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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 30 Dec, 2020
  • 15 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट: 30 दिसंबर, 2020

100वीं किसान रेल

100th Kisan Rail

हाल ही में प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से महाराष्ट्र के सोलापुर ज़िले के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक चलने वाली 100वीं “किसान रेल” (100th Kisan Rail) सेवा को हरी झंडी दिखाई।

Kisan-Rail-Yojana

प्रमुख बिंदु:

  • देश भर के किसानों तथा बाजारों को जोड़ने के लिये कृषि और किसानों को समर्पित पहली ’किसान रेलअगस्त 2020 में शुरू की गई थी।
  • सरकार ने देश की आपूर्ति शृंखला को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से करोड़ों रुपए का निवेश किया है, इसमें एक नया प्रयोग किसान रेल सेवा  है।
    • बजट 2020-21 में कृषि के आधुनिकीकरण संबंधी घोषणाएँ  की गई थीं, जिसमें किसान रेल सेवा और कृषि उड़ान योजना (Krishi Udaan scheme) की परिकल्पना की गई थी।
      • कृषि उत्पादों के परिवहन में किसानों की सहायता के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मार्गों पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) द्वारा कृषि उड़ान योजना की शुरुआत की गई थी ताकि उनकी लागत में सुधार किया जा सके।
      • इस योजना के अंतर्गत आधी सीटें किसानों को रियायती दरों पर प्रदान की जाएंगी तथा व्यवहार्यता फंडिंग के नाम से किसानों को एक निश्चित मात्रा में राशि प्रदान की जाएगी। यह राशि केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार दोनों द्वारा प्रदान की जाएगी।
  • कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न विभिन्न चुनौतियों के बावजूद, पिछले चार महीनों में 'किसान रेल' नेटवर्क का विस्तार हुआ है।
  • इससे पहले किसान रेल का परिचालन सप्ताह में केवल एक बार किया जा रहा था, लेकिन मांग में वृद्धि के कारण अब इसे सप्ताह में तीन बार चलाया जा रहा है।

महत्त्व:

  • यह प्रयोग देश के 80% छोटे और सीमांत किसानों के लिये विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होगा।
  • यह सेवा देश की शीत आपूर्ति शृंखला (Cold Supply Chain) को मज़बूत करते हुए भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था के लिये परिवर्तनकारी साबित होगी।
    • शीत भंडार/कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की कमी के चलते प्रायः किसानों को नुकसान होता था।
  • अब भारतीय किसान अपनी उपज को देश के भीतर दूर-दराज़ स्थानों तक पहुँचा सकते हैं और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच प्राप्त कर सकते हैं।
  • सरकार का मानना है कि संशोधित कृषि कानूनों के साथ किसान रेल सेवा कृषि उत्पादों की मांग और आपूर्ति में होने वाले उतार-चढ़ाव से किसानों को  बचाने में मदद करेगी।

मिशन सागर- III

Mission Sagar-III

मिशन सागर-III (Mission Sagar-III) के अंतर्गत भारतीय नौसेना का पोत ‘किल्टन’ (INS Kiltan) 29 दिसंबर, 2020 को ‘कंबोडिया के सिहानोकविले’ बंदरगाह पर पहुँच गया है।

Mission-Sagar-III

प्रमुख बिंदु:

  • भारतीय नौसैनिक जहाज़ कंबोडिया के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिये 15 टन मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) सामग्री लेकर पहुँचा है, जिसे कंबोडिया की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति (NDMC) को सौंप दिया जाएगा।
    • इससे पहले इस जहाज़ द्वारा मध्य वियतनाम के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिये 15 टन HADR सामग्री वितरित की गई थी।
  • मिशन सागर- III वर्तमान में चल रही कोविड-19 महामारी के दौरान मैत्रीपूर्ण देशों को भारत की HADR सहायता का हिस्सा है।
    • नवंबर 2020 में मिशन सागर- II के हिस्से के रूप में INS ऐरावत ने सूडान, दक्षिण सूडान, जिबूती और इरिट्रिया को खाद्य सहायता प्रदान की।
    • मिशन सागर (SAGAR) को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मॉरीशस यात्रा के दौरान वर्ष 2015 में नीली अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने हेतु शुरू किया गया था।
      • इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है।
      • इस कार्यक्रम का मुख्य सिद्धांत; सभी देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री नियमों और मानदंडों का सम्मान, एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता, समुद्री मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान तथा समुद्री सहयोग में वृद्धि इत्यादि है।
  • मिशन 'सागर' (Security And Growth for All in the Region- SAGAR) के दृष्टिकोण के अनुसार चलाया गया यह एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में भारत की स्थिति को दर्शाता है।
    • मिशन सागर इस बात पर बल देता है कि भारतीय नौसेना को एक सुरक्षा साझेदार के रूप में सबसे अधिक पसंद किया जाता है और यह किसी भी स्थिति में सहायता के लिये सबसे पहले आगे आने वाला संगठन है। 
  • यह मिशन आसियान देशों के महत्त्व को रेखांकित करने के अलावा दोनों देशों के मध्य मौजूदा आपसी संबंधों को मज़बूती प्रदान करता है।
    • कंबोडिया और वियतनाम आसियान के सदस्य राष्ट्र हैं।

INS किल्टन:

  • यह कमोर्ता-क्लास का पनडुब्बी-रोधी युद्धपोत है।
  • यह  विशाखापत्तनम में स्थित भारतीय नौसेना के पूर्वी नौसेना कमान का हिस्सा है।
  • INS किल्टन, INS सह्याद्री के साथ भारतीय नौसेना का नवीनतम स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित बहु-भूमिका वाला जहाज़ है।
    • इस युद्धपोत को भारी-भरकम टारपीडो के साथ ही एएसडब्लू रॉकेटों से लैस किया गया है। इसे अग्नि नियंत्रण प्रणाली, मिसाइल तैनाती रॉकेट, एडवांस इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर सिस्टम सोनार और रडार रेवती से भी लैस किया गया है।
    • इस जहाज़ में कम दूरी की सैम प्रणाली और एएसडब्लू हेलीकॉप्टर भी तैनात किये जा सकेंगे।

क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास:

  • वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया यह हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region- IOR) के लिये भारत की रणनीति का हिस्सा है।
  • SAGAR के माध्यम से भारत अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ गहरे आर्थिक और सुरक्षा सहयोग द्वारा अपनी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं के निर्माण में सहायता करना चाहता है।
  • इसके अलावा भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना चाहता है और IOR को समावेशी, सहयोगी एवं अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान सुनिश्चित करता है।
  • SAGAR की प्रासंगिकता तब सामने आती है जब इसे समुद्री क्षेत्र को प्रभावित करने वाली भारत की अन्य नीतियों जैसे- एक्ट ईस्ट पॉलिसी, प्रोजेक्ट सागरमाला, प्रोजेक्ट मौसम, ब्लू इकाॅनमी पर ध्यान केंद्रित करने आदि के साथ संयोजन के रूप में देखा जाता है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 दिसंबर, 2020

सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित मौसम विज्ञान केंद्र

हाल ही में केंद्रीय मंत्री डॉक्‍टर हर्षवर्धन ने लेह (लद्दाख) में बने मौसम विज्ञान केंद्र का वर्चुअल माध्‍यम से उद्घाटन किया। लेह का यह नया केंद्र भारत में सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित केंद्र होगा। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई लगभग 3,500 मीटर है। यद्यपि लद्दाख में केवल दो ही ज़िले (कारगिल और लेह) हैं, किंतु इसके बावजूद इस क्षेत्र में कई अलग-अलग सूक्ष्म जलवायु क्षेत्र जैसे- मैदानी इलाके, ठंडे रेगिस्तान, पहाड़ी क्षेत्र और अत्यधिक शुष्क स्थान आदि पाए जाते हैं। इन सभी सूक्ष्म जलवायु क्षेत्रों को विशिष्ट तथा स्थानीय मौसम संबंधी जानकारी की आवश्यकता होती है। अपने इस नए केंद्र के साथ भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) लद्दाख, विशेष रूप से लेह में राजमार्गों पर आवागमन, कृषि तथा रक्षा कर्मियों को मौसम संबंधी विशिष्ट सूचनाएँ उपलब्ध कराने में सक्षम होगा। स्थानीय लोगों के साथ-साथ यह नया मौसम विज्ञान केंद्र पर्यटन और आपदा प्रबंधन की दृष्टि से भी लाभदायक होगा, साथ ही यह लद्दाख के कृषि विभाग को मौसम के अनुरूप अपनी नीति तैयार करने में सहायता करेगा। भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र होने के नाते वैज्ञानिकों द्वारा इस केंद्र से भूकंपीय डेटा भी एकत्रित किया जाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस

कोरोना वायरस महामारी ने संक्रामक रोग के प्रकोप का पता लगाने और उसकी रोकथाम संबंधी प्रणाली में निवेश के महत्त्व को रेखांकित किया है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए 27 दिसंबर, 2020 को विश्व में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस का आयोजन किया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने सभी सदस्य राष्ट्रों तथा अन्य वैश्विक संगठनों से किसी भी महामारी के विरुद्ध वैश्विक साझेदारी के महत्त्व की वकालत करने के लिये प्रतिवर्ष 27 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस के रूप में चिह्नित करने का आह्वान किया है। इस दिवस का प्राथमिक लक्ष्य महामारी के संबंध में जागरूकता फैलाना और इसकी रोकथाम के लिये अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी के महत्त्व को रेखांकित करना है। ज्ञात हो कि मौजूदा कोरोना वायरस महामारी ने विश्व के अधिकांश देशों की स्वास्थ्य प्रणालियों में मौजूद कमियों को उजागर किया है, साथ ही इसके कारण आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में किये गए तमाम प्रयास भी कमज़ोर हो गए हैं, ऐसे में हमें ऐसी प्रणाली की आवश्यकता है जो विभिन्न प्रकार की महामारियों से निजात दिलाने में सक्षम हो।

देश का पहला पॉलीनेटर पार्क 

हाल ही में उत्तराखंड में नैनीताल ज़िले के हल्द्वानी में स्थापित भारत के पहले ‘पॉलीनेटर पार्क’ को आम जनता के लिये खोल दिया गया है। तकरीबन चार एकड़ क्षेत्र में फैले इस पॉलीनेटर पार्क में परागणकों (पॉलीनेटर) की तकरीबन 50 अलग-अलग प्रजातियाँ हैं, जिनमें- तितली, मधुमक्खी तथा अन्य कीट शामिल हैं। भारत के इस पहले ‘पॉलीनेटर पार्क’ का उद्देश्य विभिन्न परागणक प्रजातियों के संरक्षण को बढ़ावा देना, परागणकों के महत्त्व के बारे में आम जनता के बीच जागरूकता पैदा करना और इससे संबंधित विभिन्न विषयों पर वैज्ञानिक शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इस पार्क और इसके आसपास के क्षेत्रों में कीटनाशकों समेत सभी प्रकार के रसायनों के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। संपूर्ण विश्व में 1,200 फसलों की किस्मों समेत 180,000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ प्रजनन के लिये परागणकों (Pollinators) पर निर्भर हैं। 

आईएनएस सिंधुवीर

म्याँमार ने हाल ही में औपचारिक रूप से भारतीय पनडुब्बी- ‘आईएनएस सिंधुवीर’ को अपनी नौसेना में शामिल कर लिया है। ज्ञात हो कि भारत ने अक्तूबर माह में म्याँमार को सिंधुवीर पनडुब्बी प्रदान की थी। म्याँमार की नौसेना में इस पनडुब्बी को ‘UMS मिन्ये थेएनखातु’ के नाम से शामिल किया गया है और यह म्याँमार की नौसेना के बेड़े में पहली पनडुब्बी होगी। ज्ञात हो कि आईएनएस सिंधुवीर भारतीय नौसेना में वर्ष 1988 से अपनी सेवा दे रही है। ‘UMS मिन्ये थेएनखातु’ अथवा आईएनएस सिंधुवीर समुद्र में 300 मीटर की गहराई तक काम कर सकती है। भारत और म्याँमार बंगाल की खाड़ी में 725 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा साझा करते हैं। म्याँमार के साथ द्विपक्षीय संबंध मज़बूत बनाने के पीछे भारत की योजना एशिया में चीन की बढ़ती चुनौती से निपटना है। म्याँमार में चीन के दखल को रोकने के लिये भारत अपनी रणनीति पर काम कर रहा है।


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