लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    एशिया-अफ्रीका विकास गलियारा (AAGC) कौन से उद्देश्यों पर केन्द्रित है ? भारत के दृष्टिकोण से यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?

    09 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    एशिया-अफ्रीका विकास गलियारे का उद्देश्य अफ्रीका में गुणवत्तापूर्ण  आधारभूत संरचना का विकास करना है, जो डिजिटल संपर्क से युक्त हो | इस परियोजना के अंतर्गत भारत और जापान एक साथ मिलकर अफ्रीका, ईरान, श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया में कई बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर काम करेंगे |

    इसकी प्राथमिकताओं में विकास और सहयोग परियोजनाएँ, संस्थागत संपर्क क्षमता तथा कौशल विकास एवं मानव संसाधन प्रशिक्षण शामिल हैं। इसमें पूरे अफ्रीका में ई-नेटवर्क की स्थापना,बुनियादी सुविधाओं का निर्माण, हरित परियोजनाओं में निवेश,नवीकरणीय ऊर्जा का विकास, बिजली-खरीद, कृषि प्रसंस्करण, आपदा प्रबंधन में सहयोग,संयुक्त उद्यम परियोजनाओं और निजी क्षेत्र के वित्त पोषण को बनाए रखने के लिये क्षमता विकसित करना शामिल है।

    भारत के लिये इस गलियारे की प्रासंगिकता:-

    • भारत की इस पहल को चीन की महत्त्वाकांक्षी योजना ‘वन बेल्ट वन रोड’ प्रोजेक्ट को टक्कर देने के लिये भारत की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
    • अफ्रीका ही भविष्य में विकास का क्षेत्र बनने जा रहा है | जिस तरह गत 30-40 वर्षों  से विकास की संचालक शक्ति एशिया रहा है, उसी तरह अगले 30-40 वर्षों तक संचालक शक्ति (ड्राइविंग फोर्स ) अफ्रीका रहने वाला है | जिस तीव्रता से वहाँ की जनसंख्या बढ़ रही है, उससे यह तय है कि अगले 10-20 सालों में वहाँ  बुनियादी ढाँचे की भारी मांग होगी |
    • अफ्रीका, जो वस्तुएँ एवं सेवाएँ  भारत से सस्ते में प्राप्त कर सकता है, वही सामान उसे यूरोप और अमेरिका से महँगा मिलता है | अफ्रीकी देशों को सस्ती, उचित और अनुकूल प्रौद्योगिकी प्रदान करने में भारत अग्रणी देश है |
    • अफ्रीका में अनेक भारतीय कंपनियाँ कार्य कर रही हैं | इन कंपनियों को वहाँ की स्थानीय आवश्यकताओं की अच्छी जानकारी है | हमें इसका लाभ उठाना चाहिये| भारत उनकी आवश्यकताओं की वस्तुओं को यूरोप और अमेरिका की तुलना में सस्ते में बना सकता है | 

    एशिया-अफ्रीका विकास गलियारा कोई  एकदम से नया विचार नहीं है, बल्कि पिछले कई वर्षों से इस पर विचार चल रहा था|  निश्चित रूप से चीन की वन बेल्ट वन रोड में सक्रियता ने इस विचार को गति प्रदान कर दी है| चीन ने अफ्रीका में बहुत निवेश किया है| अतः भारत और जापान के पास अब अधिक समय नहीं है| दोनों देशों को कुछ विशेष क्षेत्रों की पहचान कर कार्य प्रारंभ कर देना चाहिये तथा उसके आधार पर इच्छुक भागीदारों के बीच जाकर इस पहल को रखना चाहिए| इससे इस परियोजना की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी| अफ्रीका में अनेकों संभावनाएँ हैं| हमें तेज़ी से कार्य करना होगा| अगर  अफ्रीका हमारे करीब आने को इच्छुक है, तो हमें भी उसका स्वागत करना चाहिये|

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2