प्रिलिम्स फैक्ट्स (30 Sep, 2023)



प्रतिभूति बॉण्ड

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में कुछ प्रमुख सामान्य बीमा कंपनियों जैसे न्यू इंडिया एश्योरेंस, SBI जनरल इंश्योरेंस आदि ने प्रतिभूति बॉण्ड जारी करने की अपनी योजना की घोषणा की है, लेकिन सहायक तत्त्वों की कमी के कारण कोई भी ऐसा करने में सक्षम नहीं है।

प्रतिभूति बॉण्ड:

  • परिचय:
    • एक प्रतिभूति बॉण्ड को उसके सरलतम रूप में किसी अधिनियम के अनुपालन, भुगतान या प्रदर्शन की गारंटी के लिये एक लिखित समझौते के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
    • यह त्री-पक्षीय समझौते वाला एक विशेष बीमा है। प्रतिभूति समझौते में तीन पक्ष होते हैं:
      • प्रधान: वह पक्ष जो बॉण्ड खरीदता है तथा वादे के अनुसार कार्य करने का दायित्व लेता है।
      • प्रतिभू: बीमा कंपनी अथवा प्रतिभूति कंपनी जो यह सुनिश्चित करती है कि प्रधान अपने दायित्वों को पूरा करेगा। यदि प्रधान वादे के अनुसार कार्य करने में विफल रहता है, तो प्रतिभू अनुबंध के अनुसार होने वाले नुकसान के लिये उत्तरदायी है।
      • बाध्यताकारी: वह पक्ष जिसे प्रतिभूति बॉण्ड की आवश्यकता होती है तथा अमूमन उसे लाभ मिलता है। अधिकांश प्रतिभूति बॉण्ड में बाध्यताकारी एक स्थानीय, राज्य अथवा संघीय सरकारी संगठन होता है।
    • बीमा कंपनी द्वारा ठेकेदार की ओर से परियोजना प्रदान करने वाली इकाई को प्रतिभूति बॉण्ड प्रदान किया जाता है
    • इससे ठेकेदारों को केवल बैंक प्रतिभूतियों पर निर्भर हुए बिना अपनी परियोजनाओं के वित्तीय समापन में सहायता मिलेगी।
  • उद्देश्य:
    • प्रतिभूति बॉण्ड का प्राथमिक उद्देश्य आपूर्तिकर्त्ताओं और काम के ठेकेदारों के लिये अप्रत्यक्ष लागत को कम करते हुए विकल्प प्रदान करना तथा बैंक गारंटी के प्रतिस्थापन के रूप में कार्य करना है।
  • लाभ:
    • प्रतिभूति बॉण्ड लाभार्थी को उन कार्यों या घटनाओं से बचाते हैं जो मूलधन के अंतर्निहित देनदारियों को खतरे में डालते हैं।
    • वे निर्माण कार्य अथवा सेवा अनुबंधों से लेकर लाइसेंसिंग और वाणिज्यिक उपक्रमों तक विभिन्न प्रकार के ज़िम्मेदारियों के प्रदर्शन की गारंटी प्रदान करते हैं।

अवसंरचनात्मक परियोजनाओं को गति प्रदान करने में भूमिका:

  • यह बॉण्ड प्रतिभूति अनुबंधों के लिये दिशानिर्देश स्थापित करने के निर्णय, बुनियादी ढाँचा क्षेत्र की तरलता और वित्तपोषण आवश्यकताओं का समाधान करने में सहायता करेगा।
  • यह बड़े, मध्यम और छोटे ठेकेदारों के लिये समान अवसर प्रदान करेगा।
  • प्रतिभूति बीमा व्यवसाय निर्माण परियोजनाओं के लिये बैंक गारंटी का विकल्प प्रदान करने में सहायता करेगा।
  • इससे कार्यशील पूंजी का कुशल उपयोग संभव हो सकेगा और निर्माण कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली संपार्श्विक संपत्ति की आवश्यकता कम हो जाएगी।
  • जोखिम संबंधी जानकारी साझा करने हेतु बीमाकर्त्ता वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर काम करेंगे।
    • इसलिये यह जोखिम पहलुओं पर समझौता किये बिना बुनियादी अवसंरचना के क्षेत्र में तरलता लाने में सहायता करेगा।

प्रतिभूति बाॅण्ड से संबंधित मुद्दे:

  • एक नई अवधारणा के रूप में प्रतिभूति बाॅण्ड काफी जोखिम भरा होता है और भारत में बीमा कंपनियों को अभी तक ऐसे व्यवसाय में जोखिम मूल्यांकन में विशेषज्ञता हासिल नहीं हुई है।
  • इसके अलावा मूल्य निर्धारण, डिफॉल्टिंग ठेकेदारों के विरुद्ध उपलब्ध सहायता और पुनर्बीमा विकल्पों पर कोई स्पष्टता नहीं है।
    • ये काफी महत्त्वपूर्ण विषय हैं और प्रतिभूति से संबंधित विशेषज्ञता एवं क्षमताओं के निर्माण में बाधा डाल सकते हैं तथा अंततः बीमाकर्त्ताओं को इस व्यवसाय में प्रवेश करने से रोक सकते हैं।
  • प्रतिभूति बाॅण्ड को व्यापक पुनर्बीमा समर्थन की आवश्यकता होती है और कोई भी प्राथमिक बीमाकर्त्ता उचित पुनर्बीमा बैकअप के बिना कोई पॉलिसी जारी नहीं कर सकता है।
  • भारत में प्रतिभूति बाॅण्ड जारीकर्त्ता को त्रिपक्षीय अनुबंधों को कानूनी रूप से लागू करने की स्थिति में होना चाहिये जो अनुपालन, भुगतान या प्रदर्शन की गारंटी देते हैं।
    • भारतीय अनुबंध अधिनियम और दिवाला एवं दिवालियापन संहिता अभी तक वित्तीय ऋणदाताओं के समान बीमाकर्ताओं के अधिकारों को मान्यता नहीं देती है तथा इस प्रकार बीमा कंपनियों के पास किसी भी डिफाॅल्ट के मामले में बैंकों की तरह वसूली का सहारा नहीं है।

 UPSC सिविल सेवा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखे जाने वाले 'आईएफसी मसाला बाॅण्ड' के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016) 

  1. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम, जो इन बाॅण्डों की पेशकश करता है, विश्व बैंक की एक शाखा है।
  2. वे रुपए में मूल्यवर्ग के बाॅण्ड हैं और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के लिये ऋण वित्तपोषण का एक स्रोत हैं।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिये: 

(a) केवल 1  
(b) केवल 2  
(c) 1 और 2 दोनों  
(d) न तो 1 और न ही 

उत्तर:(c)


मेन्स:

प्रश्न. वित्तीय संस्थानों व बीमा कंपनियों द्वारा की गई उत्पाद विविधता के फलस्वरुप उत्पादों व सेवाओं में परस्पर  व्यापन ने सेबी(SEBI) व इरडा (IRDA) नामक दोनों नियामक अभिकरणों के विलय के प्रकरण को प्रबल बनाया है, औचित्य सिद्ध कीजिये। (2013)


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 सितंबर, 2023

VOC पोर्ट के माध्यम से ग्रीन अमोनिया का आयात

हाल ही में तमिलनाडु में  V.O. चिदंबरनार बंदरगाह ने अपनी 'गो ग्रीन' पहल के हिस्से के रूप में पहली बार ग्रीन अमोनिया का आयात किया।

  • पारंपरिक ग्रे अमोनिया के उपयोग से हटकर परीक्षण के आधार पर ग्रीन सोडा ऐश का उत्पादन करने के लिये ग्रीन अमोनिया का उपयोग किया जाएगा।
  • यह बंदरगाह पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिये 'ग्रीन पोर्ट' पहल में अग्रणी रहा है।
  • हरित अमोनिया उत्पादन वह है, जहाँ अमोनिया बनाने की प्रक्रिया 100% नवीकरणीय और कार्बन-मुक्त होती है।
  • ग्रीन अमोनिया का उत्पादन जल के इलेक्ट्रोलिसिस से हाइड्रोजन और वायु से अलग नाइट्रोजन का उपयोग करके किया जाता है। फिर इन्हें हैबर प्रक्रिया (जिसे हैबर-बॉश भी कहा जाता है) में डाला जाता है, जो सभी टिकाऊ विद्युत द्वारा संचालित होती है।
  • V. O. चिदंबरनार पोर्ट ट्रस्ट, जिसे पहले तूतीकोरिन पोर्ट ट्रस्ट के नाम से जाना जाता था, भारत के प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। यह तमिलनाडु के थूथुकुडी में स्थित है। इस बंदरगाह को वर्ष1974 में एक प्रमुख बंदरगाह घोषित किया गया था।
    • यह तमिलनाडु का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह और भारत का चौथा सबसे बड़ा कंटेनर टर्मिनल है। बंदरगाह बर्थिंग, नेविगेशन, भंडारण और बंदरगाह सुरक्षा जैसी विभिन्न सुविधाएँ प्रदान करता है।

और पढ़ें…भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2022 का मसौदा,ग्रीन अमोनिया

सरना कोड

हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आदिवासियों के लिये सरना धार्मिक कोड को मान्यता देने का अनुरोध किया था। 

  • सरना कोड की उपेक्षा को लेकर चिंता जताई गई है, जो संविधान की पाँचवीं अनुसूची और छठी अनुसूची के तहत आदिवासी विकास नीतियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। 
  • सरना धर्म, जिसका पालन झारखंड में एक महत्त्वपूर्ण आदिवासी आबादी करती है, अद्वितीय है, प्रकृति पूजा पर आधारित है और मुख्यधारा के धर्मों से अलग है।
  • प्रकृति की पूजा करने वाले आदिवासियों की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की रक्षा करने की ज़रूरत है।
    • पाँचवीं अनुसूची, छठी अनुसूची वाले राज्यों के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों और एसटी के प्रशासन तथा नियंत्रण के लिये प्रावधान करती है।
    • छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।

और पढ़ें… भारत में जनजातियाँ, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग

मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़

हाल के दिनों में केरल के कोझिकोड ज़िले में निपाह वायरस के प्रकोप के दौरान भारत में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का उपयोग करने पर विचार किया गया है।

  • उच्च मृत्यु दर वाला तथा कोविड-19 से कहीं अधिक गंभीर निपाह वायरस के लिये प्रभावी उपचार की अनुपस्थिति के कारण इसे विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।
  • एंटीबॉडी, वायरल आवरण के एक हिस्से से जुड़ जाता है और निपाह वायरस को निष्क्रिय कर देता है
  • मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का उपयोग हेंड्रा वायरस के खिलाफ भी किया गया है, जो उसी परिवार से संबंधित वायरस है।
  • एंटीबॉडीज़ प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा स्वाभाविक रूप से उत्पादित प्रोटीन होते हैं जो एक विशिष्ट विदेशी वस्तु (एंटीजन) को लक्षित करते हैं। जब वे एकल मूल कोशिका से प्राप्त क्लोन द्वारा निर्मित होते हैं तो उन्हें मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (mAbs) कहा जाता है।
  • मोनोक्लोनल एंटीबॉडी मानव निर्मित प्रोटीन हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली में मानव एंटीबॉडी की तरह कार्य करते हैं। वे एक श्वेत रक्त कोशिका की क्लोनिंग करके बनाए जाते हैं।

FSSAI द्वारा खाद्य भंडारण हेतु समाचार पत्रों के उपयोग पर प्रतिबंध

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक (पैकेजिंग) विनियम, 2018 को अधिसूचित किया है जो भोजन के भंडारण तथा उनकी पैकिंग के लिये समाचार पत्रों या इसी तरह की सामग्री के उपयोग पर सख्ती से प्रतिबंध लगाता है।

  • समाचार पत्रों में उपयोग की जाने वाली स्याही में ज्ञात नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों के साथ विभिन्न जैव सक्रिय सामग्रियाँ होती हैं, जो भोजन को दूषित कर सकती हैं और निगलने पर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकती हैं।
  • इसके अतिरिक्त मुद्रण स्याही में सीसा और भारी धातु सहित रसायन शामिल हो सकते हैं जो भोजन में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे समय के साथ गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं।
  • FSSAI स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 (FSS अधिनियम) के तहत स्थापित एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है।

और पढ़ें… राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक, ईट राइट स्टेशन