लंदन में इंडियन होम रूल सोसाइटी, इंडिया हाउस और द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट की स्थापना की। श्यामजी कृष्ण वर्मा बॉम्बे आर्य समाज के पहले अध्यक्ष बने। उन्होंने वीर सावरकर को प्रेरित किया जो लंदन में इंडिया हाउस के सदस्य थे। वर्मा ने भारत में कई राज्यों के दीवान के रूप में भी कार्य किया। वह लंदन में बैरिस्टर थे, वर्ष 1905 में औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ लेख लिखने के लिये देशद्रोह के आरोप में इनर टेंपल (Inner Temple) द्वारा उनकी वकालत पर रोक लगा दी गई थी। अंग्रेज़ों द्वारा आलोचना किये जाने के बाद उन्होंने अपने समस्त कार्य इंग्लैंड से पेरिस स्थानांतरित कर लिये और अपना आंदोलन जारी रखा। प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के बाद वह स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा चले गए और अपना शेष जीवन वहीं बिताया। 30 मार्च, 1930 को उनका निधन हो गया।


विविध

शैक्षणिक उपयोगकर्त्ताओं के लिये ‘मैटलैब’ सॉफ्टवेयर तक पहुँच की अनुमति

देश में पहली बार भारत में अकादमिक उपयोगकर्त्ता भारतीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं इंजीनियरिंग सुविधाओं के मानचित्र (I-STEM) पोर्टल के माध्यम से बिना किसी शुल्क के मैटलैब सॉफ्टवेयर समूह का उपयोग कर सकेंगे।

मैटलैब:

  • मैटलैब मैथवर्क्स द्वारा विकसित एक ट्रेडमार्क युक्त बहु-प्रतिमान प्रोग्रामिंग भाषा और संख्यात्मक कंप्यूटिंग वातावरण है।
  • मैटलैब विश्व स्तर पर 4 मिलियन से अधिक उपयोगकर्त्ताओं द्वारा उपयोग किया जाता है। यह मैट्रिक्स जोड़तोड़, कार्यों और डेटा की प्लाटिंग, एल्गोरिदम के कार्यान्वयन, उपयोगकर्त्ता इंटरफेस के निर्माण तथा अन्य भाषाओं में लिखे गए कार्यक्रमों के साथ इंटरफेसिंग की अनुमति देता है।

यह कदम कैसे महत्त्वपूर्ण है?

  • भारत में कहीं से भी उपयोगकर्त्ता की सुविधा के अनुसार पहुँच प्रदान करने के लिये सॉफ्टवेयर समूह को I-STEM के क्लाउड सर्वर पर रखा गया है।
  • इस व्यवस्था से देश में कई छात्रों और शोधकर्त्ताओं को सहायता मिलने की उम्मीद है, विशेष रूप से उनको जो दूर-दराज़ के इलाके में रहते हैं तथा कम सुविधायुक्त संस्थानों से जुड़ें हैं। इससे सीखने के परिणामों में वृद्धि होगी और पूरे भारत में अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा।

I-STEM पोर्टल:

  • परिचय:
    • I-STEM, अनुसंधान और विकास (R&D) सुविधाओं को साझा करने के लिये एक राष्ट्रीय वेब पोर्टल है।
    • पोर्टल शोधकर्त्ताओं को उपकरणों के उपयोग के लिये स्लॉट तक पहुँचने के साथ-साथ परिणामों के विवरण, जैसे- पेटेंट, प्रकाशन और प्रौद्योगिकियों को साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।
    • जुलाई 2021 में I-STEM परियोजना को वर्ष 2026 तक पाँच साल के लिये विस्तार दिया गया था और इसने अतिरिक्त सुविधाओं के साथ अपने दूसरे चरण में प्रवेश किया।
  • लॉन्च:
    • इसे जनवरी 2020 में लॉन्च किया गया था और यह ‘प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सलाहकार परिषद’ (PM-STIAC) मिशन’ के तत्त्वावधान में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय की एक प्रमुख पहल है।
      • यह एक व्यापक परिषद है जो प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय को विशिष्ट विज्ञान और प्रौद्योगिकी डोमेन में स्थिति का आकलन करने, चुनौतियों को समझने, विशिष्ट हस्तक्षेप, भविष्य का रोडमैप विकसित करने और तदनुसार प्रधानमंत्री को सलाह देने की सुविधा प्रदान करती है।
  • लक्ष्य:
    • शोधकर्त्ताओं को संसाधनों से जोड़कर देश के R&D पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करना।
    • स्वदेशी रूप से प्रौद्योगिकियों एवं वैज्ञानिक उपकरणों के विकास को बढ़ावा देना और संबद्ध वेब पोर्टल के माध्यम से देश में मौजूदा सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं तक पहुँच को सक्षम करके शोधकर्त्ताओं को आवश्यक आपूर्ति एवं सहायता प्रदान करना।
  • चरण-I:
    • पहले चरण में पोर्टल को देश भर के 1050 संस्थानों के 20,000 से अधिक उपकरणों के साथ सूचीबद्ध किया गया था और इसमें 20,000 से अधिक भारतीय शोधकर्त्ता शामिल हैं।
  • चरण-II:
    • यह पोर्टल एक डिजिटल कैटलॉग के माध्यम से सूचीबद्ध स्वदेशी प्रौद्योगिकी उत्पादों की मेज़बानी करेगा। यह छात्रों एवं वैज्ञानिकों द्वारा अनुसंधान परियोजनाओं को शुरू करने के लिये आवश्यक चयनित R&D (अनुसंधान एवं विकास) सॉफ्टवेयर भी प्रदान करेगा।
    • यह पोर्टल विभिन्न ‘सिटी नॉलेज’ और ‘इनोवेशन क्लस्टर्स’ के लिये एक साझा STI (विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार) पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्मित सहयोग और साझेदारी के माध्यम से R&D बुनियादी अवसंरचना के प्रभावी उपयोग को बढ़ाने के लिये एक मंच भी प्रदान करेगा।
    • नए चरण को एक गतिशील डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में डिज़ाइन किया जाएगा जो विशेष रूप से 2 स्तरीय और 3 स्तरीय शहरों हेतु तथा उभरते स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के लिये अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देगा।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न. भारत सरकार की एक पहल ‘स्वयं’ (SWAYAM) का लक्ष्य क्या है?

(a) ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं-सहायता समूहों को प्रोत्साहित करना।
(b) युवा नव-प्रवासी उद्यमियों को वित्तीय तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराना।
(c) किशोरियों की शिक्षा एवं उनके स्वास्थ्य का संवर्द्धन करना।
(d) नागरिकों को वहन करने योग्य एवं गुणवता वाली शिक्षा निशुल्क उपलब्ध कराना।

उत्तर: (d)

  • स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव-लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स (स्वयं) एक वेब पोर्टल है जहाँ सभी प्रकार के विषयों पर व्यापक ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए जाते हैं।
  • यह एक भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ई-शिक्षा मंच है जो एक इंटरैक्टिव इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म में हाईस्कूल से स्नातकोत्तर स्तर तक पाठ्यक्रम प्रदान करने का प्रस्ताव करता है।
  • स्वयं (SWAYAM) के तहत IT प्लेटफॉर्म में लगभग 2,000 पाठ्यक्रम शामिल हैं।
  • यह देश भर में तीन करोड़ से अधिक छात्रों को सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करेगा।

स्रोत: पी.आई.बी.


विविध

आईओएनएस समुद्री अभ्यास 2022

हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) समुद्री अभ्यास 2022 (IMEX-22) का पहला संस्करण गोवा और अरब सागर में आयोजित किया गया था।

IMEX-22:

  • इस अभ्यास में आईओएनएस के 25 सदस्य देशों में से 15 ने भाग लिया।
  • इस अभ्यास का उद्देश्य सदस्य देशों की नौसेनाओं के बीच मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) में अंतर-संचालन को बढ़ाना था।
  • इस अभ्यास को क्षेत्रीय नौसेनाओं के लिये क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध सामूहिक रूप से सहयोग करने और प्रतिक्रिया देने हेतु एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाता है एवं यह क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करने का मार्ग प्रशस्त करता है।

हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी:

  • आईओएनएस वर्ष 2007 में स्थापित हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय राज्यों की नौसेनाओं के बीच सहयोग और सुरक्षा के लिये एक प्रमुख मंच है।
  • यह एक स्वैच्छिक पहल है जो क्षेत्रीय रूप से प्रासंगिक समुद्री मुद्दों पर चर्चा के लिये एक खुला और समावेशी मंच प्रदान करके हिंद महासागर क्षेत्र के तटवर्ती राज्यों की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग बढ़ाने का प्रयास करती है।
  • हिंद महासागर में 36 तटवर्ती राज्य हैं जिन्हें भौगोलिक रूप से निम्नलिखित चार उप-क्षेत्रों में बाँटा गया है।
    • दक्षिण एशियाई लिटोरल्स- बांग्लादेश, भारत, मालदीव, पाकिस्तान, सेशेल्स और श्रीलंका।
    • पश्चिम एशियाई लिटोरल्स- बहरीन, ईरान, इराक, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन।
    • पूर्वी अफ्रीकी लिटोरल्स- कोमोरोस, ज़िबूती, मिस्र, इरिटेरिया, फ्राँस, केन्या, मेडागास्कर, मॉरीशस, मोज़ाम्बिक, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, सूडान और तंजानिया।
    • दक्षिण पूर्व एशियाई और ऑस्ट्रेलियाई लिटोरल्स- ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्याँमार, सिंगापुर, थाईलैंड और तिमोर-लेस्ते।
  • इस फोरम ने क्षेत्रीय समुद्री मुद्दों पर चर्चा को सक्षम बनाया है, मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा दिया है और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सहयोग में उल्लेखनीय सुधार किया है।
  • यह नौसैनिक पेशेवरों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान को सुनिश्चित करता है, ताकि भविष्य की रणनीति निर्धारित की जा सके।

IOR से संबद्ध अन्य महत्त्वपूर्ण समूह/पहल:

  • कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन: भारत, श्रीलंका और मालदीव के त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा समूह के रूप में वर्ष 2011 में गठित ‘कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन’ (CSC) का विस्तार हो रहा है। इसने हाल ही में चौथे सदस्य के रूप में मॉरीशस को शामिल किया है।
  • हिंद महासागर रिम एसोसिएशन: इसकी स्थापना वर्ष 1997 में हुई थी। इसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र के भीतर क्षेत्रीय सहयोग और सतत् विकास को मज़बूत करना है।
  • हिंद महासागर आयोग: हाल ही में भारत को हिंद महासागर आयोग के पर्यवेक्षक के रूप में अनुमोदित किया गया है, हिंद महासागर आयोग एक अंतर-सरकारी संगठन है जो दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में बेहतर सागरीय-अभिशासन (Maritime Governance) की दिशा में कार्य करता है।
  • सागर पहल (Security and Growth for All in the Region-SAGAR): इसे वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। सागर पहल के माध्यम से भारत अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करने तथा उनकी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं के निर्माण में सहायता करना चाहता है।
  • एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर: एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर (AAGC) का विचार वर्ष 2016 में भारत और जापान द्वारा जारी संयुक्त घोषणा के दौरान विचार-विमश कर तैयार किया गया था।
  • AAGC को विकास और सहयोग परियोजनाओं, गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढाँचे, संस्थागत कनेक्टिविटी, क्षमता एवं कौशल तथा लोगों से लोगों की भागीदारी जैसे चार स्तंभों पर तैयार किया गया है।

स्रोत: पी.आई.बी.


विविध

सरिस्का बाघ अभयारण्य

हाल ही में सरिस्का बाघ अभयारण्य/टाइगर रिज़र्व (राजस्थान) के अंदर भीषण आग लग गई। समय पर सैटेलाइट चेतावनियों और रीयल-टाइम मोबाइल एप्लीकेशन आधारित अग्नि प्रतिक्रिया प्रणाली की उपलब्धता के बावजूद आग ने लगभग 10 वर्ग किमी. के जंगल को नष्ट कर दिया।

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने फरवरी 2022 में जारी अपनी वार्षिक फ्रंटियर्स रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि वनाग्नि की प्राकृतिक घटना अधिक खतरनाक हो गई है और अब बड़े क्षेत्रों को प्रभावित करती है।
  • भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार, 30 मार्च, 2022 तक भारत में कुल 381 जंगलों में आग लगने की सूचना मिली है। मध्य प्रदेश में सबसे ज़्यादा 133 आग की घटनाएँ दर्ज की गई हैं।

सरिस्का टाइगर रिज़र्व:

  • परिचय:
    • सरिस्का टाइगर रिज़र्व अरावली पहाड़ियों में स्थित है और राजस्थान के अलवर ज़िले का एक हिस्सा है।
    • सरिस्का को 1955 में एक वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था और बाद में 1978 में इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया, जिससे यह भारत के प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा बन गया।
      • कंकरवाड़ी किला रिज़र्व के केंद्र में स्थित है और कहा जाता है कि मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने अपने भाई दारा शिकोह को सिंहासन के उत्तराधिकार के संघर्ष में इस किले में कैद कर लिया था।
      • रिज़र्व में पांडवों से संबंधित पांडुपोल में भगवान हनुमान का एक प्रसिद्ध मंदिर भी है।
  • वनस्पति और जीव:
    • रिज़र्व वनस्पतियों और जीवों के मामले में समृद्ध है तथा रॉयल बंगाल टाइगर के लिये प्रसिद्ध है।
    • पार्क में तेंदुए, नीलगाय, सांभर, चीतल आदि भी मौजूद हैं।

राजस्थान के अन्य संरक्षित क्षेत्र:

  • डेजर्ट नेशनल पार्क, जैसलमेर
  • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर
  • रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान
  • सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, उदयपुर
  • राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के त्रिकोणीय जंक्शन पर)।
  • हाल ही में रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की तकनीकी समिति ने राजस्थान का चौथा बाघ अभयारण्य बनाने की अनुमति दी है।

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स्रोत: द हिंदू


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